कैसे बाहर आयें इस सेक्स्तिंग चक्र व्यू से .ये नादाँ .??
इन दिनों किशोरियों पर अजीब किस्म का दवाब बरपा है यह दवाब संगी साथ हमजोलियों का पीयर्स का बनाया हुआ है जिसके तहत उन्हें अपनी ही यौन विषयक तस्वीरें मोबाइल पर भेजनी पड़तीं हैं या फिर ई -मेल करनी पड़ती हैं .हद तो यह है कि कई मर्तबा यौन सम्बन्धी अंगों पर यह भी लिखना पड़ता है इंगित करना पड़ता है कि मेरे शरीर का यह अंग अमुक के इस्तेमाल के लिए है उसी की संपत्ति है .यह खुलाखेल फरुख्खाबादी नग्नता का लैंगिकता का अपने ही उत्तेजक यौन अंगों के बारें में काम विषयक खेलना पड़ रहा है .एक दुविधा करू न न करू की एक अकेलापन अकेले छूट जाने का भय और भ्रम घेरे हुए है किशोरियों को .यह समस्या पीयर टू पीयर ,हमजोली संवाद की है .
ये ई -सेफ्टी ,ई -असुरक्षा से जुड़ा मामला नहीं है यहाँ ख़तरा अपने ही हमजोलियों से है ,आन लाइन अजनबियों से नहीं .यहाँ सबके अपने अपने अजनबी हैं जो दवाब बनाए हैं . 'A qualitative Study of Children and Young People' नामी यह अध्ययन किंग्स कोलिज लन्दन के रिसर्चरों ने प्रस्तुत किया है .भागेदारी इसमें इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन तथा लन्दन स्कूल आफ इकोनोमिक्स की भी रही है . लन्दन की ३५ किशोरियों से खुली बातचीत के बात रिसर्चरों ने पता लगाया है कि ११ साला कमसिन लड़कियों पर भी अपने साथियों का यह दवाब बना रहता है कि वह अपनी ही सेक्सुअली एक्स्प्लीसिट तस्वीरें भेजें . खासकर उन लड़कों को जिनसे वह वाकिफ हैं . विशेष अंगों के चित्रों पर काली रोशनाई से यह भी इंगित करना पड़ता है फलां अंग फलां के लिए है उसी की मिलकियत है . ब्रिटेन के एक तिहाई से भी ज्यादा किशोर किशोरियां ,अव -किशोर ,अव -किशोरियां अन्डर टीन्स आज इसी कथित Sexting से घिर गएँ हैं . कैसे बाहर आयें इस सेक्स्तिंग चक्र व्यू से .ये नादाँ .?? भारत भी इस समस्या से अछूता नहीं है बस गौर कीजिए रुकिए ,देखिए -क्या कर रही है किशोर किशोरियों की दो दो चार चार के समूह में टोलियाँ दिन के किसी भी प्रहर में एक ही स्मार्ट फोन पर झुकी हुई .ब्ल्यू बेरी का कमाल है यह या ब्लेक का ? सन्दर्भ -सामिग्री :- Girls face sexting threat from peers /TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 18 ,2012,P17
कहीं दिल के लिए ख़तरा -ए -जान ही न बन जाए Azithromycin? सांस की नली की एक बीमारी ब्रोन्ग्काइतिस(Bronchitis ,श्वांस नली की दो मुख्य शाखाओं की एक बीमारी श्व्शनी शोथ ) तथा साइनस के संक्रमण में अकसर दिया जाने वाला एक आम एंटी -बायोटिक अज़िथ्रोमाई सीन(Azithromycin) दिल के लिए बुरा बतलाया जा रहा है .समझा जाता है इसके कोर्स के शुरूआती पांच दिनों में ही कार्डियो -वैस्क्युअलर -डेथ के खतरे का वजन ढाई गुना बढ़ जाता है .न्यू -इंग्लेंड जर्नल ऑफ़ मेडिसन में इस नवीन शोध के अध्ययन को ख़ास जगह दी गई है .
