मंगलवार, 4 दिसंबर 2012

कुछ खाने की चीज़ों से एलर्जी के पीछे हो सकता है कीटनाशक रसायनों का हाथ

 

ब्लॉगर रविकर 
कीट-पतंगे मारते, कई रसायन खूब |
घुल जाते पर खाद्य में, हो खाने से ऊब |
हो खाने से ऊब, एलर्जी का है कारण |
पानी में भी अंश, जरुरी मित्र निवारण |
भंडारण का डंश, देह पर करता दंगे |
रहिये सदा सचेत, मिटा के कीट पतंगे |


  कुछ खाने की चीज़ों से एलर्जी के पीछे हो सकता है कीटनाशक रसायनों का हाथ

Annals of Allergy, Asthma and Immunology के दिसंबर 2012 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार

कीटनाशक रसायन जो अन्न की फसलों को खा जाने वाले कीटों आदि को नष्ट करतें हैं तथा टैप वाटर भी, कुछ

खाने के चीज़ों के प्रति ,विशेष संवेदनशीलता ,प्रत्युर्जात्मक प्रतिक्रिया (Food allergies)की वजह बन सकतें हैं

.ऐसा ही एक कीटनाशक रसायन समूह हैं Dichlorophenols जिसका इस्तेमाल पानी को क्लोरिनयुक्त करने में

भी किया जाता है कीटनाशकों में भी बड़े पैमाने पर  किया जा रहा है .

जिन कीटनाशकों में इन रसायनों का उच्च स्तर बना रहता है वह हमारे शरीर में दाखिल होने के बाद कुछ लोगों

में कुछ ख़ास खाद्यों के प्रति ख़ास संवेदनशीलता weaken food tolerance की वजह बनते हैं . यही रसायन

कुछ खरपतवार नाशियों में भी नलके के पानी में भी प्रयुक्त किया जा रहा है .

अब पूरी तरह से नलके का ताज़ा पानी छोड़ बोतल बंद पानी पे भी निर्भर नहीं रहा जा सकता .निरापद वह भी

नहीं है .

फलों और तरकारियों की भंडारण अवधि बढाने के लिए भी यह कीटनाशक इस्तेमाल में लाये जा रहें हैं .यही

वजह है की कुछ ख़ास खाने की चीज़ों से एलर्जी की चपेट में आने वाले लोगों की संख्या में दिनानुदिन इजाफा

हो रहा है ये आम खाद्य और पेय हैं :

दूध ,अंडे ,मूंगफली ,गेंहूँ ,ट्री नट्स ,सोया ,मच्छी ,तथा शेलफिश (शंखमीन जैसी खाने की मछलियाँ ).

स्रोत :अमरीका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (US Centers for Disease Control and Prevention .

6 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

कीट-पतंगे मारते, कई रसायन खूब |
घुल जाते पर खाद्य में, हो खाने से ऊब |
हो खाने से ऊब, एलर्जी का है कारण |
पानी में भी अंश, जरुरी मित्र निवारण |
भंडारण का डंश, देह पर करता दंगे |
रहिये सदा सचेत, मिटा के कीट पतंगे |

रविकर ने कहा…

आभार भाई जी ||

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बढ़िया जानकारी .... अब इन कीटनाशकों से निजात कहाँ ?

पुरुषोत्तम पाण्डेय ने कहा…

रविकर जी आशु कवि हैं, बहुत बढ़िया टिप्पणी की है.जो बस्तु या बाहरी तत्व शरीर को ग्राह्य नहीं होते हैं वे प्रतिकिया स्वरुप हमें एलेर्जिक होते हैं. वीरेंद्र शर्मा जी का सेहतनामा हमेशा की तरह जागरूक करने वाके होते हैं. साधुवाद.

सदा ने कहा…

बहुत ही अच्‍छी जानकारी देता यह आलेख ... आभार

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मुझे भी यही कारण लगता है।