गुरुवार, 20 दिसंबर 2012

Rapist not mentally ill ,feel they can get away'

'Rapist not mentally ill ,feel they can get away'

माहिरों के अनुसार बलात्कारी शातिर बदमॉस होतें हैं जो सोचते हैं उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है वह साफ़

बच

 निकलेंगें  .इस नपुंसक व्यवस्था के हाथ उस तक नहीं पहुँच सकते .

तस्दीक की जानी चाहिए यह बात कि बलात्कार एक इरादतन अदबदाकर किया गया हिंसात्मक व्यवहार है

,जिसका मकसद बलात्कृत को न सिर्फ चोट पहुंचाना है उसकी आत्मा को भी कुचलना है ,नीचा दिखाना है

.सबक सिखाना है .बलात्कारी अनुचित रूप  से शिकार बनाता है उत्पीड़ित महिला को ,युवती को .



न तो यह अपराध तत्व मनोवैज्ञानिक समस्याओं से ग्रस्त रहतें हैं न किसी किस्म के व्यक्तित्व विकार से सारा

फंडा  इनके दिमाग में यह रहता है :बच  निकलेंगे हम तो हमारा कोई क्या बिगाड़ सकता है .

उत्तरी अमरीका और दक्षिण अफ्रिका में किये गए ऐसे अध्ययनों से जो बलात्कारियों के बारे में ज्यादा से

ज्यादा जानकारी देतें हैं जिनके तहत इन अपराध तत्वों की Psychological profiling जुटाई गई है ,पता चला है

,संभवतया बाल्यकाल में इनका खुद का साबका हिंसात्मक व्यवहार से पड़ा है .बदसुलूकी हुई है इनके साथ

परवरिश के शुरूआती बरसों में .

तिहाड़ जेल के 242 अपराध तत्वों पर संपन्न एक पांच साला अध्ययन से पता चला है,इनमें से 70%लोग लौट

लौट कर बारहा ऐसे ही अपराध करते आयें हैं ,बच  निकलते रहें हैं हर बलात्कार के बाद . औरत पर हमला करते 

वक्त यह आत्मविश्वास  से भरे होते हैं .पूरा भरोसा होता है इन्हें अपने दुष्कार्य (धतकर्म )की सफलता का .

कमसे कम चार मर्तबा या और भी ज्यादा बार ऐसा धत कर्म ये लोग पकड़े  जाने से पूर्व औसतन कर चुके थे .

दिल्ली मनोरोग केंद्र के माहिर डॉ .सुनील मित्तल के अनुसार बलात्कारी विकृत मानसिकता के लोग होतें हैं

बलात्कार करके साफ़ बच  निकलना इनके आनंद  का उत्कर्ष होता है .दुष्कर्म में लीन  रहतें हैं ये लोग .उद्दंडता



 पूर्वक दुष्कर्म करके बच  निकलने पर यह गुरूर करते हैं .

हिंसा और  यौन की दुरभिसंधि इन्हें अतिरिक्त  रोमांच और उत्तेजना से भर देती है .ऐसा चित्त होता है इन

बहरूपियों का .

यौन प्रहार करके यह खुद को यौन बहादुर मान लेते हैं .ताकत और मद का प्रतीक समझ बैठते हैं .

शायद सामान्य यौन सम्बन्ध बना ही नहीं पाते ये लोग . यही मानना है डॉ .मित्तल का .

नेशनल इंस्टिट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसिज़ (NIMHANS)के प्रोफ़ेसर डॉ .बी .एन .गंगाधर कहतें हैं :

"I am against using psychological or sociological labels for rapists .There is nothing psychiatric about

a rapist .In fact ,a person with a psychiatric illness will never commit a rape .It is clearly a criminal

mind that has decided to gratify oneself despite the norms of society."

मनोरोगों  से ग्रस्त नहीं रहतें हैं ये अपराधी तत्व .मनोरोगी  कभी यह धतकर्म  नहीं करेगा .कभी किसी की

आत्मा का हनन नहीं करेगा .

प्रसन्नता और संतोष प्राप्त करतें हैं ये अपराधी अपने शिकार को सताकर ,अपमानित कर .

महिलाओं के  खिलाफ हिंसा ,यौन हिंसा का बढ़ता रुझान हमारे समाज की 

एक वृहत्तर समस्या बन रहा है 

"India suffers from chronic disaster syndrome .There are rising costs of living ,insecurity at the

workplace ,loss of faith in the system ,but at the same time one sees famous personalities getting away

 big crimes .For instance , a minister who resigns over a scam comes back unscathed ."

