अतिथि कविता :दिल्ली की अब यही कहानी -डॉ . वागीश मेहता
भ्रष्ट व्यवस्था ,ध्वस्त प्रशासन ,निष्फल हुई सारी कुर्बानी ,
भीड़ प्रदर्शन ,पुलिस के डंडे ,दिल्ली की अब यही कहानी .
(1)
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले उछल कूदते ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
.
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले उछल कूदते ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी .
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी .
2 टिप्पणियां:
आदरणीय वर्तमान परिस्थित्ति का सुन्दर व्याख्यान, शब्द - शब्द सत्य, शब्द - शब्द सुन्दर, शब्द - शब्द ह्रदय को भीतर तक झकझोरता हार्दिक बधाई.
दिल्ली की इस कहानी का सत्य लिख रहे हैं वागीश जी ...
एक टिप्पणी भेजें