शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

कहलाने एकत बसत ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो ,दीरघ दाघ ,निदाघ





सेकुलरों में व्याप्त भ्रष्टाचार को देख कर कविवर बिहारी का यह दोहा सहज ही याद आ गया है -

कहलाने एकत बसत  ,अहि ,मयूर ,मृग ,बाघ


जगत  तपोवन सो  कियो  ,दीरघ दाघ ,निदाघ 

जेठ की  तपती दुपहरिया ने समस्त तपोवन को कायनात को झुलसा दिया है सबको अपनी जान बचाने की पड़ी है .ऐसे में कुदरत ने  सांप ,मोर ,हिरन 

और बाघ को एक ही घाट पे ला खड़ा किया है .सारा जगत गर्मी से झुलस रहा है ऐसे में पशु अपना परस्पर 

हिंसक व्यबहार भूल कर एका दिखा रहें हैं .

राजनीति के चुनिन्दा सेकुलर खेमे की भी आज यही नियति है .कांग्रेसी भ्रष्टों के साथ ,आय ,से ज्यादा संपत्ति में फंसे मुलायम खड़े दिखलाई देते हैं 

.भ्रष्टाचार  के जोहड़ में फंसी 

कांग्रेसी भैंस की पूछ पकड़े आप नासिका स्वर में  कह रहें हैं - अरे वो !  केजरीवाल तो सबको ही भ्रष्ट बतला रहें हैं ,बोलने दो उन्हें अपने आप बोलते 

बोलते थक जायेंगें .

चैनल कई कांग्रेसी भ्रष्टाचार का वजन कम दिखलाने के लिए कह रहें हैं सभी राजनीतिक दलों को निशाने पे ले रहें हैं केजरी ऐसे में उनकी अपनी 

विश्वसनीयता भी कम हो रही है ..

जनार्दन द्विवेदी जी ,कांग्रेस प्रवक्ता साहब , जिस बी जे पी को सांप्रदायिक कह कहके कोसते रहें हैं उसे भड़का  रहें हैं यह कहके -सभी बड़े दलों को 

सोचना चाहिए .एक जुट हो जाना 

चाहिए . पूछा जा सकता है इन वक्र मुखी सेकुलरों की खुद की आज विश्वसनीयता क्या है जबकि मनमोहन जी भी टेलीकोम घोटाले के केंद्र में आगएं हैं .

राजा तो गए सो गए महाराजा अभी बाहर हैं .

और वह पटरानी कह रहीं हैं बी जे पी कांग्रेस को बदनाम कर रही है .मोहतरमा कांग्रेस अपनी करनी से बदनाम हो रही है .किसी के किये नहीं .

बी जे पी के गडकरी और पवार साहब हालाकि वह भी सेकुलर समझे जाते हैं कमसे कम जांच को तो तैयार हैं बाकी भ्रष्ट मोड आफ डिनायल में हैं .नकार 

की मुद्रा में हैं .

ऐसे में हैरानी होती है तीन शेर जिनमें  एक बब्बर शेर है निर्भय घूम रहें हैं ये हैं क्रमश :सर्व मान्य अशोक खेमका जी ,माननीय केजरी -वार साहब ,और पूर्व 

आई पी एस वाई पी सिंह साहब .

रोशन तुम्हीं  से दुनिया ,

रौनक तुम्हीं जहां की ,सलामत रहो .

कौन रविकर ब्लॉग पर जा टिप-टिपाया-




कहलाने एकत बसत अहि  ,मयूर ,मृग ,बाघ जगत तपोवन सो कियो  ,दीरघ दाघ ,निदाघ

Virendra Kumar Sharma 

गटक गए जब गडकरी, पावर रहा पवार |
खुद खायी मुर्गी सकल, पर यारों का यार |
पर यारों का यार, शरद है शीतल ठंडा |
करवालो सब जांच, डालता नहीं अडंगा |
रविकर सत्ता पक्ष, जांच करवाय विपक्षी  |
जनता लेगी जांच, बड़ी सत्ता नरभक्षी ||.........रविकर फैजाबादी .

अब देखिये इसी प्रसंग पर अ -बौद्धिक चैनलियों की मति पर एक साहित्यिक तेवर एक कटाक्ष

एक लघु कथा के रूप में ,वीगीश मेहता जी की कलम से -

किसी बड़े ख्यात नेता के मुंह पर नाक बह रही थी (बोले तो म्यूकस ,रहट ,नेज़ल डिस्चार्ज ).विनोदप्रिय एक भाजपाई ने कहा -हाय !हाय !इसके मुंह पर  नाक है .तो कुख्यात कांग्रेसी नेता को और कुछ न सूझा तो उसने कहा -हाय !हाय !इसके मुंह पर भी नाक है .

इस बात को अ -बौद्धिक चैनलिया इस तरह ले उड़ा कि हाय !हाय !दोनों के मुंह पर नाक है

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