संत कबीर का एक बिरला पद भावार्थ सहित
कबीर के काव्य में मिश्रण बहुत है। कहत कबीर सुनो भाई साधौ के साथ बहुत कुछ लिख दिया गया है जो कबीर के मूल साहित्य में खोजे नहीं मिलता है। यहाँ हम कबीर की एक ऐसी रचना का भावार्थ प्रस्तुत करेंगे जिसे स्वर्गीय भीम सेन जोशी ने गाया था। यू ट्यूब पर इस कर्ण प्रिय भजन को सुना जा सकता है फिलहाल मूल पाठ सहित भावार्थ पढ़िए :
काया नहीं तेरी ,नहीं तेरी
मतकर ,मेरी मेरी।
ये तो दो दिन की जिंदगानी ,
जैसा पत्थर ऊपर पानी ,
ए (ये )तो होवेगी खुरबानी।
काया नहीं तेरी ,नहीं तेरी ……
जैसा रंग तरंग मिलावे ,
ए तो पलख पीछे उड़ जावे ,
अंत कोई काम नहीं आवे।
काया नहीं तेरी ...
सुन बात कहूं परमानी ,
वहां की क्या करता गुमानी ,
तुम तो बड़े हो बेइमानी।
काया नहीं तेरी ……
कहत कबीरा सुन नर ग्यानी ,
ए सीखत गयो निरमानी ,
तेरे को बात कही समझानी।
काया नहीं तेरी नहीं तेरी। ……
शब्दार्थ :पलख -पल ,परमानी -प्रामाणिक ,प्रमाण सहित ,गुमानी -अभिमान ,निरमानी -निर्वाण
,निरभिमान
,निरहंकार ,खुरबानी -नष्ट ,नश्वर
भावार्थ :
कबीर कहते हैं ये काया तेरी नहीं है। हे आत्मा तू यहाँ किरायेदार है रेंट पर है। जब ये तुझसे छूटेगी इसके पांच
हिस्सेदार अपना अपना हिस्सा ले लेंगे। पञ्च भूतों की नश्वर काया पंच भूतों में मिल जायेगी। तेरे हाथ कुछ
नहीं आयेगा इसे अपना मत बूझ। कबीर कहते हैं ये शरीर तो अलग है इसके मोहजाल में फंसकर तुम अवरुद्ध
मत होवो। इसके मूल स्वरूप शांत स्वरूप आत्मा को पहचानो।
यह जीवन तो नश्वर है टिकने वाला नहीं है जैसे पत्थर पर पानी टिकता नहीं है ,बह जाता है नष्ट हो जाता है।
पत्थर की मिट्टी की तरह पानी से यारी नहीं है पत्थर पानी को मिट्टी की तरह रोकता नहीं है ज़ज्ब नहीं करता
है। ये जीवन भी वैसे ही क्षण भंगुर है जलवाष्प सा उड़ जाना है।
मनुष्य आत्मा तरंग की तरह है तरंग का स्वभाव है गति करना प्रवाहित होते रहना है बहना है अब भला
बहते पानी में रंग कैसे मिलेगा। जैसे व्यक्ति बहते पानी में रंग मिलाना चाह रहा हो वैसे ही राग रंग सजाता है
जीवन में। ये राग रंग ये हद के सुख साधन रहने वाले नहीं हैं एक दिन उड़ जायेंगे। जो सुख के असल साधन है
उनसे हटके इन साधनों से क्या नेह लगाना। आखिर में ये सब यहीं रह जाना है काम नहीं आने हैं ये सुख के
साधन और वैभव। हे आत्मन तुम बड़े बे -ईमान हो जीवन के असली सुख (परमात्म प्रेम )से वंचित हो।
जो इस भेद को जान गया है वह तुरंत निर्वाण को प्राप्त हो जाता है निरभिमानी निरहंकारी बन जाता है। अपने
मूल स्वरूप (निज आनंद स्वरूप शांत स्वरूप ,प्रेम स्वरूप आत्मा) को जान जाता है। मैं यह बात प्रमाण स्वरूप
कह रहा हूँ -हे प्राणी! तू उस शरीर का गुमान कर रहा है जो काल के प्रवाह में टिकता नहीं है। अपने आप को
ग्यानी समझने वाले व्यक्ति तुम किस भ्रम में पड़े हुए हो। मैं तुम्हें समझा रहा हूँ इस सच्चे ज्ञान को समझकर
तुम निर्वाण धाम में चले जाओगे। तुम्हारा यह अहंकार नष्ट हो जाएगा।
ॐ शान्ति
