फर्क है भारत और इंडिया में .,रील लाइफ़ और रीअल लाइफ़ में
.बलात्कार और यौन संबंधों को ग्लेमराइज करने वाले इंडिया में मिलेंगे .ये
हिन्दुस्तान है उन लोगों का जो भारत को विभाजित
.बलात्कार और यौन संबंधों को ग्लेमराइज करने वाले इंडिया में मिलेंगे .ये
हिन्दुस्तान है उन लोगों का जो भारत को विभाजित
करवाते हैं
,बांटते हैं .जब ज़रुरत पड़ती है वोटों की अयोध्या में जातें हैं मंदिर का ताला खुलवाते हैं लेकिन मंदिर इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश के
बाद भी बनावाने की हिम्मत नहीं जुटाते की वहां बाबरी से
पहले मंदिर ही था .
नै दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफोर्म नम्बर एक के रास्ते में एक दरगाह (मस्जिद जैसा कुछ है )ये सेकुलर उसे इस कीमत पर भी बनाए हुए
हैं वह आने जाने वाली गाड़ियों के सिग्नल में बाधा है .ये
सेकुलर नाम के प्राणि इसी इंडिया में पाए जाते हैं भारत में नहीं .
ये वही लोग हैं जो हरियाणा में एक दलित कन्या के सामूहिक रूप से बलात्कृत होने की घटना पर कहतें हैं बलात्कार पूरे भारत में हो रहे हैं
(निहितार्थ होता है हरियाणा ) क्यों पीछे रहे )मकसद होता
है
सवर्ण और अ -वर्ण को बांटना .
दलित को बाँट बाँट के खाना ,कलावती के घर जाके सोना ,खाना पञ्च तारा होटल से मंगवा के खाना .मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के विधायक अकबरूद्दीन ओवैसी का बगल बच्चा बनना .
मुसलमानों का भारतीय संपदा और संशाधनों पर पहला हक़ बतलाना .
शाहबानों मामले में एक बेवा के हक़ में आने वाले गुज़ारा भत्ता दिलवाने वाले फैसले को बदल देना .इन्हीं लोगों का काम है .इंडिया इन्हीं हिन्दुस्तानियों का है .
इनके नेता है युवा नेता कहे समझे जाने वाले राहुल गांधी ,इनकी सुपर त्यागी माता सोनियाजी इसी इंडिया की एक अतिसशक्त महिला समझी जातीं हैं जिनके राज में महिलाएं सर्वाधिक अ -सुरक्षित हैं .
ये वही लोग हैं जो बलात्कृता का नाम बतलाये जाने की पेशकश करते हैं .एक युवती के बर्बरता पूर्वक बलात्कार के बाद मारे जाने को ये शहादत कहतें हैं .उसके नाम पे बलात्कार क़ानून का नामकरण करना चाहते हैं .
वोट के सौदागर हैं ये इंडिया वाले .भारत धर्मी समाज पे ये गरियाते हैं .कौन सा शहर आज भारत का सुरक्षित है ?गाँव सबका होता है शहर निस्संग होता है किसी का नहीं होता होता तो निर्भय और उसका युवा साथी दो घंटे तक जख्मी करके फैंक दिए जाने के बाद सडक पे न पड़े रहतें ,कारें आतीं रहीं जाती रहीं किसी न तन ढांपने को कपड़ा भी न दिया .
अब अम्मा कहती है बेटा भारत में ही रहना इंडिया में न जाना .क्या मिलता है वहां जाके ?
अपनी पहचान भी भूल जाएगा .भारत धर्मी सामज में रह .क्या करेगा उस चकाचौंध में जहां हाथ को हाथ नहीं सूझता .
सोते मोतीलाल नेहरु हैं ज़मीन पे चादर बिछाके जेल जाने पर ताकि आम आदमी से अपने को जोड़ सकें इनके वारिस कहतें हैं महात्मा गांधी थे वह आन्नद भवन वासी जो जेल में चादर बिछाके सोये थे फर्श पर .
इन्हें न देश के इतिहास का ज्ञान हैं न भूगोल का फिर संस्कृति का कहाँ से होगा .भारत धर्मी समाज की पीड़ा से ये लोग वाकिफ नहीं हैं .इनकी तो गर्ल फ्रेंड भी विदेशी हैं .इनके तो पुरखों की भी गर्ल फ्रेंड विदेशी थीं .ये गर्ल फ्रेंड का चलन तभी से है .लिविंग टुगेदर उसका विस्तार है .
बलात्कार और सारे धत कर्म इसी इंडिया में ज्यादा होते हैं .यहाँ के तो सांसद भी तिहाड़ जाने की होते आने की काबलियत लिए हुए हैं .
बलात्कार से भी सज्जित हैं .
4 टिप्पणियां:
सर जी आप के द्वारा प्रस्तुत बहु आयामी और विविधताओं से परिपूरित प्रस्तुतिओं ने --इंडियन और भारतीय की जो व्याख्या की है,गजब की और स्टिक है ही,बेहतरीन ,न्यू पोस्ट = KHICHADI
KAISA JAMANA AA GYA ***LIV IN KO TOGETHER KAH DIYA,**BEHATAREEN SIR JI अब अम्मा कहती है बेटा भारत में ही रहना इंडिया में न जाना .क्या मिलता है वहां जाके ?
अपनी पहचान भी भूल जाएगा .भारत धर्मी सामज में रह .क्या करेगा उस चकाचौंध में जहां हाथ को हाथ नहीं सूझता .
सोते मोतीलाल नेहरु हैं ज़मीन पे चादर बिछाके जेल जाने पर ताकि आम आदमी से अपने को जोड़ सकें इनके वारिस कहतें हैं महात्मा गांधी थे वह आन्नद भवन वासी जो जेल में चादर बिछाके सोये थे फर्श पर .
इन्हें न देश के इतिहास का ज्ञान हैं न भूगोल का फिर संस्कृति का कहाँ से होगा .भारत धर्मी समाज की पीड़ा से ये लोग वाकिफ नहीं हैं .इनकी तो गर्ल फ्रेंड भी विदेशी हैं .इनके तो पुरखों की भी गर्ल फ्रेंड विदेशी थीं .ये गर्ल फ्रेंड का चलन तभी से है .लिविंग टुगेदर उसका विस्तार है .
बदले क्यूँ कन्या कुशल, खुद के क्रिया-कलाप |
मचा इण्डिया में ग़दर, मदर इण्डिया काँप |
मदर इण्डिया काँप, हाँफती भागे दिनभर |
हो जाए जब शाम, मस्तियाँ करती मन भर |
पुरुषों है धिक्कार, इरादे रखते गंदले |
बराबरी पर नारि, बताओ वह क्यों बदले ??
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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