सेहत :Want to shed those kilos ?Ditch the booze
क्या आपकी तौल में एक ख़ास खुराक लेने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़
रहा है ?हो सकता है इसकी वजह आपके द्वारा रोज़ ली जाने वाली ड्रिंक ही बन रही हो .जानिएगा कि एक
पिंट लाजर बीयर में चोकलेट के तीन बिस्किट के बराबर केलोरीज़ ठुकी रहती हैं .
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार ड्रिंक्स में मौजूद केलोरीज़ के प्रति ला -परवाह बने रहना आपकी तौल के
डाईटइंग के बावजूद भी कम न होने की वजह रह सकती है .
ड्रिंक्स :प्रति सप्ताह ली जाने वाली ड्रिंक्स की संख्या कम कर दीजिए तौल में फर्क पड़ जाएगा .डाईटइंग
कामयाब रहेगी तौल कम करने में .डाईटइंग को ना -कामयाब बनाता है एल्कोहल का सेवन .सारी कवायद
बे -कार जाती है ऐसे में .
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार धूम्रपान के बाद एल्कोहल का सेवन ही सबसे बड़ा जोखिम तत्व सिद्ध
होता है .ओवरवेट रहना इस जोखिम का शीर्ष बिंदु बन जाता है .
रोजाना एक पिंट बीयर का सेवन करने वालों के लिए लीवर कैंसर तथा बाउल कैंसर के खतरे का वजन भी
20%बढ़ जाता है .
अखबार डेली मेल ने इस खबर को प्रकाशित किया है .
युनाईटिड किंडम में हर बरस दर्ज़ होने वाले 20,000 कैंसर रोग समूह के मामलों का सम्बन्ध एल्कोहल के
नियमित सेवन से ही
जोड़ा गया है .
Diabetics at risk of heart attack :
युनाइटिड किंडम से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह से ग्रस्त चले आये लोगों के लिए दिल के दौरे
के खतरे का वजन सामन्य आबादी के बरक्स करीब करीब 50 %बढ़ा हुआ रहता है .
यह खतरा सिर्फ मधुमेह के जीवन शैली संस्करण सेकेंडरी डायबिटीज से ग्रस्त रहने वालों के लिए ही नहीं
प्राइमरि डायबिटीज(बचपन से ही इस रोग की चपेट में आये लोगों ) से ग्रस्त रहने वालों के लिए भी
उच्चतर बना रहता है .
Myth busted :Smoking can't relieve stress
महज़ मिथ है यह सोच कि धूम्रपान से मानसिक दवाब ,स्ट्रेस कम होता है
यथार्थ यह है धूम्रपान छोड़ने से बे -चैनी ,एङ्ग्जायटी का स्तर कमतर होता
है
ब्रितानी शोध कर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में तकरीबन 500 धूम्रपान करने वालों का एङ्गज़ायटी स्तर
पता लगाया .धूम्रपान छोड़ने की कोशिश से पहले और अध्ययन के बाद ऐसी कोशिश करने के बाद सफल
या फिर असफल रहने पर सभी का बे -चैनी का स्तर मापा गया .
पता चला मिथ ,जनविश्वास, के विपरीत निकोटिन एक तनाव कम करने वाले एजेंट की भूमिका में न
होकर
तनाव बढ़ाने वाले अभिकर्मक
की भूमिका में
था .
पांच में से एक धूम्रपानी ने बतलाया वह धूम्रपान तनाव से तालमेल बिठाने की एक टेक ,सहारे के रूप में
करते हैं . इन सभी ने नेशनल हेल्थ सर्विस स्मोकिंग सिज़ेशन प्रोग्रेम में शिरकत की .इसके तहत स्मोकिग
से पार पाने के लिए ,निजात पाने के लिए ,दूर रहने के लिए सभी को निकोटिन पेचिज दिए गए .
सभी ने दोमाही एपोइन्टमेंट के तहत अध्ययन में शिरकत की .इस प्रोग्रेम में भाग लेते हुए
छ : माह के बाद 68 प्रतिभागी अभी भी धूम्रपान से बचे हुए थे .इनका बे -चैनी का स्तर मापा गया .जो पहले
से कम निकला .
जो प्रतिभागी धूम्रपान छोड़ने में ना -कामयाब रहे उनका एंगजायटी स्तर पहले के बरक्स बढ़ा हुआ पाया
गया .
ब्रिटिश जर्नल आफ साइकियेट्री में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं जिन्हें अखबार डेली मेल ने भी
छापा है .
क्या आपकी तौल में एक ख़ास खुराक लेने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़
रहा है ?हो सकता है इसकी वजह आपके द्वारा रोज़ ली जाने वाली ड्रिंक ही बन रही हो .जानिएगा कि एक
पिंट लाजर बीयर में चोकलेट के तीन बिस्किट के बराबर केलोरीज़ ठुकी रहती हैं .
