सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे

अथ वागीश उवाच :ये कांग्रेसी हरकारे 

यह उलकापात का युग है .उलकाएं अन्तरिक्ष से आतीं हैं .सूचना सूक्ष्म तत्व है स्थूल नहीं ये बात कांग्रेसी हरकारे नहीं जानते हैं .ये हरकारों का युग नहीं है .युग चेतना संक्रमण कर रही है .इस दौर में जितने भी अच्छे विचारक हैं वह अन्तरिक्ष चारी हैं .वह नारद की तरह अन्तरिक्ष से आते हैं और अन्तरिक्ष में ही चले जाते हैं .

पृथ्वी का कारक जल है .जल का कारक अग्नि है .वायु का कारक आकाश है .आकाश तो पूरा का पूरा है .एक ख़ास ऊंचाई पर शुरु होता है जहां हमारी श्रव्य ,दृश्य ,घ्राण शक्तियां काम नहीं करती हैं .सूचना ईथर तरंगों (ईथिरियल वेवज )से होके आती है .अब वही शब्द असर करेगा जो अन्तरिक्ष से छोड़ा जाएगा .

हम तो अन्तरिक्ष स्थित होकर न्यायपूर्ण बात कहतें हैं .शब्द सबसे बड़ा जोड़ है हम उसकी शक्ति को पहचानते हैं .

कुछ लोग होते होंगे जो हरकारे हैं .वह स्थूल बात करते हैं .सिर्फ देह की भाषा को समझते हैं .और इतना ही नहीं देह की भाषा को सर्वोत्तम भी मानते हैं .इनका लालू प्रसाद की तरह एक ही दर्शन है देह से जितना भी संतान पैदा कर सकते हो करो .ये लालू जी इन अर्थों में मुसलमान हैं .ये देह को ही सर्वोत्तम समझते हैं और इसी देह दर्शन में मर जाते हैं .धृत राष्ट्र ने एक सौ एक पैदा किए सब मारे गए क्योंकि कोई सूक्ष्म दृष्टि नहीं थी देह दर्शन था ..मौक़ा देखते ही हरकारे बन जातें हैं ये लोग .

हम यहाँ  तर्क को अपनी जिद से निरस्त करने वाले वैज्ञानिक मूल्यों का हनन करने वाले कांग्रेसी कुतर्की ,वक्र मुखी  हरकारों की बात कर रहें हैं .

आज से सौ साल बाद ये सारे के सारे हरकारे कंस और रावण की तरह एक प्रतीक बन जायेंगे  .कहा जाएगा इस देश में कांग्रेसी भी होते थे कंस की तरह .जिन्होनें सारी व्यवस्थाएं ,संविधानिक संस्थाएं तोड़ दीं  थीं .ये सिर्फ देह का विस्तार करते थे लालू की तरह मस्तिष्क का नहीं .ये भूमि पर भार होतें थे , इनसे पूछा जाना चाहिए था और भार इस धरा पर क्यों बढा रहे हो ?कहतें हैं ये अपने विकास के अंतिम चरण में कोयला खाने लगे थे .लालूजी चारे में ही अटके रह गए थे . 

7 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

हरकारे *हरहा हदस, *हहर *हई हकलाय ।

"खुर-सीध" जान सल मान को, जाय जान दे जाय ।

जाय जान दे जाय, यह पहला नंबर पाए ।

चमचे तो अधिसंख्य, जल्द पहचान बनाए ।

सबकी गजब दलील, लील जाते हैं टुकड़े ।

गिरगिट अजगर गधे, लोमड़ी बरदे कुकड़े ।।

*जानवर *डर *अचरज

पूरण खण्डेलवाल ने कहा…

हरकारों का भी जब हकीकत से वास्ता पड़ेगा तो ये लोग भी जमीं पर आ गिरेंगे !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

:):) बहुत बढ़िया ....

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

ये हरकारे एक दिन हाराकिरी करेंगे !

Asha Joglekar ने कहा…

सूक्ष्म बातें कांग्रेस के बस की कहां । आप सौ साल की बात करते हैं और दस भी ना चलेगी यह ।

प्रतिभा सक्सेना ने कहा…

यहाँ लोग एक से एक बढ़ कर हैं !

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

bahut khoob...good analysis....