मई मॉस की आखिरी तारीख थी .साल था ईसवी सन२००५ .राजकीय स्नातकोत्तर विद्यालयबादली (झज्जर ,हरयाना ) का ज्यादा -तर स्टाफ इनविजीलेशन पर अपने विद्यालय से बाहर ड्यूटी पर था .विश्व विद्यालय परीक्षा का मौक़ा था .यह दिन उसकी सेवा निवृत्ति का था .बतौर प्राचार्य ,राजकीय स्नाकोत्तर विद्यालय ,बादली (झज्जर ).उसने २६ मे को जाइन करने के बाद छुट्टी के लिए आवेदन कर दिया था .आकस्मिक अवकाश बाकी था .एक सप्ताह पहले ही उसे पदोन्नति मिली थी .आज विद्यालय में उसका दूसरा और आखिरी (सेवा काल का भी आखिरी )दिन था ।
उसे स्टाफ मेम्बर्स के नाम और विभाग का इल्म नहीं था .स्टाफ की भी यही स्तिथि .बस इतना पता था .आज नए आये -गए प्राचार्य का आखिरी दिन था ।
कोई किसी को नहीं जानता था .फिर भी एक आत्मीय-ता थी .सब की बोडी-केमिस्ट्री यकसां थी .बाकायदा इस छोटे से कसबे में इतने शार्ट नोटिस पर जो हो सकता था ,किया गया था .लेकिन स्नेह की गंध आज भी बाकी है ।
राजकीय सेवा का दस्तूर है ,कुर्सी को सलाम ,फरमा बरदारी .हुकुम ऊदुली .एक स्थानीय साधनों से झटपट तैयार की गई माल उसे पहनाई गई थी .सम्मानार्थ जो कहा गया था वह बड़ा ही निर्मल ,निष्कलुष था -"हम शर्मा साहिब के विषय में विशेष कुछ नहीं जानते ,कभी साथ काम करने का मौक़ा ही नहीं मिला .हमारे कालिज में वे आये और गए भी .हम बाखबर हैं और उनकी दीर्घ आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करतें हैं ।
उपहार स्वरूप एक थर्मस भी दिया गया ।
चंद शब्द उसने भी कहे यह हरयाना शिक्षा सेवा में उसका आखिरी दिन था .ऐसा बिलकुल नहीं लगा ,इस छोटी सी जगह में बला का आकर्षण और सहजता थी जिसकी गंध आज भी बाकी है .कुछ पल हैं जो भुलाए नहीं भूलते ,उनमे से एक पल यह भी था .वह लौट रहा था शेष जिंदगी भुगताने के लिए उन्मुक्त गगन का पाखी सा .तनाव रहित .थर्मो स्टेट (ताप नियंत्रक थर्मस )उसके हाथों में झूल रहाथा .जीवन के सुख दुःख झलने काटने के लिए क्या यह नाकाफी था ?
शुक्रवार, 8 जनवरी 2010
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1 टिप्पणी:
vidai samaroh ko shabdo main achha dhala hai aapne.........good sharma ji.........
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