Audio Murli Hindi
Hindi Murli
मुरली सार:- “मीठे बच्चे – याद की लम्बी सीढ़ी पर तब चढ़ सकेंगे जबकि बाप से सच्ची प्रीत होगी, याद की दौड़ी से ही विजय माला में आयेंगे”
प्रश्न:- एक बाप से सच्ची प्रीत है तो उसकी निशानी क्या दिखाई देगी?
उत्तर:- अगर सच्ची प्रीत एक बाप से है तो पुरानी दुनिया, पुराने शरीर से प्यार खत्म हो जायेगा। जीते जी मर जाना ही प्रीत की निशानी है। बाप के सिवाए किसी से भी प्यार न हो। बुद्धि में रहे अब घर जाना है, यह हमारा अन्तिम जन्म है। बाबा कहते – बच्चे, तुमने 84 जन्मों का खेल पूरा किया, अब सब कुछ भूल मुझे याद करो तो मैं तुम्हें साथ ले जाऊंगा।
गीत:- बनवारी रे……..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विनाश काल का समय है इसलिए देहधारियों से प्रीत तोड़ एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है। इस पुराने घर से मोह नष्ट कर देना है।
2) ज्ञान की बुलबुल बन आप समान कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है। याद की दौड़ लगानी है।
वरदान:- भाग्य की नई-नई स्मृतियों द्वारा पुरूषार्थ में रमणीकता का अनुभव करने वाले मन दुरूस्त भव
ब्राह्मण जीवन में लास्ट जन्म होने के कारण शरीर से चाहे कितने भी कमजोर या बीमार हैं, लेकिन मन सबका दुरूस्त है। उमंग-उत्साह से उड़ने वाला है। पावरफुल मन की निशानी है – सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुंच जाए। इसके लिए सदा अपने भाग्य के गीत गाते उड़ते रहो। अमृतवेले से भाग्य की नई-नई बातें स्मृति में लाओ। कभी किसी प्राप्ति को सामने रखो, कभी किसी… तो पुरूषार्थ में रमणीकता आ जायेगी, बोर नहीं होंगे, नवीनता का अनुभव करेंगे।
स्लोगन:- आगे पीछे सोच समझकर हर कर्म करो तो सफलता प्राप्त होती रहेगी।
माया महाठगनी हम जानी ,निर्गुण फांस लिए कर डोले बोले मधुरी बानी।
केशव के कमला बन बैठी ,शिव के भवन भवानी ,
पंडा के मूरत होय बैठी ,तीरथ में भई पानी ,
जोगी के जोगिन हुई बैठी ,राजा के घर रानी।
काहू के हीरा होय बैठी ,काहू के कौड़ी कानी।
भगतन के भगतिन होय बैठी ,ब्रह्मा के ब्रह्माणी ,
कहत कबीर सुनो हो संतो ,यह सब अकथ कहानी।
कहत कबीर सुनो भई साधौ ,यह सब अकथ कहानी।
माया महा ठगनी हम जानी ,तिरगुन फांस लिए कर डोले ,
बोले माधुरी बानी।
कबीर ने ही इस सबका अपने एक पद में ज़वाब भी दिया है -
मोको कहाँ ढूंढें रे बंदे ,मैं तो तेरे पास में,
ना तीरथ में ना मूरत में ,ना एकांत निवास में ,
ना मंदिर में ना मस्जिद में ,ना काबे कैलास में।
www.youtube.com/watch?v=RZOlRhrG51A
13 hours ago - Uploaded by Madhuban Murli Brahma Kumaris
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