गुरुवार, 4 अक्टूबर 2012

हर उम्र में सबके लिए ज़रूरी है अच्छी नींद

हर उम्र में सबके लिए ज़रूरी है अच्छी नींद 


वीरू भाई पर..........

सोया घोड़े बेचकर ,जाग मुसाफिर जाग |
चुरा गठरिया हाय रे,चोर जाय ना भाग ||

मेरी निद्रा तुझे मिले,ऐसा कर दे राम |
मैं जागूँ सो जाय तू , निपटें मेरे काम ||

नींद न आये रात भर , लगा प्रेम का रोग |
दिल सचमुच खो जाय गर,छोड़ा ना हठयोग ||

गीत गज़ल में नींद का,जैसा करें प्रयोग |
किंतु नींद भरपूर लें, और भगायें रोग ||


बेशक अच्छी पुरसुकून नींद ले पाना कुछ के लिए दिवास्वप्न सा अप्राप्य लक्ष्य बनता जा रहा है लेकिन हेल्दी स्लीप आज हेल्दी ब्रेकफास्ट और नियमित व्यायाम की ही तरह लेना ज़रूरी हो गया है .ताकि दिन भर की भागदौड़ में आपका ऊर्जा स्तर और दम खम बना रहे .
ज़रुरत से बहुत कम सो पाना आपके दिल के लिए खतरे पैदा कर सकता है .आप जीवन शैली रोग मधुमेह की ज़द में भी आ सकतें हैं .आपके वजन में भी इजाफा हो सकता है .ड्राइविंग करते वक्त  आप के लिए  दुर्घटना के खतरे का वजन बढ़ सकता है .

अच्छी नींद किसे कहा जाए इसकी कोई सब पे लागू होने वाली स्वीकृत मानक परिभाषा नहीं है क्योंकि सब की नींद की ज़रूरीयात भी जुदा जुदा हो सकतीं 

हैं .

कैसे जाना जाए आप ठीक से सो पा रहें हैं या नहीं ?

क्या आप दिन भर तरोताजा महसूस करते हैं ?या गिरे पड़े रहतें हैं .बस जैसे तैसे दिन निकल जाता है आपका ?

काम करने की आपकी सुस्त रफ़्तार सब कुछ कह देती है .

  ये बिखरी हुई जुल्फें , ये उड़ी  उड़ी सी रंगत ,बे -नूर तेरे ज़लवे ,तेरी सुबह कह रही है तेरी रात का फ़साना .

जाहिर है नींद में खलल तारी रहा है .

काम करने में आपका तालमेल .समन्वयन इसीलिए गड़बड़ाया हुआ है ,ध्यान भी टिक नहीं रहा है काम में ,सही निष्कर्ष पे भी आप नहीं पहुँच पा रहें हैं .

मतलब साफ़ है  आप पर्याप्त सो नहीं पाए हैं .सो नहीं पा रहें हैं .

जहां हरेक के नींद के क्वांटम (न्यूनतम निर्धारित मात्रा के परिमाण )में अंतर रहता है .उम्र के साथ नींद का अंदाज़ ,नींद का स्वरूप ,रीति और पैट्रन भी बदलता रहता है .युवा रात भर में तकरीबन जहां  पांच बार हरकत में आते हैं सोने के दरमियान हिलते डुलते हैं वहीँ साठ या इससे ऊपर की उम्र के लोग डेढ़ सौ मर्तबा अपने अनजाने ही ऐसा करते रहते हैं .करवट और पहलू बदलते हैं .

मौत का एक दिन मु-अई-यन  है ,नींद क्यों रात भर नहीं आती .

किसको कितनी नींद चाहिए चलिए विहंगावलोकन करते हैं 

(१)बच्चे :बालकों ,आपके नौनिहालों के लिए सुबह के नाश्ते की तरह ही अच्छी नींद बहुत ज़रूरी है .नींद से ही जुडी है उसके स्कूल में सीखने समझने की नव्ज़.जिन बच्चों की नींद पूरी नहीं हो पाती वह स्कूल में ऊंघते ,चौकन्ने रहने दिखने का संघर्ष करते देखे जा सकते हैं .

