आम तौर पर हमारे भोजन में खाद्य रेशों का होना जिगर के लिए ,कुल मिलाकर पाचन और मल त्याग के लिए अच्छा समझा जाता है ,बा -शर्ते आपको दस्त ना लगें हों कोई अन्य ऐसी बीमारी ना हो जिसमे रेशे वर्ज्य हों .रेशे हमारे स्टूल को मल को बल्क प्रदान कर मल त्याग को आसान बनातें हैं .आँतों की सफाई करतें हैं ।
अब भला ब्रेन -रफेज़ (दिमागी रफेज़ )क्या हो सकती है ?
दिमाग में रोज़ बा रोज़ जाने वाली सूचना जिसे दिमाग टुकडा टुकडा ग्रहण कर लेता है ,पचनीय सूचना ,जो दिमाग के स्म्रति कोष में समाहित हो जाती है ,दिमागी रफेज़ कही जा सकती है .सूचना - विस्फोट ,सूचना एक्सपोज़र से ताल्लुक रखती है यह टर्म (शब्द )जिसे गेस्त्रोनोमी से लिया गया है .कुछ विशेष पकवान बनाने की कला ,आंचलिक खान पान को इस केटेगरी में रखा जा सकता है .अच्छा भोजन चयन करना पकाना और खाना खा कर हज़म करना ,सूचना की ही तरह है ,जंक को अलग करना पडेगा (स्पेम को भी )।
सूचना क्रान्ति के दौर में "इन्फार्मेशन स्नेकिंग ""जंक ",स्पैमर जैसे शब्द चलन में आये हैं ।
दिमागी रफेज़ ग्रे सेल्स को पैनाने धार दार बनाने में कामयाब हो सकती है ,मशक्कत ज़रूर है ,काम की अच्छी सूचना को पचाना .डाक तो छांट कर अलग करनी ही पड़ेगी .
रविवार, 10 जनवरी 2010
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