Eating fruits ,veggies lifts mood ,makes you calmer
न्यूजीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय के रिसर्चदानों के अनुसार युवजन
पर्याप्त मात्रा में जी भर के खुराक में फल और तरकारियाँ लेते रहने
से न सिर्फ शांत चित्त ,पुरसुकून बने रहतें हैं अपना काम भी दमखम के
साथ करते हैं प्रसन्न बदन दिखलाई भी देते हैं .खुश रहतें हैं .
रोजमर्रा के संवेगों (भाव जगत की रागात्मकता )को प्रभावित करता है
पर्याप्त फल और तरकारियों का सेवन .
रिसर्चरों की टीम ने औसतन 20 साला उम्र के कुल 281लोगों का अध्ययन
विश्लेषण किया .इन सभी ने इंटरनेट आधारित एक फ़ूड डायरी का
लगातार 21 दिनी अनुकरण किया .
जिसदिन इन लोगों ने ज्यादा फल और तरकारियाँ खाई ,उस रोज़ ये
ज्यादा सकारात्मक ,ज्यादा पाजिटिव दिखे .ज्यादा शांत चित्त (उत्तेजना
कमसे कमतर इनमें दिखलाई दी ),ज्यादा खुश और ऊर्जित (ऊर्जा से भरे
उत्फुल्ल ,उमंगित )भी दृष्टिगोचर हुए .फल और तरकारियों के अलावा
अन्य खाद्यों का कोई ऐसा असर दिखलाई नहीं दिया .
अब सवाल उठता है अंडा पहले या मुर्गी बोले तो शांत चित्त होना पहले था
या
फल तरकारी खाना .कौन किसका अनुगामी रहा ?
आगे और जांच पड़ताल करने पर पता चला अगले दिन के मूढ़ का
आकलन ,
मिजाज़, आपने आज क्या और कितना खाया इससे प्रभावित होता है
.यानी
आज अगर आपने दिन भर में ज्यादा फल और तरकारियों का सेवन किया
है ,तब कल रहने वाले आपके चित्त ,ऊर्जा स्तर ,की प्रागुक्ति की जा
सकती है .आप खुश रहने वाले हैं अगले चौबीस घंटों .
न्यूजीलैंड के ओटागो विश्वविद्यालय के रिसर्चदानों के अनुसार युवजन
पर्याप्त मात्रा में जी भर के खुराक में फल और तरकारियाँ लेते रहने
से न सिर्फ शांत चित्त ,पुरसुकून बने रहतें हैं अपना काम भी दमखम के
साथ करते हैं प्रसन्न बदन दिखलाई भी देते हैं .खुश रहतें हैं .
रोजमर्रा के संवेगों (भाव जगत की रागात्मकता )को प्रभावित करता है
पर्याप्त फल और तरकारियों का सेवन .
रिसर्चरों की टीम ने औसतन 20 साला उम्र के कुल 281लोगों का अध्ययन
विश्लेषण किया .इन सभी ने इंटरनेट आधारित एक फ़ूड डायरी का
लगातार 21 दिनी अनुकरण किया .
जिसदिन इन लोगों ने ज्यादा फल और तरकारियाँ खाई ,उस रोज़ ये
ज्यादा सकारात्मक ,ज्यादा पाजिटिव दिखे .ज्यादा शांत चित्त (उत्तेजना
कमसे कमतर इनमें दिखलाई दी ),ज्यादा खुश और ऊर्जित (ऊर्जा से भरे
उत्फुल्ल ,उमंगित )भी दृष्टिगोचर हुए .फल और तरकारियों के अलावा
अन्य खाद्यों का कोई ऐसा असर दिखलाई नहीं दिया .
अब सवाल उठता है अंडा पहले या मुर्गी बोले तो शांत चित्त होना पहले था
या
फल तरकारी खाना .कौन किसका अनुगामी रहा ?
आगे और जांच पड़ताल करने पर पता चला अगले दिन के मूढ़ का
आकलन ,
मिजाज़, आपने आज क्या और कितना खाया इससे प्रभावित होता है
.यानी
आज अगर आपने दिन भर में ज्यादा फल और तरकारियों का सेवन किया
है ,तब कल रहने वाले आपके चित्त ,ऊर्जा स्तर ,की प्रागुक्ति की जा
सकती है .आप खुश रहने वाले हैं अगले चौबीस घंटों .
8 टिप्पणियां:
पुरानी कहावत है कि जैसा खायेंगे अन्न वैसा होगा मन.सात्विक और निरामिष भोजन, फलाहार निश्चय ही मन-मस्तिष्क को शान्ति प्रदान करता है. साधुवाद.
भोजन का प्रभाव मन पर पड़ता है, भोजन बनाने वाले का भी।
वाह !कितना सरल है तब तो अच्छा मूड बनाना..
शाक सब्जी एवं फलाहार निश्चित रूप से उत्तम आहार है . गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएं
New post कृष्ण तुम मोडर्न बन जाओ !
यानि शाकाहार सर्वोत्तम आहार है।
सहमत हैं हम तो पहले से ही।
वाह क्या बात है, इस बारे में तो कभी सोचा ही नहीं था.
सहमत ..... यह तो जांचा परख सच है.....
सर जी, बहुत ही सुन्दर आहार और व्यवहार के मध्य
घनिष्ठ sambandho संबंधो का उल्लेख
देश के प्राचीन साहित्य में उपलब्ध है
और इसकी वैज्ञानिकता की पुष्टि
आप की लेखनी ने कर दिया है ,
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