खेल के मैदान में भी इनका प्रदर्शन असर ग्रस्त होता है .बे -चैन क्या अवसाद में भी ले जा सकती है इन्हें नींद की निरंतर बनी रहनी वाली कमी .ऐसा अध्ययनों से पुष्ट हुआ है .प्रगट हुआ है .

बच्चे का ठीक से न सो पाना पूरे परिवार को अपनी लपेट में ले लेता है .बच्चे को बहलाते सोने के लिए फुसलाते फुसलाते माँ बाप उन्नींदे रह जातें हैं .बिस्तर में घुसने का समय नियमित कीजिए बच्चों का .जो जिद करें उन्हें साफ़ संकेत जाए भाई साहब आपको सोना ही सोना है हर हाल में अब .

किशोर वृन्द 

इन्हें ज्यादा नींद चाहिए .लेकिन ये आजकल हार्ड वायर्ड रहतें हैं देर रात गए तक जागने के लिए और सुबह देर से उठने को भी .

लेकिन बीच में स्कूल आ जाता है .वह सारा गुड़ गोबर कर देता है .जैविक ज़रूरीयात देर तक सोते रहने की धरी की  धरी रह जाती है .उत्तेजना ,टेंशन और बे -चैनी आजकल किशोर किशोरियों को घेरे रहती है .कहीं होबी क्लास का दवाब ,कहीं ट्यूशन ,कहीं समर कोर्स कहीं ये कहीं वो .लो कल लो बात .ऊपर से परीक्षा में प्रदर्शन का दवाब .सो लो भाई साहब चैन से .माँ बाप की बेहूदा अपेक्षाएं महत्व -कांक्षा आज कुछ ज्यादा ही बढ़ी हुई है .लिटिल चेम्प्स से लेकर सा रे गा मा....तक .

इन अतिरिक्त गतिविधियों में कटौती की जाए तो बात बने .

इन के शयन कक्ष में सोते वक्त कंप्यूटर ,टी .वी .स्मार्ट फोन्स आदि बिलकुल न हों ऐसा नींद के माहिर मानतें हैं .तब इस स्थिति में कुछ सुधार आ सकता है .

बालिग़ 

इसकी एक बानगी देखिये :

By the end of the day my mind seems like that weary database which has been beaten up, hammered down and over used by multiple queries made from all possible directions!!! Need a system reboot and probably some additional memory before a complete fail over is required!!!

बालिगों की दैनिकी  में विविध दवाब और तकाज़े हैं यहाँ भी वहां भी .घर में भी दफ्तर में भी .हिन्दुस्तान में भी अमरीका में भी .जब ये काम नहीं भी कर रहे होते हैं तब भी दवाब काम का ही बना रहता है .व्यस्ता से ज्यादा व्यस्ता बोध मारता है .

ऐसे में सोते समय भी दिमाग खामोश नहीं रहता .विचार श्रृंखला दौड़ती रहती है .रेस के घोड़ों सी .नींद पूरी हो तो कैसे ?

सारे दिन दफ्तर में खटने के बाद कामकाजी महिलाओं में से अनेकों  को बच्चों के साथ भी मगज पच्ची करनी पड़ती है .हजबैंड की भी ताबेदारी करनी पड़ती है .

जैविक रूप से भी भिन्न हैं महिलाएं .रजो-निवृत्ति (मीनोपाज़ ) में प्रवेश लेते नींद की समस्या रूप बदलके आती है .हॉटफ्लेशिज़ ,इनसोम्निया इस दौर की आम 

समस्याएं हैं .

हॉट फ्लेश बोले तो सुर्ख रू हो जाना चेहरे का गर्मी की स्पन्द का पूरे शरीर में टहल आना .पसीना छूटना और ऐसा इस ख़ास अवधि में होने वाले हारमोन बदलावों की 

वजह से ही होता है .

