गुरुवार, 1 अगस्त 2013

Creating Fortune Through Relationships and Contacts

कर्मों का खाता (भाग छ:)
Creating Fortune Through Relationships and Contacts

हमारा प्रयास रहे हमारे और अन्यों के संस्कार में एक समस्वरता रहे हमारे और, औरों के दिलो- दिमाग भी मिलें। आपको वक्त बे -वक्त औरों का स्नेह और सहयोग दोनों मिलता रहे।इसे कहेंगे सम्बन्ध द्वारा भाग्य की प्राप्ति। ९ ५ फीसद आत्माओं से आपको सहयोग प्राप्त होगा तब। शेष ५ % के साथ आपको अपना खाता (हिसाब किताब ,लेन देन )बराबर करना होगा। कुछ बकाया न रह जाए। ये पांच  फीसद ही स्वयं को परखने का मौक़ा देते हैं। इनके प्रति सदैव कल्याणकारी और शुभ भावना के साथ ही हिसाब किताब चुक्तु होवे। 

प्रेम और सौहाद्र पूर्ण व्यवहार और सहयोग की पहल सदैव ही तुम्हारी तरफ से हो ये न हो तुम इंतज़ार करो ये ऐसा करे तो मैं भी करूँ।  पहल तुम अपने हाथ में रखो। ऐसा करोगे तो न सिर्फ हिसाब किताब जल्दी से जल्दी  चुकता होगा ज्यादातर सम्बन्धियों  का प्यार भी मिलेगा। 

कुछ के साथ तुम्हारे सम्बन्ध अच्छे और बुरे कर्मों के खाते के आश्रित 

रहेंगे।इनके साथ लेनदेन में तुम्हारी सजगता ,तेजस्विता ,तुम्हारा दृष्टि  कौड़ और समझ संबंधों की प्रासंगिकता और मकसद तुम्हारे कर्मों की गुणवत्ता तय करेगा। 

यदि तुम्हारा व्यवहार तुम्हारी बान (आदतें )क्रोध  और आवेश से प्रेरित रहतीं हैं लोभ और मद और मोह के हाथ में ही उनकी कमान रहती है दूसरों को दोषी ठहराते हो छिद्रान्वेषण ही करते हो  सबका ,दोष ढूंढना तुम्हारी आदत में शुमार हो जाता है तब तुम्हारे कर्मों का  खाता डेबिट ही रहेगा। पुण्य कुछ नहीं बनेगा ,बोझ चढ़ेगा कर्मों का। कर्मबंध बनेगा।   इसे कहते हैं देह अभिमान में रहकर किया गया कर्म। 

और यदि तुम शांत चित्त से दूसरों की सहायता करने वाले उदारमना बनते हो दूसरों पर न सिर्फ तुम भरोसा करते हो उनके विशेष गुणों को ही देखते और बखान करते हो तब तुम सबको अलग अलग उनके विशिष्ठ होने का ही भान करवाओगे। तुम्हारी आँख दोष देख ही न सकेगी अनदेखी कर  देगी दूसरों की कमजोरी की। गुणों पर ही ध्यान देगी।प्रेम और सहयोग पूर्ण होगा तब तुम्हारा नज़रिया इसे ही कहते हैं आत्माभिमानी (देही -अभिमानी )रहते कर्म करना।  तुम्हें इन सम्बन्धों का तुरता लाभ भी मिलेगा संबंधों में ख़ुशी का पारा चढ़ेगा। मज़बूत  बनेंगे सम्बन्ध।इसे ही कहा  जाएगा अच्छे कर्मों की नजीर बनना। दूसरों को खुश दिल बनाने से तुम्हारा भी पुण्य का खाता  बनेगा।  सौभाग्य बनेगा। 

Creating Fortune Through Wealth 

भौतिक धन का भी अपना महत्व है। लेकिन इसके भी ट्रष्टी बन रहो इसे स्व :उन्नति और विश्वउन्नति में खर्च करो। संगम युग पर धन दौलत से भाग्य अर्जित करने का विशेष महत्व है। यहाँ भले पद्मापदम प्राप्ति हो लेकिन तुम्हें  अपनी ज़रुरत भर  का लेना है.सीधा साधा सरल जीवन यापन करना है। तुम्हारी एश्वर्या पूर्ण जीवन शैली देख औरों को ईर्ष्या न हो हीन भाव न आये ऐसा हो तुम्हारा जीवन वरना यहाँ भी डेबिट खाता बनेगा तुम्हारा। 

ये धन ही  भ्रष्टाचार की जड़ बनता है तब जब गैर वाजिब तरीकों से कमाया जाए। इसी लिए धन को माया कहा गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है की धन होना स्वयं में बुरा है धन तो एक भौतिक साधन है। स्वयं में खराब नहीं है। मनुष्य कैसे इसे खर्चता है अर्जित करता है वह इसे माया का रूप बनाता है। 

