मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

अगर वह कहें दो और दो पांच होतें हैं

अगर वह कहें दो और  दो पांच होतें हैं 

माननीय गृहमंत्री सुशील कुमार जी शिंदे बड़े अभिभूत हैं कि युगों बाद जिस देवी का अवतरण होता है वह देवी सोनिया  साक्षात आन्दोलन 

कारियों से मिली और आन्दोलन कारी अपना क्षुद्र रोना रोते 

रहे .देखो नासमझी आन्दोलनकारियों की .

देवी 

सोनिया का भारत भू पर अवतरण एक दिव्य घटना है जिससे शिंदे अभिभूत हैं . और उनका आंदोलनरत युवा भीड़ से मिलना उससे भी बड़ी 

घटना है .एक देवी का आम आदमियों के बीच आना . दर 

असल 

अगर सोनिया गांधी यह कहें की दो और दो पांच होतें हैं तो सारे कांग्रेसी कहेंगे दो और दो पांच होतें हैं .अगर सारे कांग्रेसियों के दिमाग का 

सी टी स्केन  उतारा जाए तो वहां  कोई सार तत्व ग्रे मैटर 

नहीं 

मिलेगा . फिर सवाल उठेगा कहाँ गए सारे दिमाग ,पता चलेगा सोनिया देवी के पास गिरवीं हैं .कांगेस की सदस्यता पाके व्यक्ति धन्य हो 

जाता है और मंत्री पद पाके विचार मुक्त हो जाता है सोनिया 

मय हो जाता है .सोनिया का तो पूडल भी अभिभूत रहता है .

.साहूकार 

जिन लोगों को सूद पे पैसे बांटता है सोना गिरवीं रखके जैसे वे  तमाम लोग साहूकार के गुण गातें हैं वैसे ही कांग्रेसी सोनिया गायन वंदन करते हैं .

इसलिए हमें ज़रा भी आश्चर्य नहीं हुआ माननीय शिंदे जी के कथन पर .


दूसरा वक्तव्य श्री मान नीरज कुमार ,पुलिस प्रमुख का है .आप पुलिस ज्यादती को Collateral damage बतलाते हैं .किसी और 

अनुशासन में प्रयुक्त होने वाला शब्द जब किसी और अनुशासन में 

प्रयोग किया जाता है तब ऐसा ही अर्थ का अन -अर्थ होता है .

Collateral damage का अर्थ होता है गौण नुक्सान ,जो महत्वपूर्ण न हो .जैसे दुश्मन के हमले में नागर जान माल की नुकसानी या फिर 

भू -कम्प आने पर स्थलाकृति के अनुसार आनुषंगिक 

नुक्सान होता है .

पेड़ को जड़ से उखाड़ने पर भी बहुत से कीट बिच्छु कातर मर जाते हैं .नीरज कुमार जी ऐसे ही संवेदन हीन बात कर रहें हैं .जो जख्मी हुए 

हैं या मारे गए हैं वह महत्वहीन हैं .

तीसरा बयान माननीय चिदम्बरम महोदय का है जो उन्होंने हालिया हिमाचल और गुजरात के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पे दिया 

.चिदम्बरम बोले गुजरात में भी हम जीते हैं मोदी की हार 

हुई है .हमारी सीटें बढ़ी हैं 2007 के बरक्स .

यह वैसे ही है जैसे कोई पहलवान अपने विरोधी से हार जाने के बाद कहे पिछले मुकाबले में मेरे पांच दांत टूटे थे इस मर्तबा सिर्फ  तीन   टूटे हैं .

किसी कांग्रेसी की यह हिम्मत न हुई कहे भाईसाहब हम गुजरात चुनाव हार गएँ हैं .सम्मोहन की मुद्रा में रहतें हैं तमाम कोंग्रेसी .सोनिया 

गांधी और राहुल गांधी की जय बोलने के अलावा इन्हें कुछ 

नहीं आता .

1 टिप्पणी:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

वीरेन्द्र भाई बहुत करारा व्यंग ,सही कहा आपने
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