तनाव  का प्रबंधन ,शिथलीकरण आदि बचावी उपाय हो सकते हैं इस दरमियाँ.

(ज़ारी )

विशेष :दूसरी किस्त में बा -कायदा एक तालिका होगी 

How much sleep do you need ?

बुजर्गों  की बात होगी .फिलवक्त इस किस्त में आज इतना ही . 



हर उम्र में सबके लिए ज़रूरी है अच्छी नींद(दूसरी किस्त )


उम्र दराज़ लोग 

अन्य बालिगों  की तरह उम्र दराज़ लोगों को भी उतनी ही नींद  चाहिए जो अकसर उन्हें मयस्सर हो नहीं पाती है .ये हलकी गहरी नींद ही ले पाते हैं अकसर रात को इनकी आँख खुल  जाती है .कमसे कम एक मर्तबा तो टॉय -लिट जाते ही हैं सोते से उठकर .नींद में ये खलल बढ़िया गुणवत्ता की नींद न ले पाना इन्हें दिन में उनींदा बनाए रहता  है .

स्लीप एप्नि (नींद में खर्राटे  लेना और इस वजह से श्वसन अवरोध )की समस्या भी इस उम्र में ज्यादा पेश आती है .

एक और मेडिकल कंडीशन है जिसमें पैरों में कीलें सी चुभना ,झुनझुनी चढ़ना (tingling ),पैरों का खुजली और जलन की वजह से चुनचुनाना,पैरों में दर्द होना ,लगना जैसे कीड़ें रेंग रहें हों अन्दर अन्दर का लक्षणों के रूप में प्रगटीकरण होता है .इस स्थिति को कहतें हैं restless legs syndrome.

यह  भी  इस  उम्र  में  आम  हो  जाती  है नतीज़न इन लोगों में से कितनों  को ही सोते सोते पैर झटकते पटकते देखा जा सकता है वह भी सोते सोते .ये तमाम वज़ुहातें इनकी नींद में खलल डालती हैं .

अवसाद ,बे -चैनी ,दीर्घावधि बने रहना वाला दर्द ,दवा दारु का चलते रहना भी इनमे आम हो जाता है .कभी ये दवा खानी भूल गए कभी वह .ये तमाम कारण भी इनकी नींद में खलल पैदा करने लगतें हैं .

अध्ययनों से पुष्ट हुआ दिन में कभी भी ,सुबह शाम या किसी भी और पहर जब भी मुमकिन हो  हलका फुल्का नियमित व्यायाम करते रहने से इन्हें ठीक से सोने में मदद मिलती है . 

कुछ थोड़ी बहुत देर दिन में ज़रूर सोते हैं ताकि रात की नींद की कमी बेशी की भरपाई की जा सके .लेकिन यह दोपहर के भोजन के बाद का अल्प विराम ही बनें १५ -२० मिनिट का नैप भर हो .झपकी भर हो अल्पकालीन .

ऐसा करने से ये रात को भी देर तक और बेहतर नींद ले पाते हैं .लेकिन दिन में ज्यादा देर तक सोना रात के स्लीप साइकिल में खलल का सबब भी बन सकता है . 

जीवन का कोई भी चरण हो कुछ रणनीतियां बनाना अच्छी नींद की कुछ तो गारंटी देतीं ही हैं .

(१)रात को सोने औरसुबह  जागने का समय सुनिश्चित कीजिए .सैर करने का भी .

(२)दिन में  बारहा झपकी लेने से बचें .

(३)सोने से पहले गर्म पानी से नहाएं या फिर अपनी पसंदीदा किताब पढ़ते पढ़ते सोएं .

(४)सोने का कमरा आरामदायक और ऐसा हो जिसमें अन्धेरा किया जा सके .तकिए गद्दे सभी  आपकी पसंद के हों .

(५)  यदि नींद नहीं आ रही है तो ज़बर -जस्ती  लेटे रहने से बेहतर है कोई ऐसा काम किया जाए जो आपको शांत और तनाव मुक्त करता हो .

