अपना हाथी दांत का सपना लेकर अपने पास ही बैठो ,
दलदल में जो फंसा हुआ था ,अब वो हाथी निकल गया है ।
अरे दधीची झूठा होगा ,जिसने करदीं दान अस्थियाँ ,
जबसे तुमने वज्र सम्भाला ,मरने वाला संभल गया है ।
बुरी खबर है उन नारीवादियों के लियें जो पुरूष यौन गुणसूत्र (मेल सेक्स क्रोमोजोम -वाई ) के छीजते चले जाने की पहले आई खबर पर इठला -इतरा रहे थे .कहा गया था ,वाई -क्रोमोजोम के पास जींस का खज़ाना भी कम रह गया है ,एक्स -के बरक्स ।
अब पता चला है :वाई -गुणसूत्र इवोल्व कर रहा है ,विकाशमान है ।
तो महिला वादियों मर्दुए को आदिम घोषित करने की नादानी छोडो .वाई -क्रोमो जोम शेष ह्यूमेन -जेनेटिक कोड (मानवीय आनुवंशिक कूट )के बरक्स कहीं ज्यादा तेज़ी से विकास मान है ।
चिम -पान्ज़ी महोदय से हमारे वाई -क्रोमोजोम का मिलान करने पर पता चला है ,दोनों में तीस फीसद का फर्क आ चुका है .जबकि शेष गुणसूत्रों (सोमाटिक-क्रोमोज़ोम्स )में मर्द और चिम -पान्ज़ीके मात्र २ फीसद का अंतर है ।
विज्यान पत्रिका "नेचर "का ताज़ा अंक उक्त तथ्यों की खबर दे रहा है ,आन लाइन । गत साथ लाख बरसों में दर्ज किये उक्त परिवर्तन ।
एम् आई टी में जीव विज्यान के प्रोफ़ेसर डेविड पेज (आप वाईट हेड इंस्टिट्यूट ,केम्ब्रिज के निदेशक भी हैं .)कहतें हैं ,ह्यूमेन क्रोमोज़ोम्स में यदि कोई सबसे ज्यादा इवोल्व (उद्भवित )हो रहा है ,वह मर्द को मर्दियत प्रदान करने वाला "वाई -क्रोमोजोम "ही है ।
(गलत फहमी में ना आयें मर्द -इवोल्व वाई -क्रोमोजोम हो रहा है ,मर्द नहीं )।
मर्द सिर्फ अपने जीवन खण्डों का जमा जोड़ नहीं है .सामाजिक परिंदा भी है .
शुक्रवार, 15 जनवरी 2010
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