गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

एक ब्लोगिया विमर्श यह भी

विषय वस्तु :

MONDAY, OCTOBER 15, 2012

  1. "मुझे नहीं पता कि ये पाकिस्तानी कैप्टन आतिफ अपने मुल्क का कितना बड़ा कलाकार है, गायक है, अभिनेता है, मैं तो इसी सुर क्षेत्र के मंच पर इन्हें देख रहा हूं। हैरानी तब होती जब ये आशा भोसले के जजमेंट पर उंगली उठाता है और उसका लहजा भी सड़क छाप लफंगे जैसा होता है"---------महेंद्र श्रीवास्तव जी !

    आलोचना का लहज़ा तो ज़नाबे आला आपका भी माशा अल्लाह ही है .क़ानून मंत्री जी की तरह तैश में क्यों आ जातें हैं आप .कैसी भाषा लिख रहें हैं आप और रही बात ज़जों में मत विभाजन की मत वैभिन्न्य की, तो ज़नाब यह संगीत है यहाँ सब मिलके किसी नेता की जय बोलने नहीं आये हैं .........वीरुभाई .

    "आपको पता है कि आशा ताई तब से फिल्मों में और देश विदेश में गा रही हैं, जब आतिफ पैदा भी नहीं हुआ होगा। आतिफ की उम्र 40- 45 साल के करीब है और आशा ताई को गाना गाते हुए 40- 45 साल हो गए। इसके बाद भी आतिफ का व्यवहार आपत्तिजनक है।"..............महेंद्र श्रीवास्तव जी !

    महेंद्र भाई! ज़बान संभाल के आप क़ानून मंत्री की भाषा बोल रहें हैं ......वीरुभाई .

    " अब देखिए गायक मंच पर आते हैं तो अपने अपने देश के स्टैड से माइक उठाते हैं, माइक भी वो एक जगह से नहीं लेते हैं। सुरक्षेत्र के माइक से आग निकलता रहता है, इसका मतलब तो मुझे आज तक समझ में नहीं आया।".......महेंद्र श्रीवास्तव जी !

    हाँ भाई साहब बड़े बड़े गवैये अपने माइक साथ लाते हैं पूरा साउंड सिस्टम भी साजिन्दे भी .स्टैंड शब्द कृपया शुद्ध कर लें .आभार ........वीरुभाई .

    _______________
    लिंक 21-
    सुर-क्षेत्र में "सुर" गया तेल लेने -महेन्द्र श्रीवास्तव
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    Replies


    1. पहले तो आप खुद अपने कमेंट की भाषा देख लें, फिर भाषा और संस्कृत के लंबरदार बनने की कोशिश कीजिए।
      अभी भी मेरे स्पैम बाक्स में पचासों कमेंट आपके हैं, जिसमें आपने मर्यादा की सारी सीमाएं तोड़ रखी हैं। फिर भी आप कोई मेरे या देश के रोल माडल तो हैं नहीं कि उससे मुझे गुरेज हो।
      हां मैने आतिफ के लिए जो कुछ भी लिखा है, वो गल्ती से नहीं बिल्कुल जानबूझ कर लिखा है, क्योंकि आशा ताई के मुकाबले उनकी कोई हैसियत नहीं है. और वो उनसे जिस अंदाज में बात करता है, उससे इसी भाषा में बात करना उचित है।
      मुझे अपने लिखे पर कोई ग्लानि नहीं है, चाहे आप इसे सलमान की भाषा कहें या फिर आपके अग्रज अरविंद की .........महेंद्र श्रीवास्तव जी

      .

      कैसा मधुरिम प्यार है, वाह युगल विद्वान |
      उड़ा रहे हैं धज्जियाँ, दे दे के सम्मान |
      दे दे के सम्मान, विवादों में रस लेता |
      धक्का-मुक्की होय, मगर मत बनो विजेता |
      जितवाओ साहित्य, जोर से बोलो हैसा |
      डाल हाथ में हाथ, अजी यह खटपट कैसा ||



  2. वीरुभाई उवाच :


    बेटे जी .अपने आंकड़े दुरुस्त कर लें .डॉ .अरविन्द मिश्र जी मुझसे उम्र में 10-11 साल छोटे हैं .,आदरणीय अनुज हैं हमारे .आप भी हैं .जो हमसे पहले जन्मा है वह हमारा अग्रज है और जो पीछे आया है वह अनुज .वैसे अनुज छोटे भाई और अनुजा छोटी बहन को भी कहा  जाता है और अग्रज बड़े भाई और अग्रजा बड़ी बहन को .भी ...........वीरुभाई .
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  3. "वैसे आज आप भाषा की मर्यादा सिखा रहे हैं, मैं बताऊं की आप खुद अपने छोटों से किस तरह की भाषा बोलते हैं। मेरे स्पैम बाक्स में आपके पचासों आपत्तिजनक कमेंट पड़े हैं। आज यहां भाषा की मर्यादा सिखाने आए हैं।"......महेंद्र श्रीवास्तव जी .

    बेटे जी !हौसला है तो प्रकाशित करें उन टिप्पणियों को .ताकी सनद रहे .जो कुछ मैं लिख चुका हूँ अब वह ब्लॉग जगत की संपत्ति है मेरी नहीं .मैं उसे छुपाके नहीं रखता हूँ .आधा सच  ,पूरे झूठ से ज्यादा  खतरनाक होता है .और "गलती" कर लें "गल्ती "को अशुद्ध रूप है "गल्ती" .पत्रकारिता और संगीत दोनों में स्वर /शब्दों की शुचिता ज़रूरी होती है .बे -ताला होना /वर्तनी की अशुद्धियाँ यहाँ मान्य नहीं हैं .आप अनुसरण करना ही है तो गणेश शंकर विद्यार्थी का करें ,पत्रकारिता में हैं ,लम्बी रेस के घोडें हैं .ब्लॉग जगत के दिग्विजय न बने।.......वीरुभाई 

    एक ब्लोगिया विमर्श यह भी



    कैसा मधुरिम प्यार है, वाह युगल विद्वान |
    उड़ा रहे हैं धज्जियाँ, दे दे के सम्मान |
    दे दे के सम्मान, विवादों में रस लेता |
    धक्का-मुक्की होय, मगर मत बनो विजेता |
    जितवाओ साहित्य, जोर से बोलो हैसा |
    डाल हाथ में हाथ, अजी यह खटपट कैसा ||




2 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

Arvind Mishra ने कहा…

ये महेंद्र श्रीवास्तव वही तो तगड़े वाले पत्रकार नहीं है जो कल्पनाओं के सहारे अपनी स्टोरीज तैयार करते हैं!
वीरुभाई -इनका तथ्यपरक लेखन से कोई वास्ता नहीं हैं और ईश्वर तो इन पर कृपालु हुए(तभी धरा पर आये, मानुष तन पाए )
मगर सरस्वती जी इनसे विरत हो गयीं !
ये बड़े कमाल के आदमी है ये -आप इनकी महिमा की पार नहीं पायेगें! देखिये हमारे आपके उम्र के फासले को भी इन्होने दनाक दिना पाट दिया -
आप भी कहाँ चक्कर में आ जाते हैं -किनारा करिए इनसे ...आपकी कीमत ये नहीं पहचान पायेगें!