शिव तीर्थ बनाना न्यायपूर्ण होगा
कई दिनों से यह सवाल मन में कौंध रहा था ,दिमाग में खदबदा रहा था -क्या शिव सैनिकों को हिन्दू हृदय
सम्राट कहाए केशव बाला साहब ठाकरे का समाधि स्थल शिवाजी पार्क में ही बनाने दिया जाए जिन्होनें यह
जगह अंतिम संस्कार के लिए इस वायदे के साथ ली थी कि संस्कार संपन्न होने पर इस जगह को खाली कर
दिया जाएगा .और अब इससे साफ़ मुकर रहें हैं और एक अस्थाई समाधि उन्होंने वहां बना ली है .
या फिर इन्हें वहां से खदेड़ दिया जाए जो मौके बे -मौके क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी करतें हैं ?
इस सवाल की बे -चैनी का आवेग अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया के ढुलमुल सम्पादकीय को पढ़कर और
भी बढ़ गया जिसमें कुलमिलाके गेंद उद्धव ठाकरे के पाले में फैंक दी गई ,सरकार एक बार उनसे बात करे शिव
सैनिकों के वायदे की याद दिलाये .
A Bellicose Defiance
Summon the nerve to call the Shiv Sena's bluff about a Thackeray memorial at Shivaji Park(TOI,DEC
12 ,2012)
हमने अपनी दुविधा कवि विचारक डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश जी के सामने रखी जिनके इस विषय पर स्पस्ट
दो टूक विचार थे .
"या तो इस देश में क़ानून का पालन कानूनी तौर पर क़ानून के हिसाब से होता रहा आया हो तब तो भले शिव
सैनिकों को वहां से खदेड़ा भी जाता लेकिन इस देश में ऐसी कोई परम्परा नहीं रही है ,क़ानून चेहरा देख के ,वोट
बैंक देख के लागू किया जाता है .वरना सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी बरतरफ कर दिया जाता है .चंद वोटों की
खातिर शाहबानों का हक़ केंद्र सरकार ने छीन लिया था .देश के शीर्ष न्यायालय की अवमानना करते हुए संविधान में ही संशोधन कर दिया गया .
इस देश में इसी मुंबई नगरी में चंद बांग्ला देशी मुसलमानों ने सरे आम पाकिस्तान का झंडा चंद रोज़ पहले ही
फैह्राया था और यह सब प्रशासन की बा -कायदा देख रेख में सुनिश्चित किया गया की ये अपराध तत्व सज़ा न पायें .मामला तुष्टिकरण का था ,वोट बैंक का था .
शिवसैनिक इसी बिहारी तत्व के विरोधी हैं जब वह बिहारियों के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं वह आवाज़
वृहद् हिन्दू समाज के खिलाफ नहीं होती है .जबकि प्रधान मंत्री जी इस देश के तमाम रात सो नहीं पातें हैं जब
संदिग्ध हालात में एक मुसलमान डॉ ऑस्ट्रेलिया में पकड़ा जाता है .
वे हिन्दुस्तान के संशाधनों पर पहला अधिकार इन्हीं मुसलामानों का बतलातें हैं .ब्ल्यू स्टार का हीरो एक
लेफ्टिनेंट जर्नल इंग्लेंड में जब कुछ सिरफिरों के हमलें में जख्मी होता है प्रधान मंत्री जी के मुंह में दही जम जाता है .
इस सब का ,बरसों से चले आये तुष्टिकरण का यदि प्रायश्चित करना है तो शिवाजी पार्क में एक छोटा सा शिव
तीर्थ बना दिया जाए .ऐसा करके महाराष्ट्र सरकार कई अप्रिय स्थितियों से मुंबई को बचा सकती है .
कई दिनों से यह सवाल मन में कौंध रहा था ,दिमाग में खदबदा रहा था -क्या शिव सैनिकों को हिन्दू हृदय
सम्राट कहाए केशव बाला साहब ठाकरे का समाधि स्थल शिवाजी पार्क में ही बनाने दिया जाए जिन्होनें यह
जगह अंतिम संस्कार के लिए इस वायदे के साथ ली थी कि संस्कार संपन्न होने पर इस जगह को खाली कर
दिया जाएगा .और अब इससे साफ़ मुकर रहें हैं और एक अस्थाई समाधि उन्होंने वहां बना ली है .
या फिर इन्हें वहां से खदेड़ दिया जाए जो मौके बे -मौके क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते हुए मनमानी करतें हैं ?