कबीर के काव्य में मिश्रण बहुत है। कहत कबीर सुनो भाई साधौ के साथ बहुत कुछ लिख दिया गया है जो कबीर के मूल साहित्य में खोजे नहीं मिलता है। यहाँ हम कबीर की एक ऐसी रचना का भावार्थ प्रस्तुत करेंगे जिसे स्वर्गीय भीम सेन जोशी ने गाया था। यू ट्यूब पर इस कर्ण प्रिय भजन को सुना जा सकता है फिलहाल मूल पाठ सहित भावार्थ पढ़िए :
काया नहीं तेरी ,नहीं तेरी
मतकर ,मेरी मेरी।
ये तो दो दिन की जिंदगानी ,
जैसा पत्थर ऊपर पानी ,
ए (ये )तो होवेगी खुरबानी।
काया नहीं तेरी ,नहीं तेरी ……
जैसा रंग तरंग मिलावे ,
ए तो पलख पीछे उड़ जावे ,
अंत कोई काम नहीं आवे।
काया नहीं तेरी ...
सुन बात कहूं परमानी ,
वहां की क्या करता गुमानी ,
तुम तो बड़े हो बेइमानी।
काया नहीं तेरी ……
कहत कबीरा सुन नर ग्यानी ,
ए सीखत गयो निरमानी ,
तेरे को बात कही समझानी।
काया नहीं तेरी नहीं तेरी। ……
शब्दार्थ :पलख -पल ,परमानी -प्रामाणिक ,प्रमाण सहित ,गुमानी -अभिमान ,निरमानी -निर्वाण
,निरभिमान
,निरहंकार ,खुरबानी -नष्ट ,नश्वर
भावार्थ :
कबीर कहते हैं ये काया तेरी नहीं है। हे आत्मा तू यहाँ किरायेदार है रेंट पर है। जब ये तुझसे छूटेगी इसके पांच
हिस्सेदार अपना अपना हिस्सा ले लेंगे। पञ्च भूतों की नश्वर काया पंच भूतों में मिल जायेगी। तेरे हाथ कुछ
नहीं आयेगा इसे अपना मत बूझ। कबीर कहते हैं ये शरीर तो अलग है इसके मोहजाल में फंसकर तुम अवरुद्ध
मत होवो। इसके मूल स्वरूप शांत स्वरूप आत्मा को पहचानो।
यह जीवन तो नश्वर है टिकने वाला नहीं है जैसे पत्थर पर पानी टिकता नहीं है ,बह जाता है नष्ट हो जाता है।
पत्थर की मिट्टी की तरह पानी से यारी नहीं है पत्थर पानी को मिट्टी की तरह रोकता नहीं है ज़ज्ब नहीं करता
है। ये जीवन भी वैसे ही क्षण भंगुर है जलवाष्प सा उड़ जाना है।
मनुष्य आत्मा तरंग की तरह है तरंग का स्वभाव है गति करना प्रवाहित होते रहना है बहना है अब भला
बहते पानी में रंग कैसे मिलेगा। जैसे व्यक्ति बहते पानी में रंग मिलाना चाह रहा हो वैसे ही राग रंग सजाता है
जीवन में। ये राग रंग ये हद के सुख साधन रहने वाले नहीं हैं एक दिन उड़ जायेंगे। जो सुख के असल साधन है
उनसे हटके इन साधनों से क्या नेह लगाना। आखिर में ये सब यहीं रह जाना है काम नहीं आने हैं ये सुख के
साधन और वैभव। हे आत्मन तुम बड़े बे -ईमान हो जीवन के असली सुख (परमात्म प्रेम )से वंचित हो।
जो इस भेद को जान गया है वह तुरंत निर्वाण को प्राप्त हो जाता है निरभिमानी निरहंकारी बन जाता है। अपने
मूल स्वरूप (निज आनंद स्वरूप शांत स्वरूप ,प्रेम स्वरूप आत्मा) को जान जाता है। मैं यह बात प्रमाण स्वरूप
कह रहा हूँ -हे प्राणी! तू उस शरीर का गुमान कर रहा है जो काल के प्रवाह में टिकता नहीं है। अपने आप को
ग्यानी समझने वाले व्यक्ति तुम किस भ्रम में पड़े हुए हो। मैं तुम्हें समझा रहा हूँ इस सच्चे ज्ञान को समझकर
तुम निर्वाण धाम में चले जाओगे। तुम्हारा यह अहंकार नष्ट हो जाएगा।
ॐ शान्ति
03 August 2013 Murli
English Murli
Essence: Sweet children, when you go into the lap of the Father, this world ends. Your next birth will be in the new world and this is why there is the saying, “When you die, the world is dead to you.”
