मंगलवार, 29 जनवरी 2013

इस देश की जनता दिग्विजय के उत्तर की प्रतीक्षा में है



जब से नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखने की आकांक्षा लोगों में बलवती होती 

जा रही है ,कांग्रेसियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं हैं .इसमें उन्हें अपनी करतूतों का डर ज्यादा सता रहा 

है .हालाकि ऊपर से वह अपने चहरे को लोकतांत्रिक और सेकुलर बनाने की कोशिश करते रहतें  हैं ,पर 

विभिन्न चैनलों पर होने वाली बहसों से अब ये उभरकर सामने आने लगा है कि मूल लड़ाई तो राष्ट्रवादियों 

और राष्ट्रघातियों के बीच में है .सेकुलर होने का तो फंडा है .

कांग्रेसी जमात में जो सबसे ज्यादा घबराए हुए  हैं वह हैं दिग्विजय सिंह .कारण यह कि उन्होंने कई बार 

आतंकवादियों  के हक़ में हरकतें की हैं .ओसामा बिन लादेन को "जी "कहना और हाफ़िज़ को "साहब 

"कहना उन्हें बहुत अच्छा लगता है .यूं उत्तर प्रदेश में जाकर वह आतंकवादियों के हक़ में उनके घरों में 

बैठकर स्यापा कर चुके हैं .मुंबई पर हुए हमले में शहीद हेमंत करकरे के मुद्दे को भी उन्होंने उलझाने की बहुत  

कोशिश की है कि वह आतंकवादियों की गोली से नहीं मरे थे .दिल्ली में आतंकवादी वारदात में मारे गए 

इन्स्पेक्टर शर्मा की शहादत पर भी उन्होंने सवाल उठा दिया था .चैनल वाले तो दिग्विजय सिंह से अपने 

हिसाब से सवाल पूछेंगे पर देश के राष्ट्रीय जन का बार -बार अपमान करने वाले इस राजनीतिक धंधे बाज़ 

से इस देश की जनता भी कुछ पूछना चाहती है .हमारे इस ब्लॉग पर पूछे जा रहे प्रश्न भारतीय राष्ट्र जन का 

प्रतिनिधित्व करते हैं .भारतीय समाज में "जी "और साहब शब्द का प्रयोग कुछ ख़ास स्थितियों में होता है 

.ये स्थितियां इस प्रकार की हैं :

(1)जो आपसे उम्र में बड़ा और आपका आदरणीय हो 

(2)जिसका सामाजिक आचरण उच्च कोटि का हो 

(3)कोई उम्र में भले छोटा हो किन्तु अपने मानवीय गुणों के कारण वह आपका आदरणीय हो गया हो .

(4)जिसके आधीन आप काम करते हों 

(5)जिससे आप भय खाते हों 

(6)जब आप अपने धत कर्मों से लज्जित हों 

(7)या फिर जहां आपने बहिन ,बेटी का रिश्ता किया हो 

यह स्पष्ट  है पहले पांच बिंदु तो दिग्विजय पर लागू नहीं होते हालाकि लोगों में अपनी मासूमियत दिखाने 

के लिए वह स्वयं को लोगों के बहाने पागल कहते रहते हैं .सभी जानते हैं वह शातिर आदमी हैं .जहां तक 

लोगों की बात है तो भोपाल और उसके आस पास के क्षेत्र  में ऐसे बहुत से लोग मिल जायेंगे जो लुके छिपे ये 

कह देते हैं कि इस शख्श को बोलने के दस्त लगें हैं .हम ऐसी मानसिकता को अच्छा नहीं समझते .ऐसे शब्द 

नहीं कहे जाने चाहिए .बहरहाल मुद्दा इधर से उधर न हो जाए हमें तो दिग्विजय सिंह यह बतला दें कि उठाए 

गए सातवें बिंदु पर वह क्या कहना चाहते हैं .यदि सचमुच का रिश्ता बना ही लिया है तो फिर संकोच कैसा ?


हम तो उन्हें दिग्विजय ही कहेंगे पर बात करते हुए वह दिग्पराजय की भूमिका में आ जाते हैं .इस देश की 

जनता उनके उत्तर की प्रतीक्षा में है.

इस देश की जनता दिग्विजय के उत्तर की प्रतीक्षा में है

6 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

वीरुभाई जी इसे कहते हैं अंधभक्ति अगर आपके मोहन भगवत जी इन्हें ''जी''या साहब कहते तो आप कोई न कोई तर्क उनके समर्थन में दे ही देते कि उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्हें झाड़ पर चढ़ा कर गिराने का इरादा रखते थे वैसे मोदी जी की खिलाफत बहार तो कम उनके अपने दल में ही कुछ ज्यादा है इस पर भी तो कुछ कहिये रोचक प्रस्तुति मानवाधिकार व् कानून :क्या अपराधियों के लिए ही बने हैं ? आप भी जाने इच्छा मृत्यु व् आत्महत्या :नियति व् मजबूरी

virendra sharma ने कहा…

वक्त का इंतज़ार कीजिए मोदी उस हवा का नाम है जो विदेश में पूरे आवेग से बहती है .मोदी माने गुजरात ,गुजरात बोले तो भारत यही सदा है योरोप की बाहर निकलो तो जानो .

virendra sharma ने कहा…

संवाद बनाए रहिए शालिनी जी . आभार .

अभी तो और भी रातें सफर में आयेंगी ,

चरागे शब मेरे महबूब संभाल के रख .

रविकर ने कहा…

दिवालिया दिग्विजय दुर, दुर्भाषी दुर्मर्ष |
दो दिन में ही दे मिटा, सत्ता का संघर्ष |
सत्ता का संघर्ष, बड़ा बडबोलापन है |
गिरेअर्श से फर्श, शक्तिशाली जन-गन है |
खतरनाक दुर्वचन, बका जो अभी हालिया |
जो चुनाव आसन्न, हो कांग्रेस दिवालिया ||

virendra sharma ने कहा…

मैंने दिग्विजय के वक्तव्यों पर सवाल उठाए थे .उन्होंने ओसामा बिन लादेन और हाफ़िज़ सईद के लिए "जी "और "साहब "का प्रयोग किया है .इस देश के स्वाभिमान को चुनौती देने वाले

,मुंबई पर हमला करने वाले सैंकड़ों हजारों लोगों के हत्यारे और भारत को अपना दुश्मन घोषित करने वाले इन आतंकवादियों के लिए "जी" और "साहब "जैसे आदरसूचक शब्दों का प्रयोग

करना किस न्याय के अंतर गत तर्क संगत है ?अपराध करने वाले व्यक्ति का सहकारी भी अपराधी माना जाता है .कोई और स्वाभिमानी देश होता तो दिग्विजय जैसी प्रवृत्ति के व्यक्ति को

शेष जीवन एडियाँ रगड़ने के लिए जेल में डालदेता .दुर्भाग्य यह है कि आप जैसी शिक्षित महिला भी परोक्ष रूप से दिग्विजय का समर्थन कर रही हैं .जब आप मेरे द्वारा कहे गए तर्कों को

पचाने से इनकार करती हैं तो आतंकवाद की समर्थक भाषा का प्रयोग करने वाले दिग्विजय को कौन सम्मान देगा .ये तो भारत का लोक तंत्र है जिसमें दिग्विजय जैसे राष्ट्र हित के विरोधी

और आप जैसी उनकी समर्थक दनदनाते फिर रहें हैं .आपका कोई दोष नहीं है .बस इतना ही कि राष्ट्रहित को देखके टिपण्णी दिया करें .

Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सार्थक मुद्दा उठाया आपने,देखे आगे क्या होता है।