बुधवार, 9 मई 2012

शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर




शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर

वैसे तो पुरुष में नारीत्व (नारी की कोमलता आदि ) और नारी में पुरुषत्व (पुरुष की दृढ़ता कठोरता आदि ,पेशीय शक्ति ) कुछ न कुछ अंशों में रहती है दोनों एक दूसरे के परस्पर पूरक हैं .अर्द्धनारीश्वर को सम्पूर्ण  माना गया है भारतीय दर्शन में .इसीलिए नर और नारी परस्पर संपूरक कहलाते हैं . लेकिन जब पलड़ा साफ़ साफ़ एक तरफ झुक जाता है तब लिंग का शख्शियत का  फैसला  सहज हो जाता है .संकट तब खडा होता है जब स्थूल शरीर नर का हो और मनो -भौतिक शरीर नारी का .या स्थिति ठीक इसके विपरीत हो यानी स्थूल शरीर नारी का हो और मनो -भौतिक शरीर नर का हो .

असम के बहुचर्चित छात्र बिधान बरुआ के साथ पहली स्थिति है .कोर्ट कचेरी (मुंबई उच्च न्यायालय )में पहुँचने के कारण चैनलों पर इसकी खासी चर्चा भी हो चुकी है .लेकिन मामला न तो शुद्ध कानूनी है न जैविक .मनो जगत व्यक्ति के मनो -भौतिक जगत से ताल्लुक रखता है .एक जैविक अपवाद है और अपवाद होना भी एक नियम है वह नियम ही क्या जिसका अपवाद न हो .हर नियम का अपवाद भी होता ही है .

ऐसे शख्श  को 'Gender Dysforia' से  ग्रस्त  बतलाया  जाता  है  .इसे Gender Identity disorder' भी  कह  दिया जाता है .'Gender incongruence' या  फिर 'Transgenderism '  भी कहा जाता है .
 

ऐसा व्यक्ति अपने आप को विपरीत लिंगी काया में कैद पाता है .इससे मुक्ति के लिए छटपटाता है .


जब यह  विकार व्यक्ति में दीर्घावधि तक और अतिउग्र रूप में बना रहता है तब ऐसे व्यक्ति को ट्रांस -सेक्स्युअल  भी कह दिया जाता है .

समाधान है लिंग परिवर्तन

क्या है शल्य प्राविधि (PROCEDURE)?

इसमें  हारमोन  चिकित्सा  का भी सहारा लेना पड़ सकता है .शल्य से पहले भी बाद में भी .कोई एक दिन का काम नहीं है यह बेशक शल्य कर्म दो सत्रों में संपन्न कर लिया जाता है लेकिन मनो -चिकित्सा और परामर्श दीर्घावधि तक चलता है .सलाह मशविरा ऐसे व्यक्ति के माँ बाप को भी कई बार दिया जाता है . शल्य भी मनो -रोगों के माहिर की क्लिनिक में किया जाता है , मनो -विज्ञानियों की भी मौजूदगी रहती है .कुल मिलाके  यह एक टीम वर्क है शुद्ध शल्य नहीं है .

हारमोन थिरेपी नारी देह में कैद पुरुष के मामलों  में अंडकोष और शिश्न का आकार घटाने के लिए ,छाती को लम्पी यानी स्तनों का आकर बढाने के लिए की जाती है इस एवज इस्ट्रोजन हारमोन दिया जाता है .इससे नितम्ब के गिर्द भी चर्बी चढ़ जाती है भरावदार होजातें हैं नितम्ब .

पुरुष कंठ को नारी कंठ बनाने के लिए Wind pipe  surgery  की  जाती  है  .

कई चरणों में संपन्न होती है लिंग बदल सर्जरी

ORCHIDECTOMY

इस  शल्य   के  तहत  अन्डकोशों को हटा दिया जाता है .इससे नर हारमोन एक दम से कम होजाता है .और कई बार हारमोन चिकित्सा की ज़रुरत भी नहीं पड़ती है .

PENECTOMY

इस  शल्य  के  तेहत  शिश्न  का  सफाया  कर  दिया  जाता  है  .

VAGINOPLASTY

शिश्न  के  बकाया  ऊतकों से 
योनि की रचना की जाती है .शिश्न के चर्म से इसका अस्तर गढ़ा जाता है .अन्डकोशों की थैली से LABIA तैयार  की  जाती  है  .

मूत्रनली         (URETHRA) को छोटा कर दिया जाता है .इसे   पुनर  अवस्थित   किया   जाता   है   .इस प्रकार यौन संवेद्य एक प्रकार्यात्मक फंक्शनल योनि (वास्तव में VULVA) तैयार हो जाती है .

BREAST AUGMENTATION

इस  एवज  छाती में सिलिकोन प्रत्यारोप लगाया जाता है .



शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर 




रफ्ता रफ्ता आता है बदलाव नारीपन का



रफ्ता रफ्ता आता है बदलाव नारीपन का

सर्जरी तो बस बिस्मिल्लाह है .सौन्दर्य बोध से ताल्लुक रखने वाले तमाम पेचीदा मुद्दों से निपटना होता है .मसलन नारी सुलभ लुनाई लिए देह ,त्वचा  की बुनावट चिकनाहट ,सुरीला  महीन उच्च  आवृत्ति नारी कंठ .और सबसे बढ़के मनो -भौतिक शरीर का नव पुनर -रचित  शरीर में पुनर्वास .मनोवाज्ञानिक स्वास्थ्य .और सबसे ज्यादा एहम घर के सभी सदस्यों का सहयोग और स्नेह नै होती काया में पुनर्वास के लिए .

