शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

बैठे रहने के लिए नहीं डिजाइन किया गया है मानव शरीर ..


बैठे रहने के अनुकूल नहीं है मानव शरीर .फिर भी यदि आप घंटों बैठे रहतें हैं (कहीं भी ,टी वी ,कंप्यूटर के सामने या फिर कार सीट पर )तो आप की मर्ज़ी ।
सेहत के माहिरों ने पता लगाया है ,घंटों बैठे रहना नियमित कसरत करने वालों के लिए भी बुरा है ,घातक हो सकता है ।
बैठे बैठे दिन भर काम करने वाले लोग ना सिर्फ मुटिया सकतें हैं ,दिल के दौरों की संभावना भी बढा लेतें हैं ,मौत भी हो सकती है .हालाकि एक अध्धय्यन के यह अभी शूरूआती नतीजें ही हैं ,लेकिन खबरदार तो करतें ही हैं ।
स्पोर्ट्स मेडिसन के एक ब्रितानी जर्नल में प्रकाशित सम्पादकीय सलाह देता है ओथार्तीज़ को -"एक बार और सोच विचार कर लेवें ,आखिर फिजिकल एक्टिविटी है क्या ?ताकि बैठे रहने के खतरों के प्रति खबरदारी राखी जा सके ।
अध्धय्यन के मुताबिक़ चार घंटा लगातार बैठे रहने पर शरीर बाकायदा खतरनाक सन्देश भेजने लगता है (हम उसकी अनदेखी करते जाएँ यह और बात है ),शरीर में शक्कर और चर्बी का विनियमन करने वाले जीवन खंड (जींस रेग्युलेटिंग ग्लूकोज़ एंड फेट्स )एक एक करके काम करना बंद करने लागतें हैं .शत होने लागतें हैं ।
जो लोग व्यायाम भी करतें हैं एक डेस्क पर बैठे घंटों काम करते रहना उनके लिए भी नुक्सान दायक है .अलबत्ता यदि दिन भर में कसरत को थोड़ा थोड़ा करके कई मर्तबा किया जाए ,तब और बात है ,वरना सब गुड गोबर ।
एक अध्धय्यन में जो गत वर्ष कनाडा में प्रकाशित हुआ था ,बतलाया गया था ,जिसमे तकरीबन १७००० लोगों की दिन चर्या का १२ वर्षों तक जायजा लिया गया ,देर तक बैठे बैठे काम करने वालों की मृत्यु दर उनके व्यायाम करते रहने के बावजूद बढ़ जाती है .

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