मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

हैलोवीन बोले तो ?

हैलोवीन  बोले तो ?

पतझर की बिदाई शरद के आगमन ,बाहुल्य और अभाव ,उत्सव धर्मिता और पारंपरिक 

अंधविश्वास का पर्व है हैलोवीन .इसके मूल में प्राचीन Celtic 

festival Samhain(pronounced sow-in ) रहा है .यह यह घर के चबूतरे पे आग सुलगाके 

,बॉनफ़ाऐअर सुलगाने ,मौत और विनाश के प्रति प्रीत और 

सम्मोहन जगाने वाले विशेष तौर पर इसी अवसर के लिए तैयार किये गए परिधान पहनने का 

पर्व है .यहाँ अमरीका के नगर नगर में एक मौसमी स्टोर 

इस 

पर्व विशेष के लिए खुल जाता है जिसका नाम होता है हैलोवीन सिटी .यहाँ आकर बच्चे बड़े ये 

अज़ीबोगरीब परिधान भूतहा मुखौटे खरीदते हैं .फिल वक्त 

इन स्टोरों पर रोमनी और ओबामा के मुखौटे भी उपलब्ध हैं जो याद दिलातें  हैं अमरीकी 

राष्ट्रपति के आसन्न चुनाव की .

आठवीं शती में पॉप ग्रेगरी तृतीय ने एक नवम्बर को सर्व संत और शहीद दिवस मनाने की 

पेशकश की थी .

इसकी पूर्व संध्या को कहा गया All Hallows' Eve .कालान्तर में इसे ही हैलोवीन कहा जाने 

लगा .

बाद के  बरसों में यह सामुदायिक पर्व बन गया बालकों की मौज मस्ती का जिसमें बालकों को 

लुभाने ललचाने वाली Trick -or -treating चल पड़ी .

यह वैसे ही है जैसे बच्चे होली के मौके पे होलिका दहन के लिए चन्दा एकत्र करते हैं गाते हुए -

होली मांगे होला  दिवाली मांगे तेल ,दे तो दे नहीं न कर दे 

.या फिर लोहड़ी पर्व पर बच्चे घर घर जाके लोहड़ी मांगते हैं .



यह शरद रितु का स्वागत पर्व है जब दिन छोटे होने लगतें  हैं रात ठंडी ,लोग मीठा बाँटते  हैं ,नए 

परिधान धारण करते हैं .बोनफाईअर सुलगा उसके चारों 

तरफ बैठते गातें हैं .खुशियाँ मनाते हैं .

शरीर के लिए छटपटाती प्रेत आत्माओं को अपने घर से दूर भगाने की पर्व है ये .विश्वास किया 

जाता है ये आत्माएं एक साल तक यूं ही भटकती फिरतीं हैं .


लोग परस्पर भूत प्रेत के किस्से सुनाते हैं .एक दूसरे  को बहुविध डराते हैं .फिर दावत लेते हैं .

(ज़ारी )

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