He felt people get under the delusion of a new reality that they can commit a crime and get away with

 it .

"A  MALNOURISHED BODY GETS ATTACKED BY VARIOUS MICROBES.SIMILARLY ,A

SOCIETY THAT IS MALNOURISHED WILL SEE RISE IN SUCH CRIMES AGAINST

WOMEN,"HE SAID.

उक्त उत्तेजक विचार जो आपको भी आलोड़ित किये बिना नहीं रहेंगे मुंबई के मनोरोग विद डॉ .एच शेट्टी के हैं .

जब तक तिहाड़ी लाल संसद की शोभा बढ़ाते रहेंगें ,संसद बे -आंच ,बे -आब रहेगी ऐसा ही होता रहेगा ऐसा हमारा

 भी मानना है आप अपनी राय बतलाएं .

देखिये ये हाल है उस बे -कसूर भारत की लाडली का जो ज़िंदा रहना चाहती

 है :


New Delhi, Dec 19 (IANS) The intestines of the 23-year-old woman who was gang-raped and brutally assaulted in Delhi by a group of men Sunday night have been removed in a two-hour surgery, doctors said Wednesday, adding that the victim is "still critical".
Describing it as "one of the most tragic incidents" that they had ever seen, the doctors said the victim's badly damaged intestines were susceptible to gangrene and had to be removed.
The victim's first intestinal surgery was done Monday after she was admitted to the hospital, said a hospital authority.
"She is under close monitoring and all emergency procedures have been performed," B.D. Athani, medical superintendent at Safdarjung Hospital told reporters.
The doctor said the woman was admitted to the Intensive Care Unit (ICU) and was on ventilator.
"The victim's blood pressure is low. Her pulse rate is 130 while her blood platelet levels are 48,000," said doctors. The normal platelet count in a healthy individual is between 150,000 and 450,000.
According to one of doctors treating the girl, she is unstable and her condition is deteriorating.
"She is still on life support system in an unconscious state. There is no movement in her body. She regained consciousness early Wednesday morning but within minutes she went in a coma," said the doctor.
Her condition had "slightly deteriorated" Tuesday, according to doctors.
The brutal rape and torture occurred Sunday night when the girl and her male friend boarded a private bus at Munirka in south Delhi to go to Dwarka in west Delhi after watching a movie.
The woman was beaten up and raped by around six men inside the moving bus.








9 टिप्‍पणियां:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति .

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने फाँसी :पूर्ण समाधान नहीं

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सही कहा। ये मानसिक रूप से विकृत नहीं बल्कि कानून की धज्जियाँ उड़ाने वाले आवारागर्द लोग होते हैं। यदि कानून का डर हो तो गधे भी इन्सान बन जाते हैं।
लेकिन डर ही तो नहीं है।

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

समसामयिक महत्वपूर्ण विषय पर आपने बढ़िया ढंग से प्रकाश डाला है. मैं डा. टी. एस.दराल की टिप्पणी का पूरी तरह समर्तन करता हूँ.

musafir ने कहा…

उन्हें चौराहे पर मारना चाहिए ताकि कोई दुबारा वैसा करने की हिम्मत भी न करे|
वैसे इसके लिए हम और हमारा समाज जिम्मेदार है.......
हम बलात्कारियों को उतनी घृणित निगाह से नहीं देखते जितना की पीडिता को ............
और वो सीना फुलाए घूमते है ..............
उन्हें बिना किसी दया के मार देना चाहिए

musafir ने कहा…

उससे भी बड़ा सच ये है की हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं और एक ऐसी व्यवस्था के शिकार है जो हमे जीवन मूल्यों से दूर ले जा रहा है ऐसे में बदलाव ज़रूरी है......... पर कैसे हो ये बहुत बड़ा प्रश्न है?

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

पुलसिया अनुशासन कम होने से दुस्साहस बढ़ जाता है।

shalini rastogi ने कहा…

इस विकृत मानसिकता का बढ़ना किसी भी सभ्य समाज के लिए अत्यंत शोचनीय अवस्था है...

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसे लोग मनोरोगी नहीं होते .... मानसिक स्तर पर विकृत होते हैं ... कठोर कानून और उस पर अमल शायद ऐसे अपराधों पर रोक लगा सके । लेकिन जब सत्ता के गलियारे में ऐसे लोग बैठे हों तो क्या उम्मीद की जा सकती है ?