सोमवार, 10 दिसंबर 2012

वोट बुझक्कड़ दिल्ली में

आज से हम अपने इस ब्लॉग को इलेकट्रोनिक  समाचार पत्र का रूप दे रहें हैं .आपकी विचार प्रेरित टिप्पणियों

एवं राष्ट्र हित की रचनाओं  का स्वागत है .अगर राष्ट्र बचेगा तो हम बचेंगे .वर्तमान की वोट परस्त राजनीति का  का

प्रतिकार करती ये कविता प्रस्तुत है। अतिथि कवि हैं -डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश .

            वोट बुझक्कड़ दिल्ली में 
                                   
      सत्ता जीती संसद हारी ,हारा जनमत सारा है ,

     चार उचक्के दगाबाज़ दो ,मिलकर खेल बिगाड़ा है .

                                    (1)

     सात समन्दर पार कम्पनी ,ईस्ट इंडिया आई थी ,

    व्योपारी के वेष  में सुविधा ,बीज फूट के लाई  थी .

   विषकूटित वो बीज बो दिए ,राजे रजवाड़ों के मन में ,

   संशय ग्रस्त हुए आपस में ,शंकित थे सब अंतरमन में ,

   पासे फेंके फांस सरीखे ,छल बल और मक्कारी से ,

   बन बैठे शासक पंसारी ,ऐसा पैर पसारा है ,

  चार उचक्के दगा बाज़ दो ,मिलकर खेल बिगाड़ा है .

                               (2)

  ठीक उसी का एक नमूना ,फिर से आया  दिल्ली में ,

 गांधारी शकुनी सहमत हैं ,फ़ितने  पिठ्ठू दिल्ली में ,

 लूमड़  राजनीति के ललवे ,मायावी हैं दिल्ली में ,

 चौदह पीछे चार हैं आगे ,वोट बुझक्कर  दिल्ली में ,

भारत तो अब द्वारपार  है ,इंडिया बैठा दिल्ली में ,

भकुवों  ने है बाज़ी जीती ,और मीर को मारा है ,

चार उचक्के दगा बाज़ दो मिलकर खेल बिगाड़ा है .

प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरुभाई )



7 टिप्‍पणियां:

musafir ने कहा…

sunder rachana
desh kaal aur parishthiti par seedha prahar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

Achee shuruaat hogi ye ...
Dono rachnayen lajawaab, chuteeli aur samyak hain ...

Shalini kaushik ने कहा…

बहुत अच्छा प्रयास कर रहे हैं आप .सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई भारत पाक एकीकरण -नहीं कभी नहीं

Unknown ने कहा…

chor ucchke ghoom rahe sb es basti se us basti me.desh hamara lut rahe hai,pi kar daru masti me, kya kahe aaj enko hm sab mil kar,kilo ser savaiya ko badle pal me ratti me.sb gurge daku hogye aaj,khay malayee saste me,........Sir ji dono lazwab aur bejod,abhimanyu nahi sir ji eklvya

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचक कितने खेल हो रहे, सत्ता के गलियारों में।

virendra sharma ने कहा…

शुक्रिया कुलदीप सिंह जी आपकी पोस्ट तक पहुंचना मुमकिन ही नहीं है कोई पोस्ट ही नहीं मिली हमें .अपने ही ब्लॉग पे आपका शुक्रिया कर देतें हैं .टिपण्णी कैसे करें आपके ब्लॉग पे यदि कोई है तो ?

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत बढ़िया .... व्यंग्य मेन सटीक बात कह दी है ...

कुलदीप जी की हलचल आज हलचल ब्लॉग पर है .... वहीं से मैं आज आपकी पोस्ट पर आई हूँ ॥