प्रति -चक्रवात , चक्रवात के विलोम हैं ,जिनमें पवनें कम दवाब वाले क्षेत्रों की ओर बहतीं हैं ,जबकि यहाँ प्रति -चक्रवातों में पवनें उच्च दवाब वाले क्षेत्रों से निम्न दवाबीयक्षेत्रों की ओर बहतीं हैं .प्रति -चक्र्वातीय पवनें उत्तरी -गोलार्द्ध में घडी की सूइयों की दिशा में यानी क्लोक -वाइज़,तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सूइयों के विपरीत यानी एंटी -क्लोक -वाइज़ ,बहतीं हैं ॥
उच्च दवाब क्षेत्र एक बड़े इलाके तक फैला रहता है ,यह उस वायु राशि के नीचे की ओर चले आने से बनता है ,जो गर्म तो होती है लेकिन नमी युक्त नहीं .आद्र नहीं रह जाती है यह गर्म हवा ,तथा जल वाष्प (मोइस्चर,नमी ,आद्रता )के अभाव में यहसूखी हवा भारीभी हो जाती है .यही हवा मोइस्चर की मौजूदगी में हलकी होती ।
नमी हलकी होती है हवा से (जलवाष्प हलकी होती है ,जल से ,वाष्प सदैव ही मदर लिक्विड से हलकी होती है )।
अब जब यह अपेक्षाकृत भारी नाइट्रोजन ओर ओक्सिजन को हठाती है ,विस्थापित करती है ,तब एंटी -साइकलों न बन ने लगतें हैं .
रविवार, 24 जनवरी 2010
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