भारत निर्माण
कैसा भारत निर्माण करना चाहतें हैं हम .शिक्षा सेहत को लेकर हमारे क्या विचार हैं धारणाएं हैं ?कुछ हैं भी या
नहीं .सात सौ सांसद है इस देश में और किसी को नहीं मालूम वह चाहते क्या हैं ?
सिर्फ वोट बैंक ?स्विसबैंक एकाउंट ?खुद अपनी और सिर्फ अपनी वी आई पी सुरक्षा .
दिल्ली के रंगा बिल्ला काण्ड के बाद आज भारत फिर विचलित है .उन्हें तो सातवें दिन फांसी दे दी गई थी .अब
सरकार हर मामले में इतना कहती है क़ानून को अपने हाथ में मत लो .क़ानून अपना काम करने दो .क़ानून
अपना काम
करेगा .
यदि औरतों को आप हिफाज़त नहीं दे सकते तो रात बिरात उनके बाहर न निकलने का क़ानून बना दो .शीला
दीक्षित ऐसी हिदायत एक मर्तबा दे भी चुकीं हैं .जब घाव हो जाता है तो सांसद मरहम तो लगाने आ जातें हैं
लेकिन ये क़ानून बनाने वाले ऐसी व्यवस्था नहीं कर पाते कि घाव न हो .
किसी फिजियो की अंतड़ियां बलात्कारी क्षति ग्रस्त न कर सकें .
इस दरमियान इन्होनें हमारे सांसदों ने एक सामाजिक हस्तक्षेप को ज़रूर समाप्त करवा दिया यह कह कह कर
किसी को भी कानून अपने हाथ में न लेने दिया जाएगा .
वह जो एक तिब्बत था वह चीन के हमलों से भारत की हिफाज़त करता था .ऐसे ही सामाजिक हस्तक्षेप एक
बफर था .काला मुंह करने वाले शातिर बदमाशों को मुंह काला करके जूते मारते हुए पेशी पे ले जाना चाहिए .जूते
बहु बेटियों से ही लगवाने चाहिए शातिर मांस खोरों को .ताकि इन्हें कुछ तो शरम आये .
.आज स्थिति बड़ी विकट है . सवाल बड़े गहरे हैं सामाजिक सरोकारों के औरत को सरे आम कुचलने वाले रफा
दफा
कर दिए जातें हैं कुछ ले देके छूट जाते रहें हैं .
व्यवस्था ने पुलिस को नाकारा बना दिया है अपनी खुद की चौकसी में तैनात कर रखा है .ज़ेड सेक्युरिटी लिए
बैठें हैं सारे वोट खोर .बेटियाँ ला वारिश बना दी गई हैं अरक्षित कर दी गईं हैं .खूंखार दरिन्दे छुट्टे घूम रहें हैं .अब
तो इन्हें भेड़िया कहना भेड़िये को अपमानित करना है .हैवानियत में ये सारी हदें पार कर गएँ हैं .
सारी संविधानिक संस्थाएं तोड़ डाली गईं हैं .संसद निस्तेज है .निरुपाय है .उसके पास भारत निर्माण का कोई
कार्यक्रम कोई रूप रेखा नहीं है .
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं है ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .
कैसा भारत निर्माण करना चाहतें हैं हम .शिक्षा सेहत को लेकर हमारे क्या विचार हैं धारणाएं हैं ?कुछ हैं भी या
नहीं .सात सौ सांसद है इस देश में और किसी को नहीं मालूम वह चाहते क्या हैं ?
सिर्फ वोट बैंक ?स्विसबैंक एकाउंट ?खुद अपनी और सिर्फ अपनी वी आई पी सुरक्षा .
दिल्ली के रंगा बिल्ला काण्ड के बाद आज भारत फिर विचलित है .उन्हें तो सातवें दिन फांसी दे दी गई थी .अब
सरकार हर मामले में इतना कहती है क़ानून को अपने हाथ में मत लो .क़ानून अपना काम करने दो .क़ानून
अपना काम
करेगा .
