बुधवार, 16 जनवरी 2013

नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है

नौनिहालों की निरर्थक तारीफ़ करना भी ठीक नहीं है

माहिरों की माने तो गाहे बगाहे अपने बच्चों की बिला वजह निरर्थक ,खोखला पन  लिए तारीफ़ करते रहना

उनके लिए

मनोवैज्ञानिक तौर पर ठीक नहीं है .

Empty comments make the kids unhappy.

बच्चों को बिना किसी वाजिब वजह के अक्सर यह कहते रहना :बहुत 

चालाक हो तुम ,कलाकार हो तुम ,पूरे नौटंकी बाज़ हो उनके स्कूल में 

प्रदर्शन को भी आगे चलके प्रभावित कर सकता है .यह विचार व्यक्त किये 

है नाम चीन मनोविज्ञानी स्टीवन्स ग्रोस्श ने .

खोखली तारीफ के उलटे नतीजे निकल  सकतें हैं ,बच्चों को लगने लगता 

है वह इन झूठमूंठ की उम्मीदों ,false expectations पर  खरे नहीं उतर 

सकते .तालमेल नहीं बिठा पाते वह इस झूठी प्रशंसा के साथ .अच्छा नहीं 

लगता है उन्हें बड़ों का यह व्यवहार .डोलने लगता है उनका खुद पे भरोसा .

13 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बिलकुल ठीक कहा है ...
कई बार बिगड भी जाते हैं बच्चे ऐसी बातों से ...

रविकर ने कहा…

हुल्लड़ यू पी में किया, लौंडा नक्शेबाज |
अतिश्योक्ति है जुबाँ पर, शहजादा अंदाज |

शहजादा अंदाज, बड़ा शातिर यह नेता |
जन्मसिद्ध अधिकार, डोर सत्ता की लेता |

लेकिन घोड़े सभी, नहीं पाले है काबुल |
क्रिकेट में भी गधे, ठीक तो है ना राहुल ||

shikha varshney ने कहा…

न ज्यादा तारीफ अच्छी है न बेवजह लताड़ना कि बेकार हो तुम कुछ नहीं हो सकता तुम्हारा ....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

आज जो बच्चों में (अति) सेंटीमेंटल का गुण बहुतायत में पाया जाता है, मैं समझता हूँ यह भी उसकी एक खास वजह है।

Rajendra kumar ने कहा…

आपकी बात में हकीकत है की आज के बच्चो को ज्यादा छुट देने से वे बिगड़ भी जाते है।

Anita ने कहा…

सत्य वचन...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़े समझदारी होते हैं बच्चे, सच समझते हैं।

Pratibha Verma ने कहा…

बिलकुल ठीक कहा है ...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सही कहा.. आभार..

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

अभिभावकों का संतुलित व्यवहार ज़रूरी है ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सटीक बात ... संतुलित व्यवहार होना चाहिए ।

रश्मि शर्मा ने कहा…

बि‍ल्‍कुल सही

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. बिलकुल ठीक