Question: On the basis of which one custom can you prove the incarnation of the Father?
Answer: The custom of feeding departed spirits every year has continued in Bharat. They invoke a soul into a brahmin priest and speak to that soul. They ask the departed soul if he has any desires. The body doesn’t come back, just the soul comes back. This too is fixed in the drama. Just as a soul can enter, in the same way, God’s incarnation takes place. You children can explain and prove this.
Answer: The custom of feeding departed spirits every year has continued in Bharat. They invoke a soul into a brahmin priest and speak to that soul. They ask the departed soul if he has any desires. The body doesn’t come back, just the soul comes back. This too is fixed in the drama. Just as a soul can enter, in the same way, God’s incarnation takes place. You children can explain and prove this.
Song: To live in Your lane and to die in Your lane.
Essence for dharna:
1. Follow the mother and father and do the service of making others like yourselves. Become spinners of the discus of self-realisation and make others the same.
2. In order to become a garland around the neck of the Father, remember the Father with your intellect. Don’t make any sound. Constantly stay in remembrance.
1. Follow the mother and father and do the service of making others like yourselves. Become spinners of the discus of self-realisation and make others the same.
2. In order to become a garland around the neck of the Father, remember the Father with your intellect. Don’t make any sound. Constantly stay in remembrance.
Blessing: May you remain constantly happy by merging all treasures within yourself and remain free from becoming disheartened or jealous
BapDada has given all of you children all the treasures equally. However, some are unable to merge those attainments in themselves or they do not know how to use those attainments at the right time and so success is therefore not visible to them and they then become disheartened with themselves and think that perhaps their fortune is like that. Then, seeing the speciality or fortune of others, they become jealous. Those who become disheartened or jealous in this way can never be happy. In order to remain constantly happy, become free from both of these things.
BapDada has given all of you children all the treasures equally. However, some are unable to merge those attainments in themselves or they do not know how to use those attainments at the right time and so success is therefore not visible to them and they then become disheartened with themselves and think that perhaps their fortune is like that. Then, seeing the speciality or fortune of others, they become jealous. Those who become disheartened or jealous in this way can never be happy. In order to remain constantly happy, become free from both of these things.
Slogan: Only those who serve with a true heart and without any selfish motives are pure and clean souls.
Hindi Murli
मुरली सार:- “मीठे बच्चे – जब तुम बाप की गोद में आते हो तो यह दुनिया ही ख़त्म हो जाती है, तुम्हारा अगला जन्म नई दुनिया में होता है इसलिये कहावत है – आप मुये मर गई दुनिया”
प्रश्न:- किस एक रस्म के आधार पर बाप के अवतरण को सिद्ध कर सकते हो?
उत्तर:- भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे बातें करते हैं, उसकी आश पूछते हैं। अब शरीर तो आता नहीं, आत्मा ही आती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। जैसे आत्मा प्रवेश कर सकती है वैसे ही परमात्मा का भी अवतरण होता है, यह तुम बच्चे सिद्ध कर समझा सकते हो।
उत्तर:- भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे बातें करते हैं, उसकी आश पूछते हैं। अब शरीर तो आता नहीं, आत्मा ही आती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। जैसे आत्मा प्रवेश कर सकती है वैसे ही परमात्मा का भी अवतरण होता है, यह तुम बच्चे सिद्ध कर समझा सकते हो।
गीत:- मरना तेरी गली में…..
