मोटे तौर पर आँख की भीतरी भाग की झिल्ली सूजन को नेत्र स्लेश्मला -शोथ (कन्जक्तिवाइतिस )कहा जाता है ।
स्लेश्मला अथवा कन्जक्तिवा आँख के भीतरी भाग की बहुत ही नाज़ुक स्लेश्मल झिल्ली को जो पलक के अंदरूनी भाग को पूरी तरह ढके रहती है तथा कोर्निया (स्वेत मंडल यानी आँख की पुतली की रक्षा करने वाला सफ़ेद भाग )से जुडी रहती है ,कहा जाता है .इसी में किसी प्रकार के संक्रमण ,चोट लगने ,किसी भी प्रकार की एलर्जी (प्रत्युर्जा )से पैदा सूजन को स्लेश्मला शोथ (कन्जकती-वाइटिस)कहा जाता है .संक्रमण (इन्फेक्शन )की वजह जीवाणु (बेक्टीरिया )विषाणु (वायरस ),विंड ,स्मोक ,पोलें- न ,रेडियेशन (किसी भी प्रकार का विकिरण )या फिर रासायनिक एजेंट भी बन सकता है .इसे चेन्नई में "मद्रास -आई "भी कह दिया जाता है ।
ईट इज दी इन्फ्लेमेशन ऑफ़ दी आउटरमोस्ट कवरिंग ऑफ़ दी आई -बाल (कोर्निया )एंड इनर लेयर ऑफ़ आई -लीड ,जैसा हम ऊपर बतला आयें हैं ।
मरीज़ के तौलिये ,रूमाल आदि स्वच्छ और अलग रखने के अलावा उससे हाथ मिलाने से बचना चाहिए (मिला लिया ,तो हाथ और कुछ नहीं तो जर्मी -साइड युक्त लाइफ बॉय या ऐसे ही और किसी साबुन से साफ़ किजीये .वाश बेसन आदि की नाब आदि छूने पर भी ऐसा ही किजीये .मरीज़ से घनिष्ट -ता से बचिए .इसका रोगाणु (पैथोजन ,रोग कारक विषाणु /जीवाणु )हां -इली इन्फेक्शस होता है .वयेक्तिक संपर्क से फिलता है यह संक्रमण .
रविवार, 17 जनवरी 2010
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