शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

कैसे काम करतें हैं "एंटी -ओक्सिदेंट्स "?



पिछले लेख में हमने बतलाया था ऑक्सीकरण (ओक्सिदेशन )/सेल मेटा बोलिज्म के फलस्वरूप कुछ तेज़ तर्रार ऐसे पदार्थ पैदा हो जातें हैं जो अन्य रसायनों से मिलकररासायनिक प्रतिक्रया के तहत ज़ोरदार प्रतिक्रया करतें हैं .इन्हें "रिएक्तेन्त्स "कहा जाता है .यही हैं खतरनाक ओक्सिजन्फ्री रेडिकल्स. .एंटी -ओक्सिदेंट्स इन्हें ही हमारे शरीर से फ्लश आउट (निकाल बाहर )करतें हैं .आइये देखें कैसे ?
एंजाइम सुपरोक्सिदेज़- इज दिस्म्युतेज़ तथा परोक्सिदेज़ तथा विटामिन ए ,सी और ई जिन्हें प्रमुख एंटी -ओक्सिदेंट्स समझा जाता है इन्हीं खतरनाक ओक्सिजन फ्री रेडिकल्स से निजात दिल्वातें हैं .कोशिकीय एंजाइम्स (सुपर ओक्सिदेज़िज़ दिस्म्युतेज़ एवं अन्य सेल्युलर एंजाइम्स )घातक हाई -द्रोक्सिल रेडिकल्स को हाई -द्रोजन -पर -ओक्स साइड में पहले तो तब्दील कर देतें हैं .और फिरइसे निरापद जल और ओक्सिजन में परिवर्तित कर देतें हैं .और इस प्रकार कोशिका और माइतो-कोंद्रिअल मेम्ब्रेंस को होने वाली नुकसानी इस तब्दीली के कारण टल जाती है .यही हाई -द्रोक्सिल रेडिकल्स कोशिकीय प्रोटीनों की नुकसानी तथा एंजाइम्स को भी तबाह कर सकतें हैं ,यहाँ तक की डी एन ए उत्परिवर्तन (डी एन ए म्युतेशंसकी वजह भी बन सकतें हैं .ज़ाहिर है बहुत हानि कारक होतें हैं -ओक्सिजन फ्री रेडिकल्स ,हाई -द्रोक्सिल रेडिकल्स ।इसी घटा -टॉप में -
सेल एंजाइम्स प्रोतेकतार्स (कोशिका एंजाइम्स को बचाने वाले सहायक )की भूमिका में आ खड़े होतें हैं -एंटी -ओक्सिदेंट्स विटामिन्स ई और सी तथा बीटा-kएरोतींस ,जो विटामिन ए का ही आदिम प्रारूप है ,प्रीकर्सर है .ये विटामिन या तो फ्री रेडिकल्स को ज़ज्ब (एब्ज़ोर्ब )कर लेतें हैं या फिर इनसे चस्पां होकर (अटेच हो ) इन्हें आम कोशिकाओं पर धावा बोलने से रोक लेतें हैं ।
कभी कभार कुछ परिस्तिथियों में ओक्सिजन फ्री रेडिकल्स का बहुत अधिक (अतिरिक्त उत्पादन )बन जाना उपलब्ध ओक्सिदेंट्स पर हावी हो जाता है .ऐसे में डी एन ए म्यूटेशन का ख़तरा बढ़कर कैंसर की वजह बन जाता है ।
ओरल विटामिन्स तथा फ़ूड एडिटिव्स इसीलिए आज एंटी -ओक्सिदेंट्स थिरेपी का आवश्यक अंग बने हुए हैं।
ऐसी दवाओं की खोज ज़ारी है जो एंटी -ओक्सिडेंट एक्टिविटी की तरह काम करें ,एजिंग को मुल्तवी रखें .इसीलियें इस दौर में एंटी -ओक्सिदेंट्स को इतना हां -इप किया जा रहा है .गहरे रंग के फल तथा तरकारियाँ (वेजितेबिल्स )एंटी -ओक्सिदेंट्स से भरपूर हैं .और ग्रीन टी को क्यों भूलतें हैं ?

1 टिप्पणी:

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

good article in fact. written in simple way for nonbio students/people


ved parkash