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
वरदान:- सर्व खजानों को स्वयं में समाकर, दिलशिकस्त-पन वा ईर्ष्या से मुक्त रहने वाले सदा प्रसन्नचित भव
बापदादा ने सभी बच्चों को समान रूप से सब खजाने दिये हैं लेकिन कोई उन प्राप्तियों को स्वयं में समा नहीं सकते व समय पर कार्य में लगाना नहीं आता तो सफलता दिखाई नहीं देती फिर स्वयं से दिलशिकस्त हो जाते हैं, सोचते हैं शायद मेरा भाग्य ही ऐसा है। उन्हें फिर दूसरों की विशेषता वा भाग्य को देख ईर्ष्या उत्पन्न होती है। ऐसे दिलशिकस्त होने वा ईर्ष्या करने वाले कभी प्रसन्न नहीं रह सकते। सदा प्रसन्न रहना है तो इन दोनों बातों से मुक्त रहो।
बापदादा ने सभी बच्चों को समान रूप से सब खजाने दिये हैं लेकिन कोई उन प्राप्तियों को स्वयं में समा नहीं सकते व समय पर कार्य में लगाना नहीं आता तो सफलता दिखाई नहीं देती फिर स्वयं से दिलशिकस्त हो जाते हैं, सोचते हैं शायद मेरा भाग्य ही ऐसा है। उन्हें फिर दूसरों की विशेषता वा भाग्य को देख ईर्ष्या उत्पन्न होती है। ऐसे दिलशिकस्त होने वा ईर्ष्या करने वाले कभी प्रसन्न नहीं रह सकते। सदा प्रसन्न रहना है तो इन दोनों बातों से मुक्त रहो।
स्लोगन:- स्वार्थ के बिना सच्चे दिल से सेवा करने वाले ही स्वच्छ आत्मा हैं।
Hinglish Murli
Murli Saar : – Meethe Bacche – Jab Tum Baap Ki Goud Mei Aate Ho Toh Yah Dunia Hi ख़त्म Ho Jati Hai, Tumhara Agla Janm Nai Dunia Mei Hota Hai Isiliye Kahavat Hai – Aap Muye Mar Gai Dunia”
Prashna : – Kis Ek Rasm Ke Aadhar Par Baap Ke Avtaran Ko Siddhi Kar Sakte Ho ?
Uttar : – Bharat Mei Har Varsh Pitra Khilane Ki Rasm Chali Aai Hai, Kisi Brahman Mei Atma Ko Bulate Hai, Phir Unse Baate Karte Hai, Uski Aash Puchte Hai. Aab Sharir Toh Aata Nahi, Atma Hi Aati Hai. Yah Bhi Drama Mei Nunda Hai. Jaise Atma Pravesh Kar Sakti Hai Vaise Hi Parmatma Ka Bhi Avtaran Hota Hai, Yah Tum Bacche Siddhi Kar Samjha Sakte Ho.
Uttar : – Bharat Mei Har Varsh Pitra Khilane Ki Rasm Chali Aai Hai, Kisi Brahman Mei Atma Ko Bulate Hai, Phir Unse Baate Karte Hai, Uski Aash Puchte Hai. Aab Sharir Toh Aata Nahi, Atma Hi Aati Hai. Yah Bhi Drama Mei Nunda Hai. Jaise Atma Pravesh Kar Sakti Hai Vaise Hi Parmatma Ka Bhi Avtaran Hota Hai, Yah Tum Bacche Siddhi Kar Samjha Sakte Ho.
Geet : – Marna Teri Gali Mei. .. ..
Dharan Ke Liye Mukhya Saar : -
1 ) Mat – Pita Ko Follow Kar Aap Saman Banane Ki Seva Karni Hai. Swadarshan Chakradhari Bannna Aur Banana Hai.
2 ) Baap Ke Gale Ka Har Banne Ke Liye Buddhi Se Baap Ko Yaad Karna Hai, Aavaj Nahi Karni Hai. Yaad Ki Dhun Mei Rehna Hai.
1 ) Mat – Pita Ko Follow Kar Aap Saman Banane Ki Seva Karni Hai. Swadarshan Chakradhari Bannna Aur Banana Hai.
2 ) Baap Ke Gale Ka Har Banne Ke Liye Buddhi Se Baap Ko Yaad Karna Hai, Aavaj Nahi Karni Hai. Yaad Ki Dhun Mei Rehna Hai.
