भारतीय शासन व्यवस्था की काया पे निर्भया एक ऐसा जख्म छोड़ गई है जो भरते भरते ही भरेगा
.फिलवक्त उस जख्म से मवाद रिसने लगा है .खाज मची है सारी राजनीतिक काया पर .प्रतिक्रियाएं आना
इस बात का सबूत है। ये लोग अब सामने आ रहें हैं भले इनके नजरिये तंग दिल हों .आधुनिक भारत की
अवधारणा की अवमानना करते हों .कमसे कम ये अपनी चौंच तो खोल रहें हैं .
एक राज्य के मुख्यमंत्री कहतें हैं कुछ तारामंडलों में सितारों का विन्यास प्रतिकूल है ये समय आधी आबादी
के लिए बड़ा भारी है .बलात्कार इसीलिए बढ़ें हैं .
एक स्वनाम धन्य आध्यात्मिक गुरु बड़ा नायाब नुस्खा लायें हैं वहशी लम्पट बलात्कारियों को भगाने का
.बकौल इनके सरस्वती का जाप सुनके ये भाग जायेंगें .
हमारा सादर अनुरोध है माननीय आप इसका अखंड वाचन अविलम्ब शुरू करवाएं अपने मशहूर आश्रम में .
एक नाम चीन शख्शियत ने कहा औरत अब माँ बहन के रोल में कम करियर वुमेन के रोल में ज्यादा है
.जींस और टॉप पहनती है .
पश्चिमी रंग में रंगी है .दिभ्रमित है वह .असंयमी है स्वच्छंद संभोगी है ,भ्रम ग्रस्त पश्चिमी रंग में सराबोर
है .
लिंगभेद का जहर किस कदर इन महानुभावों की काया में फ़ैल चुका है यह एक निर्भया ने साफ़ करवा दिया
है .बकौल इन प्रगति वादी लोगों के आज की औरत भारत की दिव्य परम्पराओं का अतिक्रमण कर रही है
.जो कुछ
हो रहा है उसके लिए वह भी कम अन -उत्तरदाई नहीं है .
एक खापीये (खाप पंचायत के स्वनाम धन्य महावीर )कह रहे थे :चाउमीन खाने से नै पौध लम्पट हो रही है .
बकौल इनके रजस्वला होते ही लड़की पहले की तरह ब्याह दी जाए .
ये खापजादे मासूम प्रेमियों की सरे आम जान लेंगे .डिसआनर ब्रूटल किलिंग करेंगे ,बलात्कारियों का ज़िक्र
नहीं करेंगे . इनके गिर्द औरत को चुड़ेल घोषित करके नंगा घुमाया जाएगा ये खापीये उफ़ न करेंगे ,
दोगले हैं ये तमाम लोग .सबके सब निर्बुद्ध है .शासन व्यवस्था का ज़िक्र नहीं करेंगे .नान -गवर्नेंस की बात
नहीं करेंगे .
क़ानून ये बनायेंगे लागू कोई और करेगा .या फिर क़ानून खाप का चलेगा .
इंडिया का आधार कार्ड (पहचान )अब बलात्कार बन गया है .रही सही कसर ये लोग अपने अधकचरे
अर्वाचीन विचारों से पूरी कर रहें हैं .
शर्म इन्हें फिर भी नहीं आती .मुझे और आपको आती है इनके अनर्गल प्रलाप पर .
.फिलवक्त उस जख्म से मवाद रिसने लगा है .खाज मची है सारी राजनीतिक काया पर .प्रतिक्रियाएं आना
इस बात का सबूत है। ये लोग अब सामने आ रहें हैं भले इनके नजरिये तंग दिल हों .आधुनिक भारत की
अवधारणा की अवमानना करते हों .कमसे कम ये अपनी चौंच तो खोल रहें हैं .
एक राज्य के मुख्यमंत्री कहतें हैं कुछ तारामंडलों में सितारों का विन्यास प्रतिकूल है ये समय आधी आबादी
के लिए बड़ा भारी है .बलात्कार इसीलिए बढ़ें हैं .
एक स्वनाम धन्य आध्यात्मिक गुरु बड़ा नायाब नुस्खा लायें हैं वहशी लम्पट बलात्कारियों को भगाने का
.बकौल इनके सरस्वती का जाप सुनके ये भाग जायेंगें .
