शनिवार, 12 जनवरी 2013

अतिथि कविता :दिल्ली की अब यही कहानी -डॉ . वागीश मेहता


अतिथि  कविता :दिल्ली की अब यही कहानी -डॉ . वागीश मेहता



                        भ्रष्ट व्यवस्था ,ध्वस्त प्रशासन ,निष्फल हुई सारी कुर्बानी ,

                        भीड़ प्रदर्शन ,पुलिस के डंडे ,दिल्ली की अब यही कहानी .
       
            (1)


पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,

कभी शेर थी अब है बिल्ली 

अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,

अब तो शिशु पालों की  दिल्ली 

काले परदे ,काले शीशे,

 चलती बस में , बड़े सुभीते ,

हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,

पंजों में औरत कब्जानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी 

            (2)

दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,


उसमें बैठे कई सिकन्दर ,

अपने दलबल अपने लशकर ,

हुश हुश करते कई कलंदर 

पैने  नख और दन्त नुकीले ,

खों  खों करते ,ये फुर्तीले उछल कूदते ,

सीमा लांघें  ,लंका काण्ड करें मनमानी 

खरपत  राजा ,चरपत  रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

              (3)

शिव भागे ,भस्मासुर पीछे, 

देवों पर है भारी दिल्ली ,

लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,

राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,

वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,

फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,

यूं तो बुरे  नहीं है  चीनी ,

पर उनकी  सूरत अलगानी .



खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

          (4)

सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,

जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,

दुष्टों ने  पर हवा बनाई ,

टूजी ,कोयला ,खेल  सफाई ,

साख का पारा शून्य से  नीचे ,

अब अपनों ने की रुसवाई ,

खेत अकेला खड़ा  बिजूका ,

सहता सर्दी ,बारिश पानी ,

पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,

कभी शेर थी अब है बिल्ली 

अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,

अब तो शिशु पालों की  दिल्ली 

काले परदे ,काले शीशे,

 चलती बस में , बड़े सुभीते ,

हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,

पंजों में औरत कब्जानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी 

            (2)

दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,


उसमें बैठे कई सिकन्दर ,

अपने दलबल अपने लशकर ,

हुश हुश करते कई कलंदर 

पैने  नख और दन्त नुकीले ,

खों  खों करते ,ये फुर्तीले उछल कूदते ,

सीमा लांघें  ,लंका काण्ड करें मनमानी 

खरपत  राजा ,चरपत  रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .


              (3)

शिव भागे ,भस्मासुर पीछे, 

देवों पर है भारी दिल्ली ,

लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,

राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,

वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,

फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,

यूं तो बुरे  नहीं है  चीनी ,

पर उनकी  सूरत अलगानी .


खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

          (4)

सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,

जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,


दुष्टों ने  पर हवा बनाई ,


टूजी ,कोयला ,खेल  सफाई ,


साख का पारा शून्य से  नीचे ,


अब अपनों ने की रुसवाई ,


खेत अकेला खड़ा  बिजूका ,


सहता सर्दी ,बारिश पानी ,


दिल्ली की अब यही कहानी .

प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )

लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी .




 .


2 टिप्‍पणियां:

अरुन अनन्त ने कहा…

आदरणीय वर्तमान परिस्थित्ति का सुन्दर व्याख्यान, शब्द - शब्द सत्य, शब्द - शब्द सुन्दर, शब्द - शब्द ह्रदय को भीतर तक झकझोरता हार्दिक बधाई.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दिल्ली की इस कहानी का सत्य लिख रहे हैं वागीश जी ...