रविवार, 13 जनवरी 2013

आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल मिजाज़

आलमी स्तर पर हो चुका है मौसम का बिगडैल  मिजाज़ 



ब्लॉगर अरुण कुमार निगम
मानव ने छेड़ा इसे , भुगत रहे हैं आज
अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज
बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया
कहीं बरसती आग , बाढ़ ने कहीं डुबोया
झूमा मद में चूर , हाय बन बैठा दानव
दोहन से आ बाज,सँभल जा अब भी मानव ||


सूखा इत, उत बाढ़ है, कुदरत होती चाड़ |

कहीं बर्फ़बारी विकट, काँप जाय मनु-हाड़ |

काँप जाय मनु-हाड़, हमेशा छेड़-छाड़ हो |

चले काम-लू-लहर, स्खलित भू पहाड़ हो |

बादल फटते ढीठ, मरुस्थल भीगे रूखा |

रखिये तन तैयार, खाइये रूखा सूखा ||
                      कुंडली कार रविकर 

स्थानीय जलवायु का ढांचा एक बड़े भू -भाग का चरमराने लगा है .

Climate chaos :Bizarre weather grips the world 

Deadly Concoction Of Heat And Cold Spell Shows Extreme Is  The 

New Commonplace

ब्रितानियों को नहीं भूलेगा सन 2012 याद किया जाएगा ये साल अप्रत्याशित सूखे ,बाढ़

,मूसलाधार बरसात के लिए और ये कोई अनहोनी ब्रितानियों के लिए ही नहीं थी मौसम के बिगडैल मिजाज़

स्थानीय जलवायु के टूटते हुए ढाँचे और उग्रता के साक्षी दुनिया भर के लोग बनें हैं .चीन फिलवक्त शीत की

गत तीस वर्षों की

सबसे सर्द शीत रुतु  से दो चार हो रहा है .और ब्राज़ील गर्मी से झुलस रहा है .पूरबी रशिया  शून्य से 45.5

सेल्सियस नीचे जाते हुए पारे को देख रहा है .सब कुछ जम गया है वहां .ठहर गया है जन जीवन .

Yakustsk शहर की ट्रेफिक लाइटें ठप्प हो गईं हैं .

ऑस्ट्रेलिया एक तरफ लू का प्रकोप झेल रहा है दूसरी तरफ वहां बिना साफ़ किए गए जंगलों में आग लग

रही है .(दावानल ).

गत सितम्बर में पाकिस्तान ने अबूझ बाढ़ से पैदा तबाही को  देखा है .मध्य पूर्व ने बहुत खराब मौसम

,आंधी तूफ़ान तेज़ हवाओं और तेज़ वर्षा का सामना किया है .हिमपात और बाढ़ की विनाश लीला को  झेला

है .

2012 उत्तरी अमरीका में सबसे गर्म साल दर्ज़ हुआ है .

धुर मौसम ,बिगडैल मिजाज़ मौसम का यहाँ वहां देखने को बे शक मिलता रहा है लेकिन एक साथ आलमी

स्तर पर ऐसा मंजर दिखलाई देना  एक नै बात ज़रूर रही है .इस प्रकार की अनहोनी घटनाए उग्र से उग्र

होती जा रहीं हैं इनकी बारंबारता ,आवृत्ति भी बढ़ने लगी है लगता है ये आये दिन की बात हो गई है .

यह कहना है जिनेवा स्थित विश्व मौसम संघ के आंकडा प्रबंधन एवं उपयोग प्रभाग के प्रमुख उमर  बद्दूर का .

मामला सिर्फ बढ़ते हुए विश्वतापमानों तक महदूद नहीं रह गया है .बे -मेल असंगत मौसम की बदमिजाजी

के और भी आयाम हैं .ब्रिटेन वासियों के लिए पृष्ठ भूमि में बरसात पड़ते देखना बे शक एक आम बात थी

लेकिन 2012 ने एक नहीं दो नहीं तीन मर्तबा जलप्लावन जैसा दृश्य बुन दिया .

The biggest change ,said Charles Powell ,a spokesman  for the Met Office , is the frequency in Britain of "extreme weather events "-defined as rainfall reaching the  top 1%of the average amount for that time of year .Fifty years ago ,such episodes used to happen 100 days ;now they happen every 70  days ,he said .

The same thing is true in Australia ,where bush fires are raging across Tasmania and the current heat wave has come after two of the country's wettest years ever .

8 January 2013 ,1910 के बाद का  पांचवां सबसे गर्म दिन रहा .इस रोज़ सिडनी का तापमान 42सेल्सियस

रहा .

उत्तर की और चले तो आलम इसके ठीक उलट है रूस और उत्तरी योरोप हिम चादर से पर्त -दर -पर्त ढके

हुए हैं .क्या Stockholm और  क्या Helsinki और मोस्को  ज़ोरदार सर्द हवाएं आलम पे बरपा हैं .

असंगति देखिये दूसरे महायुद्ध के बाद से पहली बार  सिसली में और दक्षिण इटली में बर्फीले तूफ़ान छाये हैं

.इटली के तट पर दिसंबर माह में टोर्नेडो और वाटरस्प्राउट्स(घूर्णमेघ स्तंभ ,जल स्तम्भ ,पानी की सतह पे

आने वाले टोर्नेडो ) सिर पटक चुकें हैं .क्या कहिएगा इस  अन -होनी को ?अन -होनी या भविष्य के लिए अप

-शकुन ?

जो भी अनहोनी मौसम में होनी बनके उभर रही है उसकी सारी जिम्मेदारी आज के इंसान पर है ,आज की

जीवन पद्धति पर है .क्या हम सचेत होंगें .,यदि नहीं तो विनाश सामने खड़ा  है .



7 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

सूखा इत, उत बाढ़ है, कुदरत होती चाड़ |
कहीं बर्फ़बारी विकट, काँप जाय मनु-हाड़ |
काँप जाय मनु-हाड़, हमेशा छेड़-छाड़ हो |
चले काम-लू-लहर, स्खलित भू पहाड़ हो |
बादल फटते ढीठ, मरुस्थल भीगे रूखा |
रखिये तन तैयार, खाइये रूखा सूखा ||

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रकृति विरोधी स्वर निकालती

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

मकर संक्रांति कि शुभकामनाएं

New post: कुछ पता नहीं !!!
New post : दो शहीद

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

यह प्रकृति का कोप है-
किन्तु जब अतिचार पर उद्धत मनुज स्वार्थांध होकर
लालसाओं के लिये औचित्य को दे मार ठोकर ,
निराकृत हो रूप धर प्रतिकार हित बन सर्वनाशी
सृष्टि के उस पाप को जड़-मूल से उच्छिन्न करतीं .
*

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
मकर संक्रान्ति के अवसर पर
उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

प्रकृति स्वयं ही संतुलन कर लेती है .... मौसम का मिजाज़ मनुष्य ने ही बदला है .... 2012 का सार्थक विश्लेषण

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

मानव ने छेड़ा इसे , भुगत रहे हैं आज
अब मौसम का देखिए,बिगड़ा हुआ मिजाज
बिगड़ा हुआ मिजाज , संतुलन इसने खोया
कहीं बरसती आग , बाढ़ ने कहीं डुबोया
झूमा मद में चूर , हाय बन बैठा दानव
दोहन से आ बाज,सँभल जा अब भी मानव ||