अतिथि गज़ल :डॉ .वागीश मेहता
साँसों पे बंदिश हुई हजरात क्या ,
दिन क़यामत की हुए सौगात क्या .
सूर्य की किरणें जहां हों ,कैद में ,
चांदनी की वाँ भला औकात क्या .
ज़िन्दगी हो गई किराने की दू काँ,
आदमी के अब भला ज़ज्बात क्या .
रोज़ का भुगतान हो जब आदमी ,
तब नए एहसास की शुरुआत क्या .
जिनका जीना हो शहादत की किताब ,
उनके सीने पर भला तगमात क्या .
हर बशर की साख रुसवा हो गई ,
मौत से बदतर हुए हालात क्या .
रौशनी का हो गया चेहरा स्याह ,
बेरहम इतनी हुई कायनात क्या .
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
गणतंत्र दिवस के लिए विशेष :
यही है सेकुलरिज्म
समाचार पत्रों में प्रकाशित एक खबर के अनुसार पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में जम्मू -कशमीर राज्य
के एक गाँव के निवासी चमेल सिंह की पीट पीट कर ह्त्या कर दी गई .उसका शव लाहौर के जिन्ना
अस्पताल में यूं ही पड़ा है .एक अन्य खबर के अनुसार बिलोचिस्तान में एक सिख व्यापरी का अपहरण
किया गया है .पहले भी वहां अपहरण के बाद एक सिख व्यापारी का सिर कलम कर दिया गया था .
आज से कुछ पहले जब ऑस्ट्रेलिया सरकार ने एक भारतीय मुस्लिम डॉ .को गैर -कानूनी गतिविधियों के
सिलसिले में गिरिफ़्तार किया गया था तो भारत के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने रुआंसा मुंह बनाकर कहा
था कि आस्ट्रेलिया के इस कदम से मैं इतना दुखी हुआ हूँ कि रात भर सो भी न सका .
अब इतने भारत धर्मी समाज के लोग (सिख )मारे गएँ हैं और रोज़ योरोप सहित अन्य देशों में भारतीयों पर
अत्याचार हो रहें हैं और प्रधान मंत्री जी शान्ति पूर्वक सो रहे हैं .उनके श्री मुख से इन जुल्मों के विरोध में
एक हलकी सी आवाज़ भी नहीं निकलती .आस्ट्रेलिया की घटना से तिलमिलाए मनमोहन सिंह इसका क्या ज़वाब देंगे .
लोगों को तो पता है तब अल्पसंख्यक वोट का सवाल था अब वह अपने श्री मुख से तो कुछ उच्चारें -कहीं
ऐसा तो नहीं उन्हें ऊपर से जो कुछ भी कहा जाता है बस वही वह बोलते हैं .
क्या यही सेकुलरिज्म है ?
विशेष :यह लड़ाई राष्ट्रवादियों और राष्ट्रघातियों के बीच में है .राष्ट्रघाती
सेकुलर होने का छद्म आवरण ओढ़े हुए हैं यही उनकी पहचान
है .अगर कहीं कोई अपने आपको सेकुलर कहता मिल जाए तो
उसकी
कैफियत पहचान लीजिएगा .
I am a Hindu and by corollary a terrorist .Jai ho
!
.This sentence of mine is dedicated to Mr
Shinde the HM of India ,not of Bharat .
4 टिप्पणियां:
मार्मिक-
देश के 64वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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आपकी पोस्ट के लिंक की चर्चा कल रविवार (27-01-2013) के चर्चा मंच-1137 (सोन चिरैया अब कहाँ है…?) पर भी होगी!
सूचनार्थ... सादर!
behtreen post....
सियासतदाँ की कैफियत को क्या कहिए..,
ये हिन्दू को हिन्दू कहे मुसलमाँ को मुसलमाँ.....
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