ईमानदारी से कमाया  गया धन जब मानव सेवा में खर्च होता है तब एक लाभकारी ,कल्याणकारी निवेश बनता है। शुभ धन कहलाता है। संगम युग पर यह धन सृष्टि के नवनिर्माण में खर्च हो। तो कितनों का भाग्य  बने। बूँद बूँद सबका सहयोग प्राप्त हो नवनिर्माण में  इस धन से। बात इतनी नहीं है कि विश्व की १० - २० फीसद आत्माएं बस ऐसा निवेश करे सब आत्माओं के पास समान मौक़ा है इस धन और अपने सर्व  वैभव के द्वारा अपना और, औरों का सौभाग्य  लिखने का धन के कल्याण कारी  निवेश से। 

आप धन को इस महत आध्यात्मिक कार्य में खर्च करके तो  देखो आपके भण्डार कभी खाली न होंगें वक्त ज़रुरत पर आपके पास स्वत :ही कहीं न कहीं से आवश्यक धन आ जाएगा। आपका कोई काम न रुकेगा धन के अभाव में। धनको लेकर कोई खैंचल न होगी। कोई न कोई निमित्त बनके आ जायेगा। "वो "भेजेगा उसको। निस्स्वार्थ  सेवा है अध्यात्म सेवा।

Creating Fortune Through Service 


सेवा से भाग्य बनाने का मतलब है उच्च कर्म करना। नाम और शान के लिए कर्म स्वार्थ प्रेरित होता है। दिन और रात का फर्क रहता है स्वार्थ हीन और स्वार्थ साध्य कर्म में। 

स्वार्थ हीन सेवा यदि सच्चे दिल से की जाती है ,भण्डार खाली नहीं होते हैं आगे से और भी बढ़ जाते हैं। संसाधनों की दिक्कत आड़े कभी नहीं आती है।भोले  शिवबाबा  के भंडारे भरे रहते हैं इसीलिए तो कहा  जाता है।  यही सच्ची सेवा की निशानी भी है। 

ॐ शान्ति 

 उन्हें मौलाई मस्ती चढ़ी हुई होगी। 





Brahma Kumaris Murlis, Abu Road, India. ... Madhuban Murli LIVE:- 31/07/2013 (07.05am to 08.05am IST) ... http://www.bkmurlis.com/murli/30-july-2013-murli

31 July 2013 Murli



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English Murli

Essence: Sweet children, you have come to this spiritual university to change from buddhus (foolish ones) to wise. Wise means pure. You are now studying this study to become pure.
Question: What are the main signs of wise children?
Answer: Wise children constantly play with knowledge. They are always intoxicated in Godly intoxication. All the knowledge of the world cycle is in their intellects. They have the intoxication: Our Baba has come from the supreme abode for us and we resided with Him in the supreme abode. Our Baba is the Ocean of Knowledge and we have become master oceans of knowledge. He has come to give us the inheritance of liberation and liberation-in-life.
Song: Who has come to the door of my heart?
Essence for dharna:
1. Surrender everything with your intellect and live as a trustee. Perform every task with great caution according to shrimat.
2. Remember Baba and the inheritance and experience limitless happiness. While in remembrance of Baba, experience Godly intoxication. Become a true lover.
Blessing: May you be a carefree emperor who considers the self to be an instrument and performs every action with the awareness: “The One who is inspiring everyone is getting it done through me”.
“The One who makes everyone move is making me move, the One who is inspiring everyone is getting it done through me” Be an instrument with this awareness as you continue to perform actions and you will remain a carefree emperor. When you have the awareness that you are doing something, you cannot then remain a carefree emperor. However, the awareness that you have been made an instrument by the Father gives you the experience of a carefree and worry-free life. Then, there is no worry of what is going to happen tomorrow. Such a soul has the faith that whatever is happening is good and that whatever is going to happen will be even better because the One who is inspiring everyone is the best of all.
Slogan: Give everyone the experience of happiness and comfort through your vibrations of peace and happiness and only then will you be called a true server.

