मधु मख्खी पुष्पों से मकरंद जुटा कर वापस अपने छत्ते की ओर आकर इसे हनी सेक (शहद की नन्नी थैली )में रख देतीं हैं .यहाँ पर एक एंजाइम जो इन हनी सेक में ही बनता है मकरंद में मौजूद कोम्प्लेक्स सुगर (प्राकृत -सक्रोज़ )को सिम्पिल सुगर (फराक्टोज़ और ग्लूकोज़ )में बदल देता है .ज़ाहिर है यह किण्वक जो शहद की नन्नी सी थैली में बनता है एक रासायनिक कैंची का काम करता है ,एक रासायनिक प्रकिर्या को हवा देता है .नतीज़ा होता है -मधु रस (शहद )।
नेक्टार (मकरंद ):इसे प्लांट लिक्युइड भी कहा जाता है .सच में यह एक मीठा पेय है (मीठा तरल है )जो पुष्प वाले पौधे कीट पतंगों को आकर्षित करने के लिए पैदा करतें हैं .नन्नी चिड़िया भी खिची चली आती है इस पेय की ओर ।
यह पुष्पी पादपों को पर -परागन के लिए कुदरत से मिला इनाम है ।
यूनानी पुराण ,पुरा कथाओं के अनुसार नेक्टार देवताओं का पेय है (ड्रिंक ऑफ़ दी गाड्स ) यही पेय इन्हें शाश्वत सौन्दर्य ओर अमरत्व प्रदान करता है .सागर मंथन से भी यही"दिव्य रस /अमृत )निकला था ,देवासुर संग्राम में .रोमन मिथक पुराण में भी इसी नेक्टार का गुन्गायन है .
रविवार, 3 जनवरी 2010
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