मिथ या यथार्थ ? मोटे अनाज हमेशा अच्छे ?
साजे गोला ऊन का, गुड़ का बनता पाग |
तिलकुट मोटा बाजरा, ज्वार चना कुल भाग |
ज्वार चना कुल भाग, ठण्ड तो बाघ बन रही |
एक आसरा आग, जला के होय बतकही |
दादा दादी कहाँ, सुनाते किस्से ताजे |
लट्टू कंचा गोल, हाथ मोबाइल साजे ||
------------------कविवर कुंडलीकार रविकर जी
मोटे अनाज हमेशा अच्छे ?
Whole grain foods not always good :
वर्तमान मानकों पर गौर करें तो चीनी लदे केलोरी लदे मोटे अनाज हमेशा स्वास्थ्य प्रद ही रहें यह बात
मान्य नहीं है .भ्रामक ज्यादा है .यह घोषणा हावर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के साइंसदानों ने अपने एक
अध्ययन के बाद पुर जोर तरीके से की है .महज़ मिथ है मीडिया हाइप है मल्टी सीरिअल ब्रेकफास्ट को इस
कद्र हाइप करना .
यथार्थ :परम्परा गत मोटे अनाज ही भले जो चक्की से छांट कर सुविधा और जायके के अनुरूप पिसवाएं हैं
जौ ,गेंहू ,सोया ,चना ,ज्वार आदि का मिश्र .
गाडुले (घुमंतू )लुहार खाते हैं मोटी बे -झड (गेंहू -जौ -चने )की मोटी रोटी पानी का हाथ लगी कोयला कंडों पे
सिंकी . लहसुन लालमिर्च की चटनी के संग .हेल्थ टोनिक है यह चटनी मेटाबोलिक रेट्स (अपचयन दर
,केलोरीज़ खर्ची की दर )को बढ़ाती है .
मिथ या यथार्थ :
Pear -shaped bodies are healthier ?That's a myth
महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना ,पीअर शेप बोडी एपिल शेप से बेहतर
रहती है आरोग्य के नज़रिए से .
अक्सर एब्डोमन के गिर्द जिन लोगों में ज्यादा चर्बी चढ़ जाती है उनके
लिए दिल की बीमारियों और मधुमेह के खतरे का वजन बढ़ा हुआ आंका
गया है .ऐसे लोगों को एपिल शेप कह दिया जाता है .
जिन लोगों के नितम्ब ,कूल्हों ,जघ्न प्रदेश (जंघाओं के गिर्द )के गिर्द चर्बी
का डेरा रहता है ज्यादा चर्बी चढ़ी रहती है उन्हें पीअर शेप बतलाया जाता है
.आरोग्य के नज़रिए से इन्हें अभी तक लाभ की स्थिति में ही समझा गया
था .
अब UC Davis Health System ,California के साइंसदानों ने अपने एक
ताज़ातरीन अध्ययन के तहत पता लगाया है ,नितम्बों ,कूल्हों के गिर्द चढ़ी
चर्बी से एक ख़ास प्रोटीन का असामान्य स्तर का स्राव होता है जिससे
इन्फ्लेमेशन का जोखिम भी बढ़ सकता है इन्सुलिन रेजिस्टेंस का भी
.खासकर उन लोगों में जिनमें मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रारम्भिक लक्षण
प्रगट होने लगते हैं .
यथार्थ :किसी भी बिध भला नहीं है मोटापा
Metabolic syndrome:
साजे गोला ऊन का, गुड़ का बनता पाग |
तिलकुट मोटा बाजरा, ज्वार चना कुल भाग |
ज्वार चना कुल भाग, ठण्ड तो बाघ बन रही |
एक आसरा आग, जला के होय बतकही |
दादा दादी कहाँ, सुनाते किस्से ताजे |
लट्टू कंचा गोल, हाथ मोबाइल साजे ||
------------------कविवर कुंडलीकार रविकर जी
मोटे अनाज हमेशा अच्छे ?
Whole grain foods not always good :
वर्तमान मानकों पर गौर करें तो चीनी लदे केलोरी लदे मोटे अनाज हमेशा स्वास्थ्य प्रद ही रहें यह बात
मान्य नहीं है .भ्रामक ज्यादा है .यह घोषणा हावर्ड स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ के साइंसदानों ने अपने एक
अध्ययन के बाद पुर जोर तरीके से की है .महज़ मिथ है मीडिया हाइप है मल्टी सीरिअल ब्रेकफास्ट को इस
कद्र हाइप करना .
