बिंदास बोल
वो 'चुप्पा मुंह' बोला आज .कहा: इन हालातों में पाक के साथ रिश्ते रखना
मुमकिन नहीं .पाक मुआफी मांगे अपने किये की .
इसी के साथ कई शौकिया चैनलिए मुंह खुले .कुछ ने कहा पाक में प्रजा तंत्र
खतरे में हैं फिलवक्त .हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे वहां
प्रजा तंत्र को ख़तरा पहुंचे .
पूछा जा सकता है इन गाल बजइयों से तब क्या पाक से पिटते रहें ?
सरकार में जितने आदमी उतने मुंह कल विदेश मंत्री कह रहे थे .एक फ्लेग
मीटिंग्स से कुछ नहीं होगा सिलसिला शुरू हुआ है धीरे धीरे ही इसके नतीजे
सामने आयेंगें .
प्रधान मंत्री आज कुछ हट के बोल रहें हैं हालाकि उनकी वाणी में तेज़ कभी
नहीं होता .समभाव बनाए रहतें हैं वीर रस की बात भी करुण रस में कहतें
हैं .
हमारा मानना है पाकिस्तान नाम की कोई संस्था ही नहीं है .पाक
हिन्दुस्तान का समधियाना है क्या ?धर्म के आधार पे हुआ था भारत का
विभाजन .विभाजन के बाद से कोई हिन्दू पाकिस्तान नहीं जाना चाहता
.अलबत्ता मुसलमान भारत के पाक से रिश्ते बेटी रोटी के बनाए हुए हैं
.यही लोग पाक जातें हैं .
हिन्दुस्तान का सेकुलर चेहरा है मुसलमान .क्या सिर्फ इन्हीं के लिए इस
मुल्क से सम्बन्ध बनाए रखा जाए ?
मुसलमान पाक के यहाँ जासूसी करने आतें हैं .
पूछा जा सकता है ऐसे गर्भच्युत राज्य में हमारे राजदूत क्या कर रहें हैं और
किसलिए बने हुए हैं ?
किसलिए पाक के नागरिकों को वीजा ज़ारी किया जाए ?
क्या राजदूत हाफ़िज़ सईद से संवाद बनाए रखने के लिए हैं या आई एस
आई से ,उग्रवादियों से या फिर लश्करे तैयबा से ?आखिर पाक नाम की शै
है किस चिड़िया का नाम ?और क्यों हम उससे सम्बन्ध बनाए रहें .
एनफ इज एनफ 1948 के बाद से ही पाक कबीलाई मुद्रा में हिन्दुस्तान को
गुर्राए जा रहा है यह पिद्दा का शौर्बा .अब देश और नहीं सहेगा इस जारज
संतान को .
6 टिप्पणियां:
सर जी बहुत खूब पाक में प्रजातंत्र है ही नहीं ,हमारी
सर्कार भी बहुमुखी हो गयी है ,सर्कार की जिह्वा
जिह्वा भी बेलगाम ,हे इश्वर इन्हें
सद्बुद्धि दो
हाय हाय रे मीडिया, देश-देश का भक्त ।
टी आर पी की दौड़ सह, विज्ञापन आसक्त ।
विज्ञापन आसक्त, आज तक पूजा बेदी ।
बलि बेदी पर शीश, मस्त है घर का भेदी ।
लगा दिया आरोप, विपक्षी भड़काते हैं ।
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त देखो आते हैं ।।
व्यापारी है मीडिया, सदा देखता स्वार्थ ।
विज्ञापन मछली बड़ी, आँख देखता पार्थ ।
आँख देखता पार्थ, अर्थ में दीवाना है ।
रहे बेंचता दर्द, मर्ज से अनजाना है ।
नकारात्मक खबर, बने हर समय सुर्खियाँ ।
सकारात्मक त्याज्य, लगे खुब जोर मिर्चियाँ ।।
उफ़ ... आज तो गज़ब का आक्रोश लिए है ...
चलिए कुछ तो बोले हमारे गूगे राजा ... अब बोल के फिस्स होते हैं या आगे भी बोलते हैं ये देखना है ...
जवाब तो माक़ूल है, कुछ कर के भी दिखाया जाये नराधमों को।
विभाजन .विभाजन के बाद से कोई हिन्दू पाकिस्तान नहीं जाना चाहता
अलबत्ता मुसलमान भारत के पाक से रिश्ते बेटी रोटी के बनाए हुए हैं ...
बहुत खूब सर जी..
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