जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
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लाखों लाख लोगों को बचाएगा दिल के दौरे से कोलेस्ट्रोल का टीका
Cholesterol jab may save millions from heart attck/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 10,2012/P15
स्वयं सेवियों पर एक कोलेस्ट्रोल टीके की आज़माइश से चिकित्सा जगत आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से सराबोर है .रिसर्चरों के मुताबिक़ जिन लोगों को यह टीका लगाया गया आश्चर्य तौर पर हैरानी की हद तक उनकी धमनियों को अवरुद्ध करने वाला खतरनाक नुकसानदायक कोलेस्ट्रोल (बेद कोलेस्ट्रोल ) तीन चौथाई अंशों में गायब हो गया .७०% से कम धमनी अवरोध होने पर व्यक्ति का काम चलता रहता है .उम्मीद बंध चली है आने वाले समय में लाखों लाख लोगों को यह टीका दिल और दिमाग के दौरों से बचा सकेगा .आज़माइश अभी और होनी हैं .
जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
जीवन में कुछ करने का इरादा होना और योजना बनाके उसपे काम करना दृढ संकल्पित रहना ,एक ध्येय लेकर आगे बढना अल्जाइ - मार्स को उम्र दराज़ होने पर भी आपसे दूर रख सकता है .बचाए रह सकता है आपको इस आम डिमेंशिया से . अब्दुल कलाम साहब कहते हैं आदमी को बड़े खाब देखने चाहिए साइंसदान कह रहे हैं बड़ा ध्येय रखना चाहिए जीवन के लिए .इससे आगे चलके अल्जाइमर्स रोग के खतरे का वजन आगे चलके बुढापे के लिए बहुत कम हो जाता है .
साइंसदान कहतें हैं जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
Rush University Medical Centre के साइंसदानों की एक टीम ने अपना नवीनतम अध्ययन इस आशय का Archives Of General Psychiatry में प्रकाशित किया है .लब्बोलुआब यही है इरादा बनाके आगे बढ़ो जीवन में जो करो इरादतन करो सौदेश्य करो .
बकौल टीम लीडर पेट्रीशिया ए बोयल अध्ययन से पता चला है जो लोग बड़ा ध्येय लेके चलते हैं उनकी बोध सम्बन्धी संज्ञानात्मक समझ बूझ बेहतर रहती है बरक्स उनके जो ऐसा बड़ा कोई लक्ष्य लेके नहीं चलते हैं .और ऐसा तब भी देखने को मिलता है जब इनके दिमाग में प्लाक भी और इसके गुच्छे भी बनने ज़मा होने लगतें हैं . यानी इन बड़े लक्ष्य केन्द्रित लोगों का एम्लोइड प्रोटीन गुच्छ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं .जो अल्जाइमर्स के लिए उत्तरदाई बनते हैं .
इनमे स्मृति ह्रास भी नहीं होता है इसका मतलब हुआ ध्येय लेके चलना प्लाक और टेंगल से पैदा होने वाले स्मृति ह्रास से भी बचाए रहता है .यह एक बड़ी खबर है .
सोचने समझने की बूझने की क्षमता भी असर ग्रस्त नहीं होती है .इसका मतलब यह हुआ कि सौदेश्य बने रहना सार्थक गतिविधियों में संलिप्त और लीन रहना दिमाग की सेहत को बुढापे में भी दुरुस्त बनाए रहता है .
साइंसदानों ने इन नतीजों पर पहुँचने का आधार २४६ ऐसे लोगों के अध्ययन विश्लेषण को बनाया है जो डिमेंशिया ग्रस्त नहीं रहें हैं .जिनकी कालान्तर में मृत्यु हुई और उनके दिमाग की बादे मर्ग (मौत के बाद )
बारीक जांच (Brain autopsy ) भी की गई थी. मृत्यु का कारण जानने के लिए की गई शव परीक्षा ऑटोप्सी कहलाती है .
अध्ययन में शामिल भागीदारों का दस सालों तक सालाना रोगनैदानिक(उपचारात्मक ) मूल्यांकन किया गया .इसमें व्यापक संज्ञानात्मक परीक्षण और स्नायुविक जांच (न्युरोलोजिकल एग्जाम्स )भी शामिल थे .
जीवन में ध्येय सम्बन्धी सवाल भी पूछे गए .कौन किस सीमा तक जीवन अनुभवों का सार निकालता है यह भी बूझा जाना गया .कौन कितना संकल्पित संकेंद्रित रहा है ध्येय प्राप्ति में यह भी बूझा समझा गया .
गौर तलब है जिन लोगों में अल्जाइमर्स के लक्षणों का प्रगटीकरण होने लगता है उनमे प्लाक्स और टेंग्ल्स का बनना आम है .ये ही स्मृति और संज्ञानात्मक बोध सम्बन्धी दूसरे कामों के क्षय की वजह बनते हैं ये एम्लोइड प्रोटीन के गुच्छ ही कुसूरवार हैं अल्जाइमर्स के लिए .
सारी शोध इन्हीं की रोकथाम के लिए इनके बनने की वजह जानने के लिए इनका बनना कम करने के उपायों को समझने के लिए वर्तमान में की जा रही है .
यह समझना ज़रूरी है इनके बनते भी संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को कैसे बनाए रखा जाए .यह शोध उस दिशा में उठा एक सही कदम है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Purpose in life may help stave off Alzheimer' s /TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 9,P19
Cholesterol jab may save millions from heart attck/TIMES TRENDS/THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 10,2012/P15
स्वयं सेवियों पर एक कोलेस्ट्रोल टीके की आज़माइश से चिकित्सा जगत आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से सराबोर है .रिसर्चरों के मुताबिक़ जिन लोगों को यह टीका लगाया गया आश्चर्य तौर पर हैरानी की हद तक उनकी धमनियों को अवरुद्ध करने वाला खतरनाक नुकसानदायक कोलेस्ट्रोल (बेद कोलेस्ट्रोल ) तीन चौथाई अंशों में गायब हो गया .७०% से कम धमनी अवरोध होने पर व्यक्ति का काम चलता रहता है .उम्मीद बंध चली है आने वाले समय में लाखों लाख लोगों को यह टीका दिल और दिमाग के दौरों से बचा सकेगा .आज़माइश अभी और होनी हैं .
जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
जीवन में कुछ करने का इरादा होना और योजना बनाके उसपे काम करना दृढ संकल्पित रहना ,एक ध्येय लेकर आगे बढना अल्जाइ - मार्स को उम्र दराज़ होने पर भी आपसे दूर रख सकता है .बचाए रह सकता है आपको इस आम डिमेंशिया से . अब्दुल कलाम साहब कहते हैं आदमी को बड़े खाब देखने चाहिए साइंसदान कह रहे हैं बड़ा ध्येय रखना चाहिए जीवन के लिए .इससे आगे चलके अल्जाइमर्स रोग के खतरे का वजन आगे चलके बुढापे के लिए बहुत कम हो जाता है .
साइंसदान कहतें हैं जीवन में बड़ा मकसद रखना दिमाग में होने वाले कुछ ऐसे नुकसान दायक बदलावों को मुल्तवी रख सकता है जिनका अल्जाइमर्स से सम्बन्ध है .
Rush University Medical Centre के साइंसदानों की एक टीम ने अपना नवीनतम अध्ययन इस आशय का Archives Of General Psychiatry में प्रकाशित किया है .लब्बोलुआब यही है इरादा बनाके आगे बढ़ो जीवन में जो करो इरादतन करो सौदेश्य करो .
बकौल टीम लीडर पेट्रीशिया ए बोयल अध्ययन से पता चला है जो लोग बड़ा ध्येय लेके चलते हैं उनकी बोध सम्बन्धी संज्ञानात्मक समझ बूझ बेहतर रहती है बरक्स उनके जो ऐसा बड़ा कोई लक्ष्य लेके नहीं चलते हैं .और ऐसा तब भी देखने को मिलता है जब इनके दिमाग में प्लाक भी और इसके गुच्छे भी बनने ज़मा होने लगतें हैं . यानी इन बड़े लक्ष्य केन्द्रित लोगों का एम्लोइड प्रोटीन गुच्छ भी कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं .जो अल्जाइमर्स के लिए उत्तरदाई बनते हैं .
इनमे स्मृति ह्रास भी नहीं होता है इसका मतलब हुआ ध्येय लेके चलना प्लाक और टेंगल से पैदा होने वाले स्मृति ह्रास से भी बचाए रहता है .यह एक बड़ी खबर है .
सोचने समझने की बूझने की क्षमता भी असर ग्रस्त नहीं होती है .इसका मतलब यह हुआ कि सौदेश्य बने रहना सार्थक गतिविधियों में संलिप्त और लीन रहना दिमाग की सेहत को बुढापे में भी दुरुस्त बनाए रहता है .
साइंसदानों ने इन नतीजों पर पहुँचने का आधार २४६ ऐसे लोगों के अध्ययन विश्लेषण को बनाया है जो डिमेंशिया ग्रस्त नहीं रहें हैं .जिनकी कालान्तर में मृत्यु हुई और उनके दिमाग की बादे मर्ग (मौत के बाद )
बारीक जांच (Brain autopsy ) भी की गई थी. मृत्यु का कारण जानने के लिए की गई शव परीक्षा ऑटोप्सी कहलाती है .
अध्ययन में शामिल भागीदारों का दस सालों तक सालाना रोगनैदानिक(उपचारात्मक ) मूल्यांकन किया गया .इसमें व्यापक संज्ञानात्मक परीक्षण और स्नायुविक जांच (न्युरोलोजिकल एग्जाम्स )भी शामिल थे .
जीवन में ध्येय सम्बन्धी सवाल भी पूछे गए .कौन किस सीमा तक जीवन अनुभवों का सार निकालता है यह भी बूझा जाना गया .कौन कितना संकल्पित संकेंद्रित रहा है ध्येय प्राप्ति में यह भी बूझा समझा गया .
गौर तलब है जिन लोगों में अल्जाइमर्स के लक्षणों का प्रगटीकरण होने लगता है उनमे प्लाक्स और टेंग्ल्स का बनना आम है .ये ही स्मृति और संज्ञानात्मक बोध सम्बन्धी दूसरे कामों के क्षय की वजह बनते हैं ये एम्लोइड प्रोटीन के गुच्छ ही कुसूरवार हैं अल्जाइमर्स के लिए .
सारी शोध इन्हीं की रोकथाम के लिए इनके बनने की वजह जानने के लिए इनका बनना कम करने के उपायों को समझने के लिए वर्तमान में की जा रही है .
यह समझना ज़रूरी है इनके बनते भी संज्ञानात्मक स्वास्थ्य को कैसे बनाए रखा जाए .यह शोध उस दिशा में उठा एक सही कदम है .
सन्दर्भ -सामिग्री :-Purpose in life may help stave off Alzheimer' s /TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY 9,P19
8 टिप्पणियां:
बहुत सही कहा है जीवन में कोई उद्देश्य तो होना ही चाहिए...बहुत उपयोगी प्रस्तुति...आभार
Nice to read this...and thanx 4 visiting my blog :)
very nice......
आभार बीरू भाई ||
बहुत बढ़िया उपयोगी प्रस्तुति..आभार
मकसद से खालीपन नहीं आयेगा।
चलिए ढाढस तो मिली कुछ ....
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
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