Vardan : – Sarva Khazano Ko Swayam Mei Samakar, Dilshikasth – Pan Va Irshya Se Mukt Rahne Wale Sada Prasanachit Bhav
Baapdada Ne Sabhi Baccho Ko Saman Rup Se Sab Khazane Diye Hai Lekin Koi Un Praptiyan Ko Swayam Mei Sama Nahi Sakte Va Samay Par Karya Mei Lagana Nahi Aata Toh Safalta Dikhayi Nahi Deti Phir Swayam Se Dilshikasth Ho Jate Hai, Sochte Hai Shayad Mera Bhagya Hi Aisa Hai. Unhe Phir Dusri Ki Viseshta Va Bhagya Ko Dekh Irshya Utpann Hoti Hai. Aise Dilshikasth Hone Va Irshya Karne Wale Kabhi Prasan Nahi Rah Sakte. Sada Prasan Rehna Hai Toh Ien Dono Baaton Se Mukt Raho.
Slogan : – Swartha Ke Bina Sacche Dil Se Seva Karne Wale Hi Swach Atma Hai.
Baapdada Ne Sabhi Baccho Ko Saman Rup Se Sab Khazane Diye Hai Lekin Koi Un Praptiyan Ko Swayam Mei Sama Nahi Sakte Va Samay Par Karya Mei Lagana Nahi Aata Toh Safalta Dikhayi Nahi Deti Phir Swayam Se Dilshikasth Ho Jate Hai, Sochte Hai Shayad Mera Bhagya Hi Aisa Hai. Unhe Phir Dusri Ki Viseshta Va Bhagya Ko Dekh Irshya Utpann Hoti Hai. Aise Dilshikasth Hone Va Irshya Karne Wale Kabhi Prasan Nahi Rah Sakte. Sada Prasan Rehna Hai Toh Ien Dono Baaton Se Mukt Raho.
Slogan : – Swartha Ke Bina Sacche Dil Se Seva Karne Wale Hi Swach Atma Hai.
02 August 2013 Murli
English Murli
Essence: Sweet children, you should have the intoxication that the Father Himself has awakened your fortune and that you have now become instruments to awaken the sleeping fortune of Bharat.
Question: Who can constantly laugh and jump with joy?
Answer: 1. Those who keep themselves busy in service day and night. 2. Those who never sulk with the Mother and Father. If you sulk with each other or with the Mother and Father and stop studying, you won’t be able to laugh and jump with joy. Maya slaps such children. Those who make everyone laugh can never sulk with anyone.
Answer: 1. Those who keep themselves busy in service day and night. 2. Those who never sulk with the Mother and Father. If you sulk with each other or with the Mother and Father and stop studying, you won’t be able to laugh and jump with joy. Maya slaps such children. Those who make everyone laugh can never sulk with anyone.
Song: You are the fortune of tomorrow.
Essence for dharna:
1. Become the Father’s helpers and claim a prize from Him. You have to glorify the name of the Satguru. You mustn’t have Him defamed.
2. Don’t allow there to be conflict among you. Let only jewels and not stones always emerge from your mouth. You mustn’t sulk but make everyone laugh.
1. Become the Father’s helpers and claim a prize from Him. You have to glorify the name of the Satguru. You mustn’t have Him defamed.
2. Don’t allow there to be conflict among you. Let only jewels and not stones always emerge from your mouth. You mustn’t sulk but make everyone laugh.
Blessing: May you be an embodiment of all attainments and give everyone an experience of peace and power through your vibrations of spiritual happiness.
The vibrations of spiritual happiness on the faces of those who are embodiments of all attainments and full of all Godly attainments reach all souls and they also experience peace and power. A tree laden with fruit gives human beings the experience of coolness under its shade and they thereby become happy. In the same way, the vibrations of your happiness through the shade of your attainments give your body and mind the experience of peace and power.
The vibrations of spiritual happiness on the faces of those who are embodiments of all attainments and full of all Godly attainments reach all souls and they also experience peace and power. A tree laden with fruit gives human beings the experience of coolness under its shade and they thereby become happy. In the same way, the vibrations of your happiness through the shade of your attainments give your body and mind the experience of peace and power.
