डी एंड एन यानी दाय्लेषण एंड क्युरितेज़ .यह एक छोटा सा आपरेशन होता है जिसके तहत एब्नोर्मल टिश्यु को साफ़ कर दिया जाता है ,चूषण विधि द्वारा (सक्शन मेथड ).कई मर्तबा यही काम दवाओं से भी हो जाता है .ताकि असामान्य आकृत विहीन मॉस से निजात मिल सके .इसे ही मेडिकल मेनेजमेंट कह दिया जाता है .कई मर्तबा कुछ ऊतक अंश गर्भाशय में बचा रह जाता है जिसे हठाने के लिए एक बार और सफाई (दाय्लेषण एंड क्युरितेज़ )करनी पड़ती है ।
इसके बाद भी लगातार परिक्षण डॉक्टर के कहे मुताबिक़ करवाने पडतें हैं .डी एंड एन के बाद यूरीन (पेशाब ,मूत्र )एवं खून के नमूने मरीज़ से जुटाए जातें हैं .जांच करके प्रेगनेंसी हारमोन ह्यूमेन -कोरियोनिक -गोनाडोट्रोपिन (एच सी जी )के स्तर का पता लगाया जाता है .जब इस हारमोन का स्तर शून्य हो जाता है ,शरीर रोग मुक्त हो जाता है ।
(जान बची और लाखों पाए ,लौट के बुद्धू घर को आये ,जान है ,तो जहां है ,औलाद भी हो जायेगी ,गोद ले ली जायेगी )
कुदरत का खेल है मोलर प्रेगनेंसी में ओवम भ्रूण में विक्सित ना होकर आकृति विहीन मॉस में बदल जाएगा .,बदल जाता है .मोलर प्रेगनेंसी बी ब्लड ग्रुप की महिलाओं में होती देखी गई है ,पाकिस्तानी और भारतीय महिलाओं में दोबारा भी इसके होने की संभावना देखी गई है ।
बीस साल से कम और चालीस साल से ऊपर की महिलाओं में मोलर प्रेगनेंसी की दर ज्यादा देखी गई है ।
ओवम में कमी बेशी (दिफेक्ट्स इन एग ),गर्भाशय में किसी प्रकार की असामान्यता (एब्नोर्मलिती इन यूट्रस ),शरीर तंत्र में पुष्टिकर तत्वों की कमी मोलर प्रेगनेंसी की वजह बन सकती है .यूरोप में मोलर प्रेगनेंसी की दर हज़ार प्रेगनेंसी के पीछे एक ,दक्षिण एसिया और मेक्सिको में १ /२००ओ है .प्रोटीन और केरोटीन की कमी ,ओव्युलर डिफेक्ट (ओव्यूलेशन ,ओवम सम्बन्धी विकार )भी इसकी वजह हो सकता है ।
इसे एकतोदर्म का रोग कहा गया है ।
एकतो -दर्म :स्तन पाई जीवों के भ्रूण को संजोके रखने वाली बाहरी परत जो निषेचित अंडे (फ़र्तिलाइज़्द ह्यूमेन एग )को गर्भाशय की दीवार से चस्पां करती है ,पुष्टिकर तत्वों को ग्रहण कर ज़ज्ब करती है -एकतो दर्म कहलाती है .मोलर प्रेगनेंसी इज ए डीज़ीज़ ऑफ़ एक्तोदार्म इन विच दी ओवम दिव्लाप्स इनटू ए शेप्लेस मॉस .
बुधवार, 20 जनवरी 2010
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