गौर तलब है यही वह प्रति -जैविकी दवा है जो दिल के लिए निरापद समझी जाती थी .जब पता चला कि पेंसिलिन कुछ लोगों को माफिक नहीं आरहा है ज्यादा संवेदन शील हैं कुछ लोग इसके प्रति ,एलर्जिक हैं तब यही वह एंटी -बायटिक है जिसने सहज ही पेंसिलिन की जगह ले ली थी .एज़िथ्रो -मायसिन Macrolides group से ताल्लुक रखती है .अकसर इसका इस्तेमाल Lower respiratory tract infections ,Acute bacterial bronchitis ,community acquired pneumonia ,Upper respiratory tract infections ,चमड़ी को लगने वाले संक्रमणों तथा साधारण किस्म की गैर -पेचीला uncomplicated urethritis due to Chlamydia (मूत्र नली का एक संक्रमण ) के उपचार में किया जाता है .
रिसर्चरों ने एक पूरा दस्तावेज़ पूर्व में संपन्न अनेक अध्ययनों को जांचने के बाद तैयार किया है जो serious Arrhythmias का सम्बन्ध अज़ीथ्रोमाय्सिन के इस्तेमाल से जोड़ता है .
जिन लोगों को कोई और एंटी -बायोटिक न देकर एज़िथ्रोमाय्सिं ही दिया गया उन प्रत्येक एक लाख इलाज़ करवा चुके लोगों में ४७ लोग ज्यादा मरे .बरक्स उनके जिन्हें एज़ीथ्रोमाय्सिन न देकर एमोक्सी -सिलीन (Amoxicillin) दिया गया था .
जो लोग पहले से ही दिल की बीमारियों से ग्रस्त थे उनमे २४५ लोगऔर ज्यादा मरे अज़ीथ्रोमाय्सिन कोर्स (तजवीज़ किया गया नुस्खा )करने के बाद ..
अध्ययन में तकरीबन ३,४८ ,००० तजवीज़ किये गए नुस्खों दवा की पर्चियों ,ओ पी डी टिकिट्स के साथ पूरे रिकोर्ड की तुलना उन लाखों लोगों के नुस्खे से की गई जिन्हें या तो कोई अन्य एंटी -बायोटिक दिया गया या एंटी -बायोटिक सिरे से जिन्हें दिया ही नहीं गया था .
एमोक्सी -सिलीन से तुलना इसलिए की गई क्योंकि यह दिल के लिए निरापद समझा जाता है तथा वैसे ही हालातों में clinical circumstances में दिया जाता है जिनमे एज़िथ्रो -मायसिन का इस्तेमाल होता रहा है .
माहिरों के अनुसार इस दौर में जब कि नए नए अनेक एंटीबायटिक समूह बाज़ार में आगये हैं एज़िथ्रो -मायसिन और इसी समूह की अन्य दवाओं का इस्तेमाल अतिरिक्त सावधानी के साथ किया जाना चाहिए .बेहतर हो विकल्प हीनता की स्थिति में ही इन्हें काम में लिया जाए जब और कोई चारा न हो दूसरी दवा न हो .
यह एहतियात बरतनी तब और भी ज़रूरी हो जाती है जब मरीज़ एक पूर्व वृत्तांत लिए है हृदय और ब्लड वेसिल्स से ताल्लुक रखने वाले रोगों का .
Arrhythmias: It is an irregularity in the normal rhythm or force of a rhythmical action such as heartbeat or breathing.
आम भाषा में इस स्थिति में दिल की धड़कन अनियमि
त हो जाती है .दिल की लय ताल बिगड़ जाती है .दिल की धौंकनी सामान्य से तेज़ भी चल सकती है मंदा भी .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Popular antibiotic is bad for heart ,may lead to death /Azithromycin ,commonly called Z-pack ,is widely prescribed in India to fight bronchitis & sinus infections/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA,MUMBAI ,MAY 18 ,2012 ,१७
कहीं दिल के लिए क्या जीवन के लिए ही ख़तरा न बन जाए ये दवा |
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