Slogan: Those who are embodiments of remembrance experience any adverse situation to be a game.
Hindi Murli
मुरली सार:- “मीठे बच्चे – तुम्हें नशा होना चाहिए कि हमारी तकदीर स्वयं बाप ने जगाई है, अभी हम भारत की सोई हुई तकदीर जगाने के निमित्त बने हैं”
प्रश्न:- निरन्तर खुशी में खग्गियां कौन मारते हैं?
उत्तर:- 1- जो दिन-रात अपने को सेवा में बिज़ी रखते हैं। 2-जो कभी भी मात-पिता से रूठते नहीं। अगर किसी भी बात से आपस में या मात पिता से रूठ जाते, पढ़ाई छोड़ देते तो खुशी में खग्गियां नहीं मार सकते। माया उनको थप्पड़ मार देती है। जो सबको हंसाने वाले हैं वह कभी किसी से रूठ नहीं सकते।
उत्तर:- 1- जो दिन-रात अपने को सेवा में बिज़ी रखते हैं। 2-जो कभी भी मात-पिता से रूठते नहीं। अगर किसी भी बात से आपस में या मात पिता से रूठ जाते, पढ़ाई छोड़ देते तो खुशी में खग्गियां नहीं मार सकते। माया उनको थप्पड़ मार देती है। जो सबको हंसाने वाले हैं वह कभी किसी से रूठ नहीं सकते।
गीत:- आने वाले कल की तुम तकदीर हो……..
धारणा के लिये मुख्य सार:-
1) बाप का मददगार बन उनसे इज़ाफा (इनाम) लेना है। सतगुरू का नाम बाला करना है। ग्लानी नहीं करानी है।
2) आपस में कलह नहीं करनी है। मुख से सदैव रत्न निकालने हैं, पत्थर नहीं। सबको हँसाना है, रूठना नहीं है।
1) बाप का मददगार बन उनसे इज़ाफा (इनाम) लेना है। सतगुरू का नाम बाला करना है। ग्लानी नहीं करानी है।
2) आपस में कलह नहीं करनी है। मुख से सदैव रत्न निकालने हैं, पत्थर नहीं। सबको हँसाना है, रूठना नहीं है।
वरदान:- रूहानी प्रसन्नता के वायब्रेशन द्वारा सर्व को शान्ति और शक्ति की अनुभूति कराने वाले सर्व प्राप्ति स्वरूप भव
जो परमात्म प्राप्तियों से सम्पन्न, सर्व प्राप्ति स्वरूप बच्चे हैं, उनके चेहरे द्वारा रूहानी प्रसन्नता के वायब्रेशन अन्य आत्माओं तक पहुंचते हैं और वे भी शान्ति और शक्ति की अनुभूति करते हैं। जैसे फलदायक वृक्ष अपने शीतलता की छाया में मानव को शीतलता का अनुभव कराता है और मानव प्रसन्न हो जाता है, ऐसे आपकी प्रसन्नता के वायब्रेशन अपने प्राप्तियों की छाया द्वारा तन-मन के शान्ति और शक्ति की अनुभूति कराते हैं।
जो परमात्म प्राप्तियों से सम्पन्न, सर्व प्राप्ति स्वरूप बच्चे हैं, उनके चेहरे द्वारा रूहानी प्रसन्नता के वायब्रेशन अन्य आत्माओं तक पहुंचते हैं और वे भी शान्ति और शक्ति की अनुभूति करते हैं। जैसे फलदायक वृक्ष अपने शीतलता की छाया में मानव को शीतलता का अनुभव कराता है और मानव प्रसन्न हो जाता है, ऐसे आपकी प्रसन्नता के वायब्रेशन अपने प्राप्तियों की छाया द्वारा तन-मन के शान्ति और शक्ति की अनुभूति कराते हैं।
स्लोगन:- जो स्मृति स्वरूप रहते हैं उन्हें कोई भी परिस्थिति खेल अनुभव होती है।
Hinglish Murli
Murli Saar : – Meethe Bacche – Tumhe Nasha Hona Chahiye Ki Hamari Takdeer Swayam Baap Ne Jagai Hai, Abhi Hum Bharat Ki Soi Hui Takdeer Jagane Ke Nimit Bane Hai”
Prashna : – Nirantar Khushi Mei Khaggian Kaun Marte Hai ?
