दिल्ली तो क्या पूरे देश की हालत खौफनाक है ,जिन्हें सुनना चाहिए वह बहरे हो गएँ हैं जिन्हें कहना
चाहिए वह गूंगे हो गए हैं .पीड़िता के शव को लेने जो रात के अँधेरे में एयर पोर्ट पर जा सकते हैं वे दिन के
उजाले में प्रदर्शनकारियों से मिलने से डरते हैं .ऐसी हालत में क्या टिपण्णी की जाए .इसी हालात पर एक
वागीश जी की कविता
दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता
चाहिए वह गूंगे हो गए हैं .पीड़िता के शव को लेने जो रात के अँधेरे में एयर पोर्ट पर जा सकते हैं वे दिन के
उजाले में प्रदर्शनकारियों से मिलने से डरते हैं .ऐसी हालत में क्या टिपण्णी की जाए .इसी हालात पर एक
वागीश जी की कविता
दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(1)
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी .
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी .
2 टिप्पणियां:
BEHATAREEN ,BEHATAREEN ,DHARDAR AUR BEBAK PRASTUTI**खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(1)
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(1)
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )
लेवल :बहरा राजा ,गूंगी रानी ,दिल्ली की अब यही ,कहानी . खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(1)
पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
कभी शेर थी अब है बिल्ली
अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
अब तो शिशु पालों की दिल्ली
काले परदे ,काले शीशे,
चलती बस में , बड़े सुभीते ,
हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,
पंजों में औरत कब्जानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी
(2)
दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,
उसमें बैठे कई सिकन्दर ,
अपने दलबल अपने लशकर ,
हुश हुश करते कई कलंदर
पैने नख और दन्त नुकीले ,
खों खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,
सीमा लांघें ,लंका काण्ड करें मनमानी
खरपत राजा ,चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(3)
शिव भागे ,भस्मासुर पीछे,
देवों पर है भारी दिल्ली ,
लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,
राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,
वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,
फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,
यूं तो बुरे नहीं है चीनी ,
पर उनकी सूरत अलगानी .
खरपत राजा चरपत रानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
(4)
सत्ता पद तो ठीक ठाक है ,
जब तक कुर्सी ,पाक साफ़ है ,
दुष्टों ने पर हवा बनाई ,
टूजी ,कोयला ,खेल सफाई ,
साख का पारा शून्य से नीचे ,
अब अपनों ने की रुसवाई ,
खेत अकेला खड़ा बिजूका ,
सहता सर्दी ,बारिश पानी ,
दिल्ली की अब यही कहानी .
बेहतरीन रचना।
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