(६)नियमित व्यायाम कीजिए लेकिन रात को बहुत देर से नहीं .मैं ने कई लोगों को रात के ११ -१२ बजे भी कसरत करते देखा है घर घर में .

(७)सोने से पहले धूम्रपान करने ,कैफीन  युक्त पेय और शराब आदि नशीले पदार्थों  के सेवन से बचिए .लेना ही है ये पदार्थ तो मात्रा सीमित रखें .

(८)रात को सोने से पहले यदि दो घंटे की अवधि के   भीतर भीतर   खाना खा रहे हैं तब ओवर ईट न करें .हलका रखें रात का भोजन .

(९)अपने आप से नींद की गोलियां बिना नुस्खे वाली ,ओवर दी काउंटर स्लीपिंग पिल्स खरीद कर न खाएं .

(१०)कंप्यूटर ,टी .वी .,सेल फोन आदि  बंद रखें .बेहतर हो ,ये सोने के कमरे में हों ही न .

(११)यदि आपकी दवा दारु कोई चल रही है तो अपने पारिवारिक चिकित्सक से पूँछ देखें इनमें  से कोई दवा आपकी नींद में खलल की वजह तो नहीं बन रही है .या बनेगी .

(१२)बे-चैनी ,अवसाद ,किसी भी तरह की स्ट्रेस (दवाब पैदा करने वाली  स्थिति ),का प्रबंधन करना सीखें .मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं .ध्यान लगाएं सोने से पहले चंद मिनिटों के लिए ही सही .

How much sleep do you need ?

Newborns (0-2months)             12-18 घंटा  
Infants     (3-11 months )          14-15 घंटा 

Toddlers (1-3 years)                 12-14 घंटा 

Preschoolers(3 -5 years)          11-13 घंटा 

School -age kids (5-10 years )  10-11 घंटा 

Teens (10-17 )                            8.5-9.25  घंटा 

Adults                                           7-9  घंटा 

सन्दर्भ -सामिग्री :-नेशनल स्लीप फाउन -डे -शन (National sleep foundation )

Fall 2012 /Living Healthy (SLEEP WELL at any age )

FAST FACT

Among working adults ,30 percent get six hours sleep or less a night .Night shift workers fare even worse -44 percent sleep six hours or less ,says the Centres for Disease Control and Prevention.  

8 टिप्‍पणियां:

virendra sharma ने कहा…

प्यार मौहब्बत देख, आपकी हम कितने हैरान ,

करें शुक्रिया आपका सुनिए हम श्रीमान !

द्रुत टिपण्णी और चर्चा मंच में समायोजन के लिए शुक्रिया ,मेहरबान .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

इस पर तो सदा सहमत होने को तैयार बैठे हैं।

डॉ टी एस दराल ने कहा…

मांगू हीरे न मोती , मांगू कुछ भी नाय
मांगू बस इतना मुझे, नींद वही मिल जाए .

बचपन सी नींद के क्या कहने !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

आपाधापी ने नींद भी छीनी है आज के दौर में ... सजग करते विचार

Shalini kaushik ने कहा…

nice post.

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

सोया घोड़े बेचकर ,जाग मुसाफिर जाग |
चुरा गठरिया हाय रे,चोर जाय ना भाग ||

मेरी निद्रा तुझे मिले,ऐसा कर दे राम |
मैं जागूँ सो जाय तू , निपटें मेरे काम ||

नींद न आये रात भर , लगा प्रेम का रोग |
दिल सचमुच खो जाय गर,छोड़ा ना हठयोग ||

गीत गज़ल में नींद का,जैसा करें प्रयोग |
किंतु नींद भरपूर लें, और भगायें रोग ||

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कैसे पता चलता है
नींद जो आई थी
सुंदर नींद थी
वो आती है
जिसके पास
वो तो सो जाता है
फिर उसलो ये बात
कौन उठा के
बता पाता है?

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर जानकारी...वाकई नींद पूरी होनी भी जरूरी है..