कहतें हैं जूलियस सीज़र "सीजेरियन सर्जीकल डिलीवरी सिस्टम्स ऑफ़ बेबीज़ "के ज़रिये इस दुनिया में आये थे .इधर हमारे देश में पञ्च -तारा अस्पतालों में जहां पहले सीजेरियन -सेक्शन के ज़रिये बच्चे पैदा कराने की दर मात्र ५फ़ीसद थी ,वह बढ़कर ६५ प्रतिशत हो गई है ।
दिलचस्प होगा यह पता लगाना इनमे से कितने गैर -ज़रूरी हैं ,धन लालसा ,ग्रीड से ताल्लुक रखतें हैं .शोध प्रबंध का विषय भी हो सकता है यह सामाजिक मुद्दा .और ऐसा हम नहीं कह लिख रहें हैं ,विश्व -स्वास्थ्य संगठन का वर्तमान में ज़ारी सर्वेक्षण बतला रहा है ।
शिशु जन्म से ताल्लुक रखने वाली चिकत्सा प्रणाली में (ओब्स्तेत्रिक्स )में तमाम तरक्की के बावजूद भारत में हर पांचवा बच्चा माँ के पेट और गर्भाशय में चीरा लगवा के बाहर आ रहा है .इसमें कुछ दोष गर्भवती माताओं का भी है ,जो प्रसव को झंझट और एक स्वाभाविक सहनीय पीड़ा को गैर ज़रूरी बतला कर सीजेरियन -सेक्शन (सी -सेक्शन )का चयन कर रहीं हैं .चिकित्सकों में से कुछ ने भी चिकित्सा नीति -शाश्त्र को उठाकर ताक पर रख दिया है .मेडिकल एथिक्स से तलाक ले चुके हैं कुछ पेशा खोर चिकित्सक ।
फीटल डिस्ट्रेस हो ,या फिर सेफालो -पेल्विक दिस्प्रो -पोर्शन (इन्कम्पेतिबिलिती ),चिकित्सा कारणों से गर्भाशय में चीरा लगाया जा सकता है ,एब्दोमिन खोला जा सकता है ,जच्चा -बच्चा की सलामती के लिए ,लेकिन महज़ चिकित्सा आमदनी के मद्दे नज़र या फिर आधुनिक मरगिल्ली माँ के इल -इन्फोर्म्द होने का फायदा उठाकर किया जाने वाला सी -सेक्शन एक सामाजिक अपराध के दायरे में ही आयेगा .क्योंकि तमाम चिकित्सा उपकरण और खर्ची जब सीजेरियन -सेक्शन की नकली डिमांड को पूरा करने में जाया हो जायेगी तब जच्चा -बच्चा का स्वास्थ्य तो असरग्रस्त हो ही जाएगा ,तमाम सुविधाओं से वंचित रहेगा .क्या यह एक विकाश्मान देश की चिंता का विषय नहीं होना चाहिए ?
जबकि विश्व -स्वास्थ्य संगठन ने सी -सेक्शन के लिए १५ फीसद मामलों की सीमा निर्धारित की है .लेकिन कायदा क़ानून को हिन्दुस्तान में तवज्जो देता कौन है ?
जबकि सीजेरियन सेक्शन में किसी भी और सर्जरी की तरह माँ और शिशु दोनों को ही ख़तरा रहता है .लांसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक़ उन महिलाओं के इंटेंसिव केयर यूनिट में पहुँचने की संभावना दस गुना ज्यादा हो जाती है ,जो गैर ज़रूरी होने पर भी इस का वरन किन्हीं भी कारणों से कर रहीं हैं .बरक्स उन महिलाओं के जो सामान्य प्रसव के ज़रिये पच्चा पैदा कर रहीं हैं .
शुक्रवार, 22 जनवरी 2010
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