हमारा सादर अनुरोध है माननीय आप इसका अखंड वाचन अविलम्ब शुरू करवाएं अपने मशहूर आश्रम में .
एक नाम चीन शख्शियत ने कहा औरत अब माँ बहन के रोल में कम करियर वुमेन के रोल में ज्यादा है
.जींस और टॉप पहनती है .
पश्चिमी रंग में रंगी है .दिभ्रमित है वह .असंयमी है स्वच्छंद संभोगी है ,भ्रम ग्रस्त पश्चिमी रंग में सराबोर
है .
लिंगभेद का जहर किस कदर इन महानुभावों की काया में फ़ैल चुका है यह एक निर्भया ने साफ़ करवा दिया
है .बकौल इन प्रगति वादी लोगों के आज की औरत भारत की दिव्य परम्पराओं का अतिक्रमण कर रही है
.जो कुछ
हो रहा है उसके लिए वह भी कम अन -उत्तरदाई नहीं है .
एक खापीये (खाप पंचायत के स्वनाम धन्य महावीर )कह रहे थे :चाउमीन खाने से नै पौध लम्पट हो रही है .
बकौल इनके रजस्वला होते ही लड़की पहले की तरह ब्याह दी जाए .
ये खापजादे मासूम प्रेमियों की सरे आम जान लेंगे .डिसआनर ब्रूटल किलिंग करेंगे ,बलात्कारियों का ज़िक्र
नहीं करेंगे . इनके गिर्द औरत को चुड़ेल घोषित करके नंगा घुमाया जाएगा ये खापीये उफ़ न करेंगे ,
दोगले हैं ये तमाम लोग .सबके सब निर्बुद्ध है .शासन व्यवस्था का ज़िक्र नहीं करेंगे .नान -गवर्नेंस की बात
नहीं करेंगे .
क़ानून ये बनायेंगे लागू कोई और करेगा .या फिर क़ानून खाप का चलेगा .
इंडिया का आधार कार्ड (पहचान )अब बलात्कार बन गया है .रही सही कसर ये लोग अपने अधकचरे
अर्वाचीन विचारों से पूरी कर रहें हैं .
शर्म इन्हें फिर भी नहीं आती .मुझे और आपको आती है इनके अनर्गल प्रलाप पर .
11 टिप्पणियां:
जनता के ये गम गहराई में उतर चूका है ..इसी लिए उपर वाले बोखलाय गए हैं।
मोमेंटम में तन-बदन, पश्चिम का आवेग ।
सोच रखी पर ताख पर, काट रही कटु तेग ।
काट रही कटु तेग, पुरातन-वादी भारत ।
रहा अभी भी रेंग, रेस नित खुद से हारत ।
ब्रह्मचर्य का ढोंग, आस्था का रख टम-टम ।
पश्चिम का आवेग, सोच को दे मोमेंटम।
विचारणीय....
शर्मनाक स्थिति!:(
~सादर!!!
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 10 -01 -2013 को यहाँ भी है
....
सड़कों पर आन्दोलन सही पर देहरी के भीतर भी झांकें.... आज की हलचल में.... संगीता स्वरूप. .
हद है संत आसाराम जी की ....बापू कहने का तो मन ही नहीं है
आजकल कुछ भी किसी को भी कह देने में शर्म नहीं आती ... ओर अब तप लगता है मीडिया इन बातों को मसाला बनाने में नहीं चूकता ... रस भर भर के परोसता है ..
आज कल उस बच्ची की मौत के बाद जो जिन्दा है उनको निशाना बनाया जा रहा है बजाय इसके की इसका हल क्या हो? जिसको जो समझ आ रहा है बगैर मर्यादा और विवेक के बोले जा रहा है। एक विषय मिला है बोलने के लिए . हल से हम अभी कोसों दूर हैं . पहले बड़बोलों पर ही अंकुश लगाया जाय !
अब सब पूछेंगे ..शर्म किस चिड़िया का नाम है ?
भाँति भाँति के लोग..
वाकई....शर्म नहीं आती इन्हें...सही लिखा है आपने
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