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार ड्रिंक्स में मौजूद केलोरीज़ के प्रति ला -परवाह बने रहना आपकी तौल के
डाईटइंग के बावजूद भी कम न होने की वजह रह सकती है .
ड्रिंक्स :प्रति सप्ताह ली जाने वाली ड्रिंक्स की संख्या कम कर दीजिए तौल में फर्क पड़ जाएगा .डाईटइंग
कामयाब रहेगी तौल कम करने में .डाईटइंग को ना -कामयाब बनाता है एल्कोहल का सेवन .सारी कवायद
बे -कार जाती है ऐसे में .
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड के अनुसार धूम्रपान के बाद एल्कोहल का सेवन ही सबसे बड़ा जोखिम तत्व सिद्ध
होता है .ओवरवेट रहना इस जोखिम का शीर्ष बिंदु बन जाता है .
रोजाना एक पिंट बीयर का सेवन करने वालों के लिए लीवर कैंसर तथा बाउल कैंसर के खतरे का वजन भी
20%बढ़ जाता है .
अखबार डेली मेल ने इस खबर को प्रकाशित किया है .
युनाईटिड किंडम में हर बरस दर्ज़ होने वाले 20,000 कैंसर रोग समूह के मामलों का सम्बन्ध एल्कोहल के
नियमित सेवन से ही
जोड़ा गया है .
Diabetics at risk of heart attack :
युनाइटिड किंडम से प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार मधुमेह से ग्रस्त चले आये लोगों के लिए दिल के दौरे
के खतरे का वजन सामन्य आबादी के बरक्स करीब करीब 50 %बढ़ा हुआ रहता है .
यह खतरा सिर्फ मधुमेह के जीवन शैली संस्करण सेकेंडरी डायबिटीज से ग्रस्त रहने वालों के लिए ही नहीं
प्राइमरि डायबिटीज(बचपन से ही इस रोग की चपेट में आये लोगों ) से ग्रस्त रहने वालों के लिए भी
उच्चतर बना रहता है .
Myth busted :Smoking can't relieve stress
महज़ मिथ है यह सोच कि धूम्रपान से मानसिक दवाब ,स्ट्रेस कम होता है
यथार्थ यह है धूम्रपान छोड़ने से बे -चैनी ,एङ्ग्जायटी का स्तर कमतर होता
है
ब्रितानी शोध कर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में तकरीबन 500 धूम्रपान करने वालों का एङ्गज़ायटी स्तर
पता लगाया .धूम्रपान छोड़ने की कोशिश से पहले और अध्ययन के बाद ऐसी कोशिश करने के बाद सफल
या फिर असफल रहने पर सभी का बे -चैनी का स्तर मापा गया .
पता चला मिथ ,जनविश्वास, के विपरीत निकोटिन एक तनाव कम करने वाले एजेंट की भूमिका में न
होकर
तनाव बढ़ाने वाले अभिकर्मक
की भूमिका में
था .
पांच में से एक धूम्रपानी ने बतलाया वह धूम्रपान तनाव से तालमेल बिठाने की एक टेक ,सहारे के रूप में
करते हैं . इन सभी ने नेशनल हेल्थ सर्विस स्मोकिंग सिज़ेशन प्रोग्रेम में शिरकत की .इसके तहत स्मोकिग
से पार पाने के लिए ,निजात पाने के लिए ,दूर रहने के लिए सभी को निकोटिन पेचिज दिए गए .
सभी ने दोमाही एपोइन्टमेंट के तहत अध्ययन में शिरकत की .इस प्रोग्रेम में भाग लेते हुए
छ : माह के बाद 68 प्रतिभागी अभी भी धूम्रपान से बचे हुए थे .इनका बे -चैनी का स्तर मापा गया .जो पहले
से कम निकला .
जो प्रतिभागी धूम्रपान छोड़ने में ना -कामयाब रहे उनका एंगजायटी स्तर पहले के बरक्स बढ़ा हुआ पाया
गया .
ब्रिटिश जर्नल आफ साइकियेट्री में इस अध्ययन के नतीजे प्रकाशित हुए हैं जिन्हें अखबार डेली मेल ने भी
छापा है .
2 टिप्पणियां:
पांच में से एक धूम्रपानी ने बतलाया वह धूम्रपान तनाव से तालमेल बिठाने की एक टेक ,सहारे के रूप में
करते हैं बहुत सही बात कही है unhone hamne bhi aisa dekha hai .सार्थक अभिव्यक्ति मरम्मत करनी है कसकर दरिन्दे हर शैतान की #
उम्दा जानकारी दी है आपने |मैं तो सोचती थी कि मील मिस करने से बजन कम होगा |
आशा
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