Uttar : – 1 – Jho Din – Raat Apne Ko Seva Mei busy Rakhte Hai. 2 – Jho Kabhi Bhi Mat – Pita Se Ruthte Nahi. Agar Kisi Bhi Baat Se Aapas Mei Ya Mat Pita Se Ruth padai Jat chod Dete Toh Khushi Mei Khaggian Nahi Maar Sakte. Maya unko thappad Maar Deti Hai. Jho Sabko Hasane Wale Hai Vah Kabhi Kisi Se Ruth Nahi Sakte.
Uttar : – 1 – Jho Din – Raat Apne Ko Seva Mei busy Rakhte Hai. 2 – Jho Kabhi Bhi Mat – Pita Se Ruthte Nahi. Agar Kisi Bhi Baat Se Aapas Mei Ya Mat Pita Se Ruth padai Jat chod Dete Toh Khushi Mei Khaggian Nahi Maar Sakte. Maya unko thappad Maar Deti Hai. Jho Sabko Hasane Wale Hai Vah Kabhi Kisi Se Ruth Nahi Sakte.
Geet : – Aane Wale Kal Ki Tum Takdeer Ho. .. .. .. .
Dharan Ke Liye Mukhya Saar : -
1 ) Baap Ka Madadgar Ban Unse izafa ( Income ) Lena Hai. Satguru Ka Naam Bala Karna Hai. Glani Nahi Karani Hai.
2 ) Aapas Mei Kalah Nahi Karni Hai. Mukh Se Sadev Ratna Nikalne Hai, Pathar Nahi. Sabko Hasana Hai, Ruthna Nahi Hai.
1 ) Baap Ka Madadgar Ban Unse izafa ( Income ) Lena Hai. Satguru Ka Naam Bala Karna Hai. Glani Nahi Karani Hai.
2 ) Aapas Mei Kalah Nahi Karni Hai. Mukh Se Sadev Ratna Nikalne Hai, Pathar Nahi. Sabko Hasana Hai, Ruthna Nahi Hai.
Vardan : – Ruhani Prasanata Ke Vibration Dwara Sarva Ko Shanti Aur Shakti Ki Anubhuti Karane Wale Sarva Prapti Swarup Bhav
Jho Parmatam Praptiyan Se Sampann, Sarva Prapti Swarup Bacche Hai, Unke Chehre Dwara Ruhani Prasanata Ke Vibration Anya Atmao Tak Pahunchte Hai Aur Ve Bhi Shanti Aur Shakti Ki Anubhuti Karte Hai. Jaise Faldayak Vriksh Apne Sheetalta Ki Chaya Mei Manav Ko Sheetalta Ka Anubhav Karata Hai Aur Manav Prasan Ho Jata Hai, Aise Aapki Prasanata Ke Vibration Apne Praptiyan Ki Chaya Dwara Tan – Mann Ke Shanti Aur Shakti Ki Anubhuti Karate Hai.
Jho Parmatam Praptiyan Se Sampann, Sarva Prapti Swarup Bacche Hai, Unke Chehre Dwara Ruhani Prasanata Ke Vibration Anya Atmao Tak Pahunchte Hai Aur Ve Bhi Shanti Aur Shakti Ki Anubhuti Karte Hai. Jaise Faldayak Vriksh Apne Sheetalta Ki Chaya Mei Manav Ko Sheetalta Ka Anubhav Karata Hai Aur Manav Prasan Ho Jata Hai, Aise Aapki Prasanata Ke Vibration Apne Praptiyan Ki Chaya Dwara Tan – Mann Ke Shanti Aur Shakti Ki Anubhuti Karate Hai.
Slogan : – Jho Smruti Swarup Rahte Hai Unhe Koi Bhi Paristithi Khel Anubhav Hoti Hai.
5 टिप्पणियां:
रहना नहिं, देश बिराणा है...
कबीर तो बस कबीर हैं दूसरा कोई नही.
रामराम.
संरत कबीर की रचना और भावार्थ ... मन से मन का सीधा कनेक्शन ...
आत्मा तृप्त हुई..
बहुत सुन्दर-
आभार भाई जी
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