यथार्थ :परम्परा गत मोटे अनाज ही भले जो चक्की से छांट कर सुविधा और जायके के अनुरूप पिसवाएं हैं
जौ ,गेंहू ,सोया ,चना ,ज्वार आदि का मिश्र .
गाडुले (घुमंतू )लुहार खाते हैं मोटी बे -झड (गेंहू -जौ -चने )की मोटी रोटी पानी का हाथ लगी कोयला कंडों पे
सिंकी . लहसुन लालमिर्च की चटनी के संग .हेल्थ टोनिक है यह चटनी मेटाबोलिक रेट्स (अपचयन दर
,केलोरीज़ खर्ची की दर )को बढ़ाती है .
मिथ या यथार्थ :
Pear -shaped bodies are healthier ?That's a myth
महज़ मिथ है ऐसा मानना समझना ,पीअर शेप बोडी एपिल शेप से बेहतर
रहती है आरोग्य के नज़रिए से .
अक्सर एब्डोमन के गिर्द जिन लोगों में ज्यादा चर्बी चढ़ जाती है उनके
लिए दिल की बीमारियों और मधुमेह के खतरे का वजन बढ़ा हुआ आंका
गया है .ऐसे लोगों को एपिल शेप कह दिया जाता है .
जिन लोगों के नितम्ब ,कूल्हों ,जघ्न प्रदेश (जंघाओं के गिर्द )के गिर्द चर्बी
का डेरा रहता है ज्यादा चर्बी चढ़ी रहती है उन्हें पीअर शेप बतलाया जाता है
.आरोग्य के नज़रिए से इन्हें अभी तक लाभ की स्थिति में ही समझा गया
था .
अब UC Davis Health System ,California के साइंसदानों ने अपने एक
ताज़ातरीन अध्ययन के तहत पता लगाया है ,नितम्बों ,कूल्हों के गिर्द चढ़ी
चर्बी से एक ख़ास प्रोटीन का असामान्य स्तर का स्राव होता है जिससे
इन्फ्लेमेशन का जोखिम भी बढ़ सकता है इन्सुलिन रेजिस्टेंस का भी
.खासकर उन लोगों में जिनमें मेटाबोलिक सिंड्रोम के प्रारम्भिक लक्षण
प्रगट होने लगते हैं .
यथार्थ :किसी भी बिध भला नहीं है मोटापा
Metabolic syndrome:
Metabolic syndrome is a name for a group of risk factors that occur together and increase
Causes, incidence, and risk factors
Metabolic syndrome is becoming more and more common in the United States.
Researchers are not sure whether the syndrome is due to one single cause, but all of the
risks for the syndrome are related to obesity.
The two most important risk factors for metabolic syndrome are:
- Extra weight around the middle and upper parts of the body (central obesity). Thebody may be described as "apple-shaped."
- Insulin resistance. The the body uses insulin less effectively than normal. Insulin isneeded to help control the amount of sugar in the body. As a result, blood sugarand fat levels rise.
Other risk factors include:
- Aging
- Genes that make you more likely to develop this condition
- Hormone changes
- Lack of exercise
People who have metabolic syndrome often have two other problems that can either
cause the condition or make it worse:
- Excess blood clotting
- Increased levels of blood substances that are a sign of inflammation throughout thebody
7 टिप्पणियां:
साजे गोला ऊन का, गुड़ का बनता पाग |
तिलकुट मोटा बाजरा, ज्वार चना कुल भाग |
ज्वार चना कुल भाग, ठण्ड तो बाघ बन रही |
एक आसरा आग, जला के होय बतकही |
दादा दादी कहाँ, सुनाते किस्से ताजे |
लट्टू कंचा गोल, हाथ मोबाइल साजे ||
सुबह दलिया खायी है..
Obesity तो नुकसानदेह है ही ... कई रोगों को बुलावा देती है ...
~सादर!!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (13-12-2013) को (मोटे अनाज हमेशा अच्छे) चर्चा मंच-1123 पर भी होगी!
सूचनार्थ!
ब्रिटिश मानक तो ऐसे ही होते हैं बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति भारत सदा ही दुश्मनों पे हावी रहेगा .
साथ ही जानें
@ट्वीटर कमाल खान :अफज़ल गुरु के अपराध का दंड जानें .
मोटे अनाज सेहतमंद होते हैं ये सूना है ... फल भी अच्छे होते हैं पर आजकल पहुँच से बाहर हो जाते हैं कई बार ...
राम राम जी ... रोचक जानकारी के लिए ...
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