स्कूल में चरस और गांजा ,भुगतोगे भाई, खामियाजा
मनोरोगविदों की माने तो स्वप्न नगरी मुंबई के किशोर किशोरियों में गत दो बरसों में इन नशीले पदार्थों का व्यसन पहले की तुलना में ५०-७५% तक बढ़ गया है .रईस ही नहीं मध्यमवर्गीय परिवारों के किशोर वृन्द भी अब इन नशीले पदार्थों की गिरिफ्त में आरहें हैं .आगे जाके ये शौक जो लत के करीब पहुँच रहा है क्या गुल खिलाएगा इस अबोध भीड़ को नहीं मालूम .इस खुराफाती उन्मादी छवि सचेत उम्र में समझाना भी बहुत मुश्किल है .जहां हमजोलियों का भी निरंतर दवाब बना रहता है .आन बान और शान के लिए महाजन फेक्टर ज़रूरी है .कूल समझा जा रहा है इस शौक को .
प्रतियोगिताओं से पहले इस लत में वृद्धि देखी जा रही है .
मजेदार बात यह है ये प्रतिबंधित पदार्थ आसानी से उपलब्ध हैं स्कूल के आसपास पान की दूकानों पर .होम डिलीवरी भी की जा रही है .भांग की प्रजाति के एक पौधे से प्राप्त पदार्थ कैनाबिस को तो बजट ड्रग कहा जा रहा है क्योंकि इसका अवैध सौदा सस्ते में पट जाता है.
खिलाड़ियों में भी इसका चलन दिनानुदिन स्कूल परिसर में बढ़ रहा है .एड्रीनेलिन दौड़ने लगता है नसों में इन पदार्थों के सेवन के बाद .शरीर पर जैसे चाबुक सा पड़ता रहता है इन पदार्थों का और जैसे वह आराम करना भूल जाता है .प्रदर्शन प्रदर्शन और बस प्रदर्शन की होड़ जो करादे सो कम .इन पीढियो को नहीं कोई गम .चिंता का विषय होना चाहिए गत जनवरी में संपन्न नेशनल स्कूल गेम्स में ११ प्रतिभागी डोप टेस्ट में पोजिटिव पाए गए थे .
शरीर को बेहद की उत्तेजना और ऊर्जा से भर देते हैं ये पदार्थ इतनी ऊर्जा को शरीर की पेशियाँ संभाल नहीं पातीं हैं .दिमाग कोई सोफ्ट वेयर नहीं दे पाता है पेशियों को .नतीजा होता है स्नायुविक तथा यौन सम्बन्धी जटिलताएं .लड़कों की छातियाँ लड़कियों की तरह बढ़ने लगतीं हैं लड़कियों का मासिक चक्र अव्यवस्थित हो जाता है .
कौन- कौन से पदार्थों का सेवन किया जा रहा है और क्या हैं इनके पार्श्व प्रभाव इसकी चर्चा अगली पोस्ट में .अभी के लिए इतना ही .खुदा हाफ़िज़ .
सन्दर्भ -सामिग्री :-More teens use marijuana to feel good ,kill anxiety
75% Rise In Cases Over Past 2 Years : Psychiatrists /TIMES CITY /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 4 ,2012 ,P4
कुछ भी से सबकुछ तक...
पठन से सूचना तक...
सूचना से मनन तक...
मनन से तर्क ( कार्य-कारण निष्पादन ) तक...
तर्क से विज्ञान तक...
और ( यदि संभव हो तो ) –
विज्ञान से ज्ञान, सम्पूर्ण ज्ञान तक...
5 टिप्पणियां:
(1)
शुभ लक्षण त्रि-लघु समझ, गला जांघ अंगुष्ठ ।
ये छोटे गुणवान के, तन-मन उनके पुष्ट ।
पिला रहे जा'पानी ।
खोवे व्यर्थ जवानी ।
प्राकृतिक संरचना खोती, अति रोग घेरते दुष्ट ।।
(2)
आनंदम आनंदम आनंदम, ढूंढ रहे सब सुख संगम ।
मिथ्या जीत की आदत ऐसी, सहना कठिन होता है गम ।
दारू चरस या ड्रग गांजा ।
चचा भतीजा मामा भांजा ।
मद-मस्ती की हेरोइन माता, हुक्का चिलम बाप का दम ।।
lack of awareness
is also one of the reason for drugs
nice post
नशे की लत चिंता का विषय है .... अच्छी जानकारी मिली
स्थिति बड़ी विकट है ..... ऐसी लत तो जीवन ही ले लेती है .....
कृत्रिमता प्राकृतिकता को कुंद कर देती है।
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