मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ., भली करें करतार भजमन हरी हरी .



भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी .,

भली करें करतार भजमन हरी हरी 

बचपन में ये मुहावरा सुनते थे खुला खेल फर्रुखाबादी .तब इसका अर्थ पता नहीं था .लेकिन अब 

ये खेल समझ आने लगा है .यहाँ से नियुक्त जो सांसद 

विकलांगों के लिए ली हुई ग्रांट को भी खा जाए वह खेले खुला खेल फर्रुखाबादी . 

विकलांग  तो शरीर से पहले ही बाधित है ईश्वर ने उसे पहले ही मारा हुआ है लेकिन यह इल्म 

इस 

खेल खेलने वाले को जरा भी नहीं होता है .भले वह पुनर 

जन्म 

में 

यकीन न करता हो ,खुदा को तो मानता है .खुदा क्या यह कहता है लूट लो विकलांगों की कुर्सी भी 

खा जाओ .

अगर इस देश का क़ानून मंत्री क़ानून निभाता तो हमारे मन में ताप नहीं उठता .हम तो संस्कृति 

और सेहत की बात करते इनकी बात करके अपना समय 

व्यर्थ नहीं करते .लेकिन यह लड़ाई है लुटेरों और कमरों के बीच की है  .युवा देश का सब कुछ देख 

रहा है अन्दर से कसमसा रहा है .लेकिन ये सरकारी लोग  

तो शतप्रतिशत भ्रष्टाचार पे उतर आयें हैं .हमने ऐसा अब तक 

कभी न देखा है की पूरी  सरकार ही भ्रष्ट आ जाए .

अब आप हमें बतलाइये झूठा  शपथपत्र दाखिल करने वाला आदमी क़ानून मंत्री कैसे हो सकता है

 .  चीन देश का  क़ानून मंत्री यदि ऐसा करता तो पहले उसे 

गिरफ्तार किया जाता फिर गोली मार दी जाती . 

आप हमें बतलाएं - इनमें  कौन सी बात क़ानून मंत्री वाली है .इलेक्शन के दौरान यह मज़हबी 

बात करतें हैं .मुसलामानों को मुंह खोलके कहतें हैं 15 

%आरक्षण दिलवा दूंगा .

वह तो भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसने इनका मुंह बंद करवाया वरना इनका मुंह खुला ही रहता 

.ये उस वक्त क़ानून मंत्री का लबादा उतार के खालिस 

मुसलमान बन गए थे .

तुष्टिकरण पर उतर आये थे .

आज भी ये कह सकतें हैं मैं अख्लियत का आदमी हूँ अल्पसंख्यक हूँ इसलिए लोग मुझे बदनाम 

कर रहें हैं .देख लेना इनका आखिरी अस्त्र यही होगा .

ये लोग लूट के नए नए तरीके ईजाद कर रहें हैं .जल्दी मची है इन्हें लूट की .इस देश में एक फौज 

न हो तो यह पूरे देश को लूट के भाग जाएँ .

क़ानून का सहारा लेकर यह ट्रस्ट बनाते हैं .पैसा सरकार से लेतें हैं .फिर उस पैसे को खा जातें हैं .

इस देश में अम्बेडकर जैसे लोग क़ानून मंत्री रहें हैं उनकी शुचिता देख उन्हें संविधान निर्माण का 

काम सौंपा गया था  .अब उस कुर्सी पे सलमान खुर्शीद आ 

गएँ हैं .

ये ऑक्सफोर्ड और हार्वर्ड में पढ़े लोग देश को अभी भी उसी निगाह से देखते हैं जैसे गोरे  देखते  

थे ."ये सड़क छाप लोग हैं घटिया थर्ड ग्रेड लोग हैं इनपे हमें 

शासन करना है ."ये कैटिल क्लास है कहते कहते इनके एक मंत्री अभूतपूर्व हो गए .

लालू और मुलायम जैसे जब तब इन भ्रष्टों की हिमायत में निकल आतें हैं .एक पे चाराखोरी का 

मामला है दूसरे   पे आय से अधिक संपत्ति का .इनकी 

हिमायत में संजय गांधी की पूर्व महबूबा मुंह पोपला करके बोलतीं हैं भाई उसका सलमान का 

कोई कसूर नहीं हैं .पहले पत्रकारों से  कह रहीं थीं उसे इंग्लैण्ड से तो लौट 

आने दो .फिर बात करेंगे .

सोनिया जी चुप करके बैठ गईं  हैं ,उन्हें पता है बोलूंगी तो फिर वाड्रा पे बात आ जायेगी .गुडगाँव 

से बीकानेर ,जैसलमेर तक पहले ही उसके चर्चे हैं .अगर 

कांग्रेस फिर भी इस देश में 2014 में आ जाती है तो इस देश पे लानत है .

कांग्रेस को तो हिन्द महासागर में उठाके फैंक देना चाहिए .

भ्रष्टों की सरकार भजमन हरी हरी ,

भली करें करतार ,भजमन हरी हरी .

भ्रष्ट हुई सरकार भजमन हरी हरी ,

भली करें करतार ,भजमन हरी हरी ,

अपना केज़री -वार ,भजमन हरी हरी ,

तीर नहीं तलवार ,भजमन हरी हरी .

पस्त हुई सरकार ,भजमन हरी हरी .

कोयला खाए सरकार ,भजमन हरी हरी ,

कुर्सीपहियेदार भजमन हरी हरी .

सैयां थानेदार भजमन हरी हरी .

काला है सरदार भजमन हरी हरी .

सैयां थानेदार भजमन हरी हरी .

एनएसजी हब में दरार भजमन हरी हरी .

4 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

भज मन हरी हरी-
कौन सा मन -मोहन वाला
या आ का डंडा निकाल के सल -मन वाला -
हरी हरी
दिल्ली वालों को बड़ी हरेरी सूझ रही है-

रविकर ने कहा…

ravikar punj par
खर्चे कम बाला नशीं, कितना चतुर दमाद ।
कौड़ी बनती अशर्फी, देता रविकर दाद ।
देता रविकर दाद, मास केवल दो बीते ।
लेकिन दुश्मन ढेर, लगा प्रज्वलित पलीते ।
कुछ भी नहीं उखाड़, सकोगे कर के चर्चे ।
करवा लूँ सब ठीक, चवन्नी भी बिन खर्चे ।
खर्चे कम बाला नशीं = वीरु भाई व्याख्या कर दें कृपया ।।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

वाह क्या हरा हरा दिखा रहे हैं
मेरी सरकार क्यों आप सरकार को ऎसे वैसे गिराने के लिये जा रहे हैं ?

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सरकार भ्रष्ट है इसका अर्थ ये नहीं कि विपक्ष भी भ्रष्ट बन जाए और जनता भी. जनता के बल पर ही नेता बनते और सरकार बनती, सरकार बदलती, चुनाव फिर से वही... देश विकल्पहीन है किसी एक को क्या दोष. बहती नदी में सभी हाथ धोते.