एक पुरानी कहावत है :आजमाए को आजमाए ,चूतिया (बेवकूफ ,चुगद )कहाए .विज्ञापन का माया जाल रात दिन भरमाये है कभी तीनदिनी और कभी पांच दिनी चूक की भरपाई करने वाली कथित आपद्कालीन (इमरजेंसी पिल ).जबकि प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ बिना किसी लारा लप्पा के खबरदार करते रहतें हैं ,बारहा दोहराते हुए -बचाव में ही बचाव है ,आप वक्त रहते एहतियात बरतिए ,फूल प्रूफ एकदम से निरापद कोई भी खाई जाने वाली गोली नहीं है ,चाहे फिर वह ७२ घंटे तक कारगर रहने वाली कथित आई पिल हो या नेनो - कार जैसी नै -नवेली पांच दिनों तक कारगर रहने वाली आपद्कालीन मोर्निंग पिल ।
लेवो -नोर्जेस्त्रेल मुख्य साल्ट (घटक )है तीन दिनी आई पिल का जो बाज़ार में अनेक व्यावसायिक नामों से उतारी गई है जैसे लेवोनेल्ले ,प्लान -बी आदि तथा १४० से भी ज्यादा देशों में उपलब्द्ध है ,तकरीबन ५० मुल्कों में तो इसे बिना डॉक्टरी नुस्खे के ही हासिल किया जा सकता है ,भारत भी उनमे से एक है ।
नै दवा यूली प्रिस्टल एसिटेट व्यावसायिक नाम एल्लोने से उपलब्द्ध है ,जिसके लिए डॉक्टरी पर्ची ज़रूरी है यूरोप में जहां यह पांच दिनी चूक के बाद खाने वाली मोर्निंग पिल बिक्री के लिए बाज़ार में उतारी गई है ।एक ट्रायल में -
१७०० युवतियों में से (१६ -३६ साला )यौनसंपर्क के तीन से पांच दिनों बाद आधी को प्लान -बी तथा शेष को एल्लोने मुहैया करवाई गई ,प्लान -बी लेने वाली महिलाओं में से २२ फिर भी गर्भवती हो गईं ,जबकि एल्लोने के मामले में १५ ।
सरदर्द अवांछित पार्श्व प्रभाव के बतौर देखा गया दोनों वर्गों में .एच आर ए फार्मा के नेत्रिर्त्व में यह अध्धय्यन संपन्न हुआ .यही नैदवा निर्माता कम्पनी है .लांसेट में इस अध्धय्यन की रपट प्रकाशित हुई है .पूर्व में संपन्न अध्धय्यन से मिलान करने पर पता चला ,एल्लोने के मामले में कुल मिलाकर गर्भधारण की दर १.८ जबकि प्लान -बी के मामले में इसकी दोगुनी २.६ फीसद पाई गई ।
जो हो झूठी दिलासा खुद को देने भरमाते रहने से अच्छा है पूर्ण -सुरक्षा .बचाव में ही बचाव है ,हठी सुरक्षा घटी दुर्घटना .आखिर यह अच्छी सेक्स्युअल हेल्थ का दौर है ,बिला वजह चोट खाने का फायदा ?
शनिवार, 30 जनवरी 2010
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें