शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

केवल वयस्कों के लिए (तीसरी क़िस्त )

केवल वयस्कों के लिए (तीसरी क़िस्त ):सवाल ज़वाब माहिरों के मुख से

?पति पत्नी दोनों ही सेक्सोलोजिइस्ट के पास पहुंचे थे पति ने माहिर को बतलाया था  डॉ .मैं इनकी कायिक

मांग

इनकी

यौन बुभुक्षा को पूरा नहीं कर पा रहा हूँ .इनकी फरमाइश  है मैं रोज़ घुड़सवारी करूँ .

ये कहतीं हैं इनके जीजा साहब रोज़ ऐसा करते हैं .और साथ में यह भी कहती हैं सुखी ग्राहस्थ्य का सर्वोत्तम

उपाय यही है .

इससे पहले माहिर कुछ कहें पति ही बोला -ये जैसी भी हैं मुझे अच्छी लगतीं हैं मैं इनमें  न एश्वर्य राय ढूंढता हूँ

न सुष्मिता ,मुझे इनसे पर्याप्त यौन तृप्ति और उत्तेजन प्राप्त हो जाता है .


**माहिर ने कहा अपने अनजाने ही यही तो हम अपने बच्चों के साथ भी कर रहें हैं .हम उनकी तुलना उनके

हमजोलियों के साथ कर बैठतें हैं ,देखो फलां पढ़ाई में कितना तेज़ है ,हमेशा होम वर्क चाक चौबंद .

हम उन्हें आई आई टीज और हारवर्ड में देखना चाहतें हैं .बच्चा चाहता है वह जैसा भी है उसे स्वीकृति मिलनी

चाहिए ,किसी से तुलना करके उसकी हेटी नहीं की जाए यह उसकी न्यूनतर अभिलाषा होती है लेकिन हम तो

अपनी झोंक में अपनी पिन्नक में  रहते हैं ."जो है उसमें ,में नहीं ,जो नहीं है ,"चाहिए " में जीतें हैं .

इसका बच्चे के दिलोदिमाग पे क्या प्रभाव पड़ता होगा आप दोनों को अंदाज़ा नहीं होगा .

डॉ ,ने पत्नी से मुखातिब हो कहा -आपके पति भी स्वीकृति चाहतें हैं अपने होने की .अपनी इज्नेस की .संबंधों में

तुलना तत्व स्थिति को बद से बदतर बना सकता है .

तुलना की बुनियाद में अपेक्षाएं निहित रहतीं हैं .वह जो आप अपने साथी से चाहतें हैं .लेकिन यही तुलना उसमें

असुरक्षा की भावना भर देती है .अपने अप्रयाप्त होने का एहसास करवा देती है .

कई तो इन  शब्द बाणों  से आहत  होते रहते हैं .भूल नहीं पाते इन कटाक्षों को .अवसाद ग्रस्त भी हो जातें हैं .

नियाग्रा फियाग्रा की ओर भी निकष पर खरा उतरने ,आपके तराजू पे पूरा उतरने के लिए चले आते हैं .इस सबके

और भी उलटे नतीजे निकलते हैं .

समझिये ,मानिए ये जो भी हैं जैसे भी हैं ,जितने भी हैं ,आपके हैं , आपके लिए ख़ास हैं ,टेलर मेड हैं ,इनके उन

गुणों पे ध्यान दीजिए जो असाधारण हैं .

कहना ही है किसी कमी के बाबत तो सीधा कहिये मुझे ऐसा लगता है ,मुझे ये चाहिए ,घुमाना फिराना क्यों है

किसी बात को आपस में .

सेक्स इज ए डेलिकेट इश्यु .इट इज आल इन दी माइंड .

(समाप्त )

सन्दर्भ -सामिग्री :-

Q&a /ASK EXPERT :SEXOLOGY/THE WEEK .HEALTH .SEPTEMBER23,2012,P49.

www.the-week.com






3 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

स्तरीय प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारे ||

डॉ टी एस दराल ने कहा…

सही कहा , इस मामले में तुलना करना सही नहीं है .
पति पत्नी के बीच प्यार होता है जो शारीरिक संबंधों को स्वयं दिशा देता है .

My Spicy Stories ने कहा…

Nice and Interesting Jokes and प्यार की बात Shared Ever.

Thank You.