मंगलवार, 15 जनवरी 2013

अब देश और नहीं सहेगा इस जारज संतान को

बिंदास बोल 

वो 'चुप्पा मुंह' बोला आज .कहा: इन हालातों में पाक के साथ रिश्ते रखना 

मुमकिन नहीं .पाक मुआफी  मांगे अपने किये की .

इसी के साथ कई शौकिया चैनलिए मुंह खुले .कुछ ने कहा पाक में प्रजा तंत्र 

खतरे में हैं फिलवक्त .हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे वहां 

प्रजा तंत्र को ख़तरा पहुंचे .

पूछा जा सकता है इन गाल बजइयों  से तब क्या पाक से पिटते रहें ?

सरकार में जितने आदमी उतने मुंह कल विदेश मंत्री कह रहे थे .एक फ्लेग 

मीटिंग्स से कुछ नहीं होगा सिलसिला शुरू हुआ है धीरे धीरे ही इसके नतीजे 

सामने आयेंगें .

प्रधान मंत्री आज कुछ हट के बोल रहें हैं हालाकि उनकी वाणी में तेज़ कभी 

नहीं होता .समभाव बनाए रहतें हैं वीर रस की बात भी करुण रस में कहतें 

हैं  .

हमारा मानना  है पाकिस्तान नाम की कोई संस्था ही नहीं है .पाक 

हिन्दुस्तान का समधियाना है क्या ?धर्म के आधार पे हुआ था भारत का 

विभाजन .विभाजन के बाद से कोई हिन्दू पाकिस्तान नहीं जाना चाहता 

.अलबत्ता मुसलमान भारत के पाक से रिश्ते बेटी रोटी के बनाए  हुए हैं 

.यही लोग पाक जातें हैं .

हिन्दुस्तान का सेकुलर चेहरा है मुसलमान .क्या सिर्फ इन्हीं के लिए इस 

मुल्क से सम्बन्ध बनाए रखा जाए ?

मुसलमान पाक के यहाँ जासूसी करने आतें हैं .

पूछा जा सकता है ऐसे गर्भच्युत राज्य में हमारे राजदूत क्या कर रहें हैं और 

किसलिए बने हुए हैं ?

किसलिए पाक के नागरिकों  को वीजा ज़ारी किया जाए ?

क्या राजदूत हाफ़िज़ सईद  से संवाद बनाए रखने के लिए हैं या आई एस 

आई से ,उग्रवादियों  से या फिर लश्करे तैयबा  से ?आखिर पाक नाम की शै 

है किस चिड़िया का नाम ?और क्यों हम उससे सम्बन्ध बनाए रहें .

एनफ इज एनफ 1948 के बाद से ही पाक कबीलाई मुद्रा में हिन्दुस्तान को 

गुर्राए  जा रहा है यह पिद्दा का शौर्बा .अब देश और नहीं सहेगा इस जारज 

संतान को .

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एक बार गुर्राना भर होता है शेर को।