रविवार, 21 अक्टूबर 2012

पेशीय फड़कन (Muscle twitching or Fasciculation )

पेशीय फड़कन (Muscle twitching or Fasciculation )(तीसरी क़िस्त )


(तीसरी क़िस्त )

BENIGN TWITCHES

कब होती है पेशीय फड़कन निरापद ?

जब इसकी वजह मानसिक दवाब (स्ट्रेस )या मानसिक बे -चैनी (Anxiety)बने तथा असरग्रस्त 

हिस्सों में शामिल हों भवें (Eye lids),पलकें ,पिंडलियाँ 

टांगों 

की या अंगुष्ठ (अगूंठा )बने तथा फड़कन बस चंद दिन ही 

रहे .अक्सर इस स्थिति में किसी इलाज़ की दरकार भी नहीं रहती है .जिनमें बिना किसी प्रगट 

मेडिकल कंडीशन के पेशीय फड़कन प्रगटित होती है अक्सर 

उनमें रोग निदान के रूप में उन्हें "Benign Fasciculation  Syndrome (BFS) की माहिर 

पुष्टि करते हैं .

कब समझा जाए पेशीय फड़कन स्नायुविक वैज्ञानिक(स्नायुविज्ञान विषयक रोगों की वजह  )?

TWITCHING COULD INDICATE A NEUROLOGICAL DISORDER IF 

यदि आपकी स्पर्श अनुभूति ,संवेदन ,स्पर्श करने या होने को अनुभव कर सकना ,पूरे शरीर पर 

या अंग पर पड़े प्रभाव से पैदा अनुभूति में आपको कोई ह्रास 

कोई बदलाव दिखलाई दे महसूस हो ,पेशी का आकार छीजने लगे (Loss of muscle size or 

wasting),  इस छीज़न का साफ़ साफ़ प्रगटीकरण होने लगे

 तब न्यूरोलोजिस्ट के पास सलाह के लिए पहुचना चाहिए .

यदि फड़कन का बने रहना किसी भी वजह से ज़ारी रहता है तब भी आप माहिर के पास ज़रूर 

पहुँचिये .

बालकों के मामले में क्या करें ?

बालकों में पेशीय फड़कन की वजह एपिलेप्सी (अपस्मार ,आम भाषा में मिर्गी का रोग )भी हो 

सकती है .

एक जन्मजात वंशागत प्राप्त तंत्रिका मनो -विकार(Neuropsychiatric disorder) Tourette 

syndrome या Muscular dystrophy भी पेशीय फड़कन 

की बुनियादी वजह हो सकती है . इन सभी मामलों पर अविलम्ब ध्यान दिया जाना चाहिए .

Tourette syndrome is a condition in which somebody experiences multiple tics 

and twitches ,and utters involuntary vocal grunts 

and obscene speech.

इस स्थिति में असर ग्रस्त बालक में चेहरे ,गर्दन और कंधों की पेशियों में स्वयंचालित 

(अनभिप्रेत )संकुचन बार बार होता दिखला देता है .साथ में फड़कन 

भी बारहा होती प्रगटित होगी बिला वजह की बु ड़बुड़ाहट ,करता अपशब्द बोलता नजर आयेगा बालक .

पेशीय डिसट्रोफी में अस्थि  पंजर  की पेशियाँ धीरे धीरे छीजने और कमज़ोर पड़ने लगती हैं .इन 

तमाम मामलों में देर करने का कोई मतलब ही नहीं होता 

है .डॉक्टर के पास पहुँचने में ऐसे मामलों में देर कैसी ?  

अगली क़िस्त में पढ़िए रोगनिदानिक परीक्षण (TESTS)

(ज़ारी ) 

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