गेस्ट पोस्ट :फुटकर शैर राधे श्याम शुक्ल
तेरी सौदागरी ने देश का भूगोल तक बेचा ,
खुदा के वास्ते बसकर ,बचा इतिहास रहने दे .
चारणों की भीड़ में मिल जाएगा कोई कबीर ,
ढूंढ चांदी के शहर में ,कोई तो होगा फ़कीर .
एक जंगल राज में मुज़रे सियासत कर रही ,(मुज़रा )
साज़ पर हैं भेड़िये ,खूंखार आओ कुछ करें .
है समूचे पृष्ठ पर बाज़ार ,गुम है आदमी ,
यह हमारे वक्त का दीदार ,आओ कुछ करें .
वे कभी हमसफर नहीं होते ,
जिन परिंदों के पर नहीं होते .
उसको मुज़रिम कहें या ,सिपाही यहाँ ,
कुछ न आये समझ ,या इलाही यहाँ .
हैं कमोबेश शामिल सभी लूट में ,
हलफिया कौन देगा गवाही यहाँ .
मौत के वास्ते तो खुली छूट है ,
ज़िन्दगी के लिए सब मनाही यहाँ .
एक पुरानी नाव नदी में डूब रही धीरे धीरे ,
कटे हाथ वाले बैठें हैं ,अब टूटी पतवारें हैं .(डूब रही है कांग्रेसी नाव मेरे भैया )
गज़लकार :श्री राधे श्याम जी शुक्ल ,पूर्व व्याख्याता हिंदी विभाग ,छाजू राम जाट मैमोरियल कोलिज ,हिसार (हरियाणा )
माननीय नन्द लाल मेहता "वागीश "इनके गजल संकलन की समीखा लिख रहें हैं .प्राप्त होते ही गेस्ट पोस्ट के तहत प्रकाशित की जायेगी .आभार
वीरुभाई ,43 ,309 ,सिल्वरवुड ड्राइव ,कैंटन ,मिशिगन ,48 ,188
8 टिप्पणियां:
टुंडे - मुंडे खे रहे, भरी भारती नाव |
सात समंदर पार कर, पहुँचेगी उस गाँव |
पहुँचेगी उस गाँव, जहाँ बचुवा का नाना |
बचिया का हसबैंड, बताये देश बनाना |
टाटा को सौ साल, लगे बनने में गुंडे |
मगर अरबपति बने, फटाफट टुंडे-मुंडे ||
उत्कृष्ट प्रस्तुति का लिंक लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।
बहुत सुंदर प्रस्तुति ,,,,,,
MY RECENT POST: माँ,,,
ram ram bhai." charno ki bhid me mil jayga koe kabir......,
वाह ... बेहतरीन
टाटा को सौ साल, चले अब हुंडी-हुंडे |
बड़ी ही दमदार रचना..
'तेरी सौदागरी ने देश का भूगोल तक बेचा ,
खुदा के वास्ते बसकर ,बचा इतिहास रहने दे .'
- उसे भी तोड़े-मरोड़े डाल रहे हैं !
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