रविवार, 25 अगस्त 2013

कबीरदास :शीलवंत सबसे बड़ा ,सब रत्नों की खान , तीन लोक की संपदा ,रही शील में आन।

                        कबीरदास 

(१)शीलवंत सबसे बड़ा ,सब रत्नों की खान ,

तीन लोक की संपदा ,रही शील में आन। 

चरित्रवान व्यक्ति ही यहाँ सबसे महान है। वही सब गुणों की खान है ज्ञान 

रत्नों का भण्डार है। तीन लोकों की शान है। सारा ऐश्वर्य जीवन का तीनों 

लोकों के वैभव से भी बड़ा है उसका प्रभा मंडल। 

गुण भी चरित्रवान व्यक्ति में ही ठहरते हैं। वही उन्हें धारण कर सकता है। 

व्यक्ति का सबसे बड़ा गुणधर्म उसका चरित्र ही है। राम चरित का 

इसीलिए 

आजतक गुण गायन  है। 

वरना आदमी ये ही कहता रह जाएगा -

लागा चुनरी में दाग छु पाऊं कैसे 

,घर जाऊं कैसे ?

हो गई मैली मोरी चुनरिया ,कोरे बदन सी कोरी चुनरिया  ,

जाके बाबुल से नजरें मिलाऊँ  कैसे। 

भूल गई सब वचन ,विदा के 

खो गई मैं ससुराल में आके ,

जा के बाबुल से नजरे मिलाऊँ कैसे। 

कोरी चुनरिया आत्मा मोरी मैल  है माया जाल ,

वो दुनिया मेरे बाबुल  का घर ,

ये दुनिया ससुराल। 

बाद में यह न कहना पड़े -

मैली चादर औढ़  के कैसे ,

पास तुम्हारे आवूं। 

तन की तरह मन भी उजला रखना है चरित निर्मल निर्दोष रखना है सफ़ेद 

चादर सा तभी ईश्वर 

प्राप्ति होगी। आखिर इस लोक (मायके )को छोड़ आत्मा को परलोक 

(ससुराल )भी तो जाना है वहां सिर्फ चरित्र साथ जाएगा। 

इसीलिए गाया गया है -

पवित्र मन रखो ,पवित्र तन रखो , पवित्रता मनुष्यता की शान है ,

जो मन ,वचन, कर्म से पवित्र है ,वह चरित्र ही यहाँ महान है। 

नीचे दिए गए सेतु (लिंक )में यह पूरा गीत मौजूद है कृपया सुनें। 


  1. Baba Song (Pavitra Man Rakhho)

    Pavitra man rakho, pavitra tan rakho, pavitrata manushyata ki shaan hai, jo man vachan karma s pavitra hai, woh charitravan hi ...



4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच में, मर्म भरा ज्ञान

रविकर ने कहा…

दोहे की व्याख्या-और सुन्दर गीत -
बढ़िया प्रस्तुति-
आभार भाई जी-

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

वाह !!! बहुत सुंदर ज्ञान देती प्रस्तुति,,,

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अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सर जी . कबीर की बाणी को जीवंत
करती बेहतरीन प्रस्तुति