Hindi Murli

मुरली सार:- ”मीठे बच्चे-तुम इस रूहानी युनिवर्सिटी में आये हो बुद्धू से बुद्धिवान बनने, बुद्धिवान अर्थात् पवित्र, पवित्र बनने की पढ़ाई तुम अभी पढ़ते हो”
प्रश्न:- बुद्धिवान बच्चों की मुख्य निशानी सुनाओ?
उत्तर:- बुद्धिवान बच्चे ज्ञान में सदा रमण करते रहेंगे। उन्हें मौलाई मस्ती चढ़ी हुई होगी। उनकी बुद्धि में सारे सृष्टि चक्र की नॉलेज रहती। नशा रहता कि हमारा बाबा हमारे लिए परमधाम से आया हुआ है। हम उनके साथ परमधाम में रहते थे। हमारा बाबा ज्ञान का सागर है, हम अभी मास्टर ज्ञान सागर बने हैं। हमें वह मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा देने आये हैं।
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे……..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि से सब कुछ सरेन्डर कर ट्रस्टी हो रहना है। बहुत सम्भाल से श्रीमत प्रमाण हर कार्य करना है।
2) बाबा और वर्से को याद कर अपार खुशी का अनुभव करना है। बाबा की याद में मौलाई बन जाना है। सच्चा आशिक बनना है।
वरदान:- कराने वाला करा रहा है – इस स्मृति द्वारा निमित्त बन हर कर्म करने वाले बेपरवाह बादशाह भव
चलाने वाला चला रहा है, कराने वाला करा रहा है – इस स्मृति द्वारा निमित्त बनकर हर कर्म करते चलो तो बेपरवाह बादशाह रहेंगे। ”मैं कर रहा हूँ” – यह भान आया तो बेपरवाह नहीं रह सकते। लेकिन बाप द्वारा निमित्त बना हुआ हूँ – यह स्मृति बेफिकर वा निश्चिंत जीवन का अनुभव कराती है, कल क्या होगा उसकी भी चिंता नहीं। उन्हें यह निश्चय रहता कि जो हो रहा है वह अच्छा और जो होने वाला है वह और भी बहुत अच्छा, क्योंकि कराने वाला अच्छे ते अच्छा है।
स्लोगन:- अपने शान्ति और सुख के वायबेशन से हर एक को सुख चैन की अनुभूति कराओ तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।

Hinglish Murli

Murli Saar : – ” Mithe Bacche – Tum Is Ruhani University Mei Aaye Ho Budhu Se Buddhivan Banne, Buddhivan Arthat Pavitra, Pavitra Banne Ki Padhai Tum Abhi Padte Ho”
Prashna : – Buddhivan Baccho Ki Mukhya Nishani Sunao ?
Uttar : – Buddhivan Bacche Gyaan Mei Sada Raman Karte Rahenge. Unhe Moulai Masti Chadhi Hui Hogi. Unki Buddhi Mei Saare Shrishti Chakra Ki Knowledge Rahti. Nasha Rahta Ki Humara Baba Humare Liye Paramdham Se Aaya Hua Hai. Hum Unke Saath Paramdham Mei Rahte Thay. Humara Baba Gyaan Ka Saagar Hai, Hum Abhi Master Gyaan Saagar Bane Hai. Hume Vah Mukti – Jeevanmukt Ka Varsa Dene Aaye Hai.
Geet : – Kaun Aaya Mere Mann Ke Dware. .. .. .. .
Dharan Ke Liye Mukhya Saar : -
1 ) Buddhi Se Sab Kuch Surrender Kar Trusty Ho Rehna Hai. Bahut Sambhal Se Shrimat Praman Har Karya Karna Hai.
2 ) Baba Aur Varse Ko Yaad Kar Apaar Khushi Ka Anubhav Karna Hai. Baba Ki Yaad Mei Moulai Ban Jana Hai. Saccha Aashiq Bannna Hai.
Vardan : – Karane Wala Kara Raha Hai – Is Smruti Dwara Nimit Ban Har Karm Karne Wale Beparwah Baadshah Bhav
Chalane Wala Chala Raha Hai, Karane Wala Kara Raha Hai – Is Smruti Dwara Nimit Bankar Har Karm Karte Chalo Toh Beparwah Baadshah Rahenge. ” Mei Kar Raha Hu” – Yah Bhaan Aaya Toh Beparwah Nahi Rah Sakte. Lekin Baap Dwara Nimit Bana Hua Hu – Yah Smruti Befikar Va Nischint Jivaan Ka Anubhav Karati Hai, Kal Kya Hoga Uski Bhi Chinta Nahi. Unhe Yah Nishchaye Rahta Ki Jho Ho Raha Hai Vah Acha Aur Jho Hone Wala Hai Vah Aur Bhi Bahut Acha, Kyunki Karane Wala Acche Te Acha Hai.
Slogan : – Apne Shanti Aur Sukh Ke Vibration Se Har Ek Ko Sukh Chain Ki Anubhuti Karao Tab Kahenge Sacche Sevadhari.

  1. Brahma Kumaris Murlis

    www.bkmurlis.com/

    31 July 2013 Murli ... View 31-07-2013@@ KI MURLI HINDI ME ... Murli Saar : – ” Mithe Bacche – Tum Is Ruhani University Mei Aaye Ho Budhu Se Buddhivan ...
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4 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच्चे मन की चाह को ईश्वर कुछ न कुछ व्यवस्था करा ही देता है।

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

प्रासंगिक विचार.... सामाजिक समरसता अब खो हो गयी है ....

Anita ने कहा…

कर्ता भाव जब खो जाता है तब मानो परमात्मा ही मानव के द्वारा कार्य कराता है...आभार !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आपकी पोस्ट पढते पढते एक सम्मोहन सा होजाता है. बहुत ही सुंदर.

रामराम.