यदि औरतों को आप हिफाज़त नहीं दे सकते तो रात बिरात उनके बाहर न निकलने का क़ानून बना दो .शीला
दीक्षित ऐसी हिदायत एक मर्तबा दे भी चुकीं हैं .जब घाव हो जाता है तो सांसद मरहम तो लगाने आ जातें हैं
लेकिन ये क़ानून बनाने वाले ऐसी व्यवस्था नहीं कर पाते कि घाव न हो .
किसी फिजियो की अंतड़ियां बलात्कारी क्षति ग्रस्त न कर सकें .
इस दरमियान इन्होनें हमारे सांसदों ने एक सामाजिक हस्तक्षेप को ज़रूर समाप्त करवा दिया यह कह कह कर
किसी को भी कानून अपने हाथ में न लेने दिया जाएगा .
वह जो एक तिब्बत था वह चीन के हमलों से भारत की हिफाज़त करता था .ऐसे ही सामाजिक हस्तक्षेप एक
बफर था .काला मुंह करने वाले शातिर बदमाशों को मुंह काला करके जूते मारते हुए पेशी पे ले जाना चाहिए .जूते
बहु बेटियों से ही लगवाने चाहिए शातिर मांस खोरों को .ताकि इन्हें कुछ तो शरम आये .
.आज स्थिति बड़ी विकट है . सवाल बड़े गहरे हैं सामाजिक सरोकारों के औरत को सरे आम कुचलने वाले रफा
दफा
कर दिए जातें हैं कुछ ले देके छूट जाते रहें हैं .
व्यवस्था ने पुलिस को नाकारा बना दिया है अपनी खुद की चौकसी में तैनात कर रखा है .ज़ेड सेक्युरिटी लिए
बैठें हैं सारे वोट खोर .बेटियाँ ला वारिश बना दी गई हैं अरक्षित कर दी गईं हैं .खूंखार दरिन्दे छुट्टे घूम रहें हैं .अब
तो इन्हें भेड़िया कहना भेड़िये को अपमानित करना है .हैवानियत में ये सारी हदें पार कर गएँ हैं .
सारी संविधानिक संस्थाएं तोड़ डाली गईं हैं .संसद निस्तेज है .निरुपाय है .उसके पास भारत निर्माण का कोई
कार्यक्रम कोई रूप रेखा नहीं है .
अब तो इस तालाब का पानी बदल दो सब कमल के फूल मुरझाने लगे हैं ,
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं है ,लेकिन ये सूरत बदलनी चाहिए .
4 टिप्पणियां:
सूरत तब बदलेगी जब हम सच्चे,इमानदार सांसद चुनकर भेजेंगे।
शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत निर्माण, यही तीन कार्य हों सरकार के।
"सिर्फ वोट बैंक ?स्विसबैंक एकाउंट ?खुद अपनी और सिर्फ अपनी वी आई पी सुरक्षा
दिल्ली के रंगा बिल्ला काण्ड के बाद आज भारत फिर विचलित है ." वीरेन्द्र कुमार जी आपका यह कथन शत प्रतिशत सही है. ये सांसद कुछ दिन एक दुसरे पर कीचड़ उछालेंगे फिर शांत हो जायेंगे .क्योकि जितने भी रेपिस्ट हैं ,गुंडे हैं ,बदमास ,डाकू है ,इनमे अधिकतर किसी न किसी सांसद के आश्रित हैं और इनके वोट बैंक का मेनेजर
हैं. इसलिए सांसद इनको आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का कानून नहीं बनाते .
राजनीति में किसी भी समस्या का हल नहीं है। समाज को जागृत होना होगा। जो समाज के ठेकेदार मठाधीश बन गए हैं पहले उनकी खबर लेनी होगी। वे समाज सुधार के नाम पर क्या कर रहे हैं? कहां है आज साधु-संन्यासी? उनकी जुबान क्यों बन्द है? केवल वे दान लेने के लिए ही बने हैं या समाज की रक्षा के लिए भी आगे आएंगे?
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