कुत्ता शौक से पालिए .जीव जगत का मानव से नजदीकी रिश्ता रहा है .एक दौर था हमारे शहर बुलंदशहर (यू.पी .)में हमारी कर्म भूमि रोहतक में भी तांगा चलता था .घोड़े की टप टपबेशाख्ता मन को भाति थी .घोड़ा लीद भी करता चलता था .बाकायदा उसके लिए नगर पालिकाएं पानी का इंतजाम करती थीं पानी की जगह जगह नांद बनाकर .लीद को ठिकाने लगाने वाला एक तंत्र भी था ,सड़कें साफ़ रहतीं थीं ।
यूँ कुत्ता पालना सेहत के लिए अच्छा है ,आपकी एक चर्या बन जाती है एक स्तक्चार्डरूटीन टाइम टेबिल बन जाता है सैर का .आप का ब्लड प्रेशर सामान्य बना रहता है ।
लेकिन ज़नाब यह भी तो आपको ही देखना है आपकी वजह से किसी और को तो दिक्कत नहीं है ।
डॉगएक्स्क्रीता इज हाइली इन्फेक -शश ,केरी ए पोलिथीन एंड प्लकर तो कलेक्ट इट फॉर इट्स सेफ डिस्पोज़ल .आपको कोई हक़ हासिल नहीं है ,आप नगर पालिका द्वारा कायम पार्कों ,सड़कों ,राजमार्गों को कुत्ते के मल-मूत्र्र से गंधाये .मल मूत्र अपने आस पास फैलाएं और पडोसी का सिर दर्द बने .कुत्ता पालिए मगर सलीके से ।
दिल्ली जैसी नगर पालिका भी अजीब है यहाँ आदमी के सड़कों पर थूकने पर जुर्माने का प्रावधान होने जा रहा है .कुत्ती-कुत्ते वालों को आज़ादी है ..टेक्स भी मात्र ५ रूपया सालाना ,पंजीकरण शुक्ल १५ रूपया .टेक्स देने वाला भी शर्मा जाए .भाई अभी पिछले दिनों एक युगल का प्यारा सा पप्पी गुम था .पता लगाने वाले को दो लाख के नकद इनाम की मुनादी पितवा दी गई थी .मालिक मालकिन अवसाद ग्रस्त हो गए थे .कुत्ता शै ही ऐसी है .आदमी से ज्यादा वफादार .आदमी सिर्फ टुकर खोर .कुत्ता मालिक के क़दमों की आहत मीलों दूर से भांप लेता है .लौट जाता है मालिक के क़दमों में .गड़बड़ कुत्ते में नहीं है .मालिक में है .तमीज भी उसे ही सीखनी है .कुत्ता बा-कुत्ता आपका है तो उसका मल -मूत्र भी आप ही ठीकानेलगायेंगे .कुत्ताबा - अदब बा- तमीज होता है .हम और आप ?जी हाँ सलीका सीखना है हमें .
मंगलवार, 5 जनवरी 2010
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