इस सवाल की बे -चैनी का आवेग अंग्रेजी अखबार टाइम्स आफ इंडिया के ढुलमुल सम्पादकीय को पढ़कर और
भी बढ़ गया जिसमें कुलमिलाके गेंद उद्धव ठाकरे के पाले में फैंक दी गई ,सरकार एक बार उनसे बात करे शिव
सैनिकों के वायदे की याद दिलाये .
A Bellicose Defiance
Summon the nerve to call the Shiv Sena's bluff about a Thackeray memorial at Shivaji Park(TOI,DEC
12 ,2012)
हमने अपनी दुविधा कवि विचारक डॉ .नन्द लाल मेहता वागीश जी के सामने रखी जिनके इस विषय पर स्पस्ट
दो टूक विचार थे .
"या तो इस देश में क़ानून का पालन कानूनी तौर पर क़ानून के हिसाब से होता रहा आया हो तब तो भले शिव
सैनिकों को वहां से खदेड़ा भी जाता लेकिन इस देश में ऐसी कोई परम्परा नहीं रही है ,क़ानून चेहरा देख के ,वोट
बैंक देख के लागू किया जाता है .वरना सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी बरतरफ कर दिया जाता है .चंद वोटों की
खातिर शाहबानों का हक़ केंद्र सरकार ने छीन लिया था .देश के शीर्ष न्यायालय की अवमानना करते हुए संविधान में ही संशोधन कर दिया गया .
इस देश में इसी मुंबई नगरी में चंद बांग्ला देशी मुसलमानों ने सरे आम पाकिस्तान का झंडा चंद रोज़ पहले ही
फैह्राया था और यह सब प्रशासन की बा -कायदा देख रेख में सुनिश्चित किया गया की ये अपराध तत्व सज़ा न पायें .मामला तुष्टिकरण का था ,वोट बैंक का था .
शिवसैनिक इसी बिहारी तत्व के विरोधी हैं जब वह बिहारियों के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं वह आवाज़
वृहद् हिन्दू समाज के खिलाफ नहीं होती है .जबकि प्रधान मंत्री जी इस देश के तमाम रात सो नहीं पातें हैं जब
संदिग्ध हालात में एक मुसलमान डॉ ऑस्ट्रेलिया में पकड़ा जाता है .
वे हिन्दुस्तान के संशाधनों पर पहला अधिकार इन्हीं मुसलामानों का बतलातें हैं .ब्ल्यू स्टार का हीरो एक
लेफ्टिनेंट जर्नल इंग्लेंड में जब कुछ सिरफिरों के हमलें में जख्मी होता है प्रधान मंत्री जी के मुंह में दही जम जाता है .
इस सब का ,बरसों से चले आये तुष्टिकरण का यदि प्रायश्चित करना है तो शिवाजी पार्क में एक छोटा सा शिव
तीर्थ बना दिया जाए .ऐसा करके महाराष्ट्र सरकार कई अप्रिय स्थितियों से मुंबई को बचा सकती है .
4 टिप्पणियां:
बहुत सही और सटीक विश्लेषण किया है. वैसे भी राजनैतिक दल शिव सेना को कई बार क़ानून अपने हाथों में लेने दिया जाता रहा है, इसमें व्यवस्था की नपुंसकता भी रही है और वोटबैंक का डर भी.बहुत से ग्रेट लोगों की न्यूसेंस वैल्यू भी ज्यादा होती है.घड़ी में इतनी चाबी दी गयी है कि अब उसे बिना डैमेज किये नहीं रोका जा सकता है.
बहुत सही और सटीक विश्लेषण किया है. वैसे भी राजनैतिक दल शिव सेना को कई बार क़ानून अपने हाथों में लेने दिया जाता रहा है, इसमें व्यवस्था की नपुंसकता भी रही है और वोटबैंक का डर भी.बहुत से ग्रेट लोगों की न्यूसेंस वैल्यू भी ज्यादा होती है.घड़ी में इतनी चाबी दी गयी है कि अब उसे बिना डैमेज किये नहीं रोका जा सकता है.
इस देश में कानून व्यस्था की बात करना ही बेमानी होगी बेहतरीन व्याख्या और सटीक विश्लेषण
क़ानून सबके लिए बराबर होता है,,,चाहे शिवसेना क्यों न हो,,,
बढिया व्याख्या , बधाई।
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