बेशक जिस दिन प्लास्टिक सर्जन पहले से चले आये प्रजनन अंगों को हटा देता है उसी दिन उसे(TRANSSEXUAL ) मेडिकल सर्टिफिकेट मिल जाता है  सेक्स चेंज का यही कहना है हिंदुजा अस्पताल के माहिर प्लास्टिक सर्जन अनिल तिब्रेवाला साहब का .लेकिन संक्रमण पुरुषत्व से नारीत्व की और रफ्ता रफ्ता ही हो पाता है ,स्रावी  तंत्र से जुड़े तमाम मुद्दे सुलटने सीधे करने होतें हैं मसलन स्त्री हारमोन ,नारी सुलभ केश राशि .यहाँ तो रोम रोम में बदलाव आना है .रोमकूप में भी ..

बकौल Masina Hospital ,Byculla में  प्लास्टिक  सर्जरी  के मुखिया डॉ .अरविन्द वर्तक सेक्स चेंज एक कामयाब सर्जरी है .ट्रांस -सेक्सुअल्स सर्जरी से पहले अपने शरीर में सहज नहीं रह पातें हैं कैदखाना लगता है उन्हें अपना ही आपा .देह यष्टि .जा तन लागे वो ही जाने .परपीड़ा कोऊ न जाने
.

अब चिकित्सा जगत के माहिर भी यह मानने बूझने लगें हैं कि GENDER BENDER ,अपनी  ही  काया  में   अजनबी  बने  अपनी  पहचान  के  लिए  कराहना   एक आनुवंशिक समस्या है .इसे यूं ही नहीं रफा दफा किया जा सकता .

SEX -CHANGE OPERATION , OR GENDER REASSIGNMENT SURGERY


इस  शल्य  की  शुरुआत  मनो -रोग क्लिनिक से ही हो जाती है .बेशक प्लास्टिक सर्जन अपना काम दो सत्रों में ही संपन्न कर लेता है  लेकिन सलाहमशविरा क्लिनिकल कोंसेलिंग      शल्य से पहले और बाद में भी सालों साल चलती है यही कहना है मनोरोगों के माहिर ज़नाब हरीश शेट्टी साहब का .'हमें एक साथ दो काम करने होतें हैं ट्रांस -सेक्सुअल की मदद और वृहत्तर समाज को इसके लिए राजी करना .'

बाकायदा एक पूरी टीम मनोरोगों के माहिरों और मनोविज्ञानियों की पहले यह देखती है कि GENDER BENDER  की गिरिफ्त में     आया व्यक्ति मानसिक रूप से दृढ भी है या नहीं
.

वह ट्रांस जेंडर  है भी या नहीं ?


उसे सर्जरी से लाभ भी होगा या नहीं इसका भी पूर्व आकलन किया जाता है देखा यह भी जाता है कि उसे सर्जरी की इजाज़त न मिलने पर कितना नुक्सान उठाना पड़ सकता है .

परिवार का सहयोग समर्थन हर चरण पर एक दम से एहम रहता है .माहिरों को माँ बाप के साथ सलाह मशविरा सत्र बारहा रखने पडतें हैं .अकसर इन मामलों में माताएं रोना धोना करतीं हैं और पिता बेहद की नाराजी का इज़हार .कई मर्तबा उग्र भी हो जाता है इनका व्यवहार अपनी ही असर ग्रस्त संतान के प्रति .दीर्घावधि माँ बाप का सहयोग ही पुनर्वास  में विधाई भूमिका निभाता है सर्जरी के बाद .यही कहना है डॉ .केशवानी साहब का .आप 'NATIONAL BURNS CENTRE ,AIROLI के  संचालक  हैं  .

ऐसा नहीं है कि सेक्स चेंज की पेशकश लेके लोग आगे नहीं आते हैं पांच छ :मामले सलाह मशविरे के लिए आगे  आ ही जातें हैं लेकिन सर्जरी के लिए इनमे से आधे से भी कम ही लोग पहल करते हैं .विरल नहीं है बिधान बरुआ का मामला .और न ही यहाँ कोई 'माइकल जेकशन ' फेक्टर काम कर रहा होता है ,न फेशन स्टेटमेंट है जेंडर डिस -फोरिया .शुद्ध अपवाद है .

19 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

और हम शरीर को खुद समझते हैं।

India Darpan ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


इंडिया दर्पण
की ओर से शुभकामनाएँ।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

आज सर्जरी से लिंग बदलना संभव,यह जानकारी मुझे आपसे मिली,....जानकारी के लिए आभार,....

my recent post....काव्यान्जलि ...: कभी कभी.......

Naveen Mani Tripathi ने कहा…

वर्तमान में यह विषय ज्वलंत हो चुका है .......कुछ दिन पूर्व मैंने आपके ब्लॉग पर अर्धनारीश्वर मनुष्य कैसे होता इसके बारे में पढ़ा था परन्तु इसबार विस्तृत जानकारी मिली ....सादर आभार सर |

India Darpan ने कहा…

सचमुच आपके द्वारा भी सम्पूर्ण शरीर विज्ञान ही प्रदर्शित किया गया है।

India Darpan ने कहा…

सचमुच आपके द्वारा भी सम्पूर्ण शरीर विज्ञान ही प्रदर्शित किया गया है।
इंडिया दर्पण के मुख्य पृष्ठ पर प्रसारित समाचार पर भी आपकी बहुमूल्य राय का इंतजार है।
धन्यवाद

virendra sharma ने कहा…

हाँ ! कई मर्तबा विषय इतना सामयिक होता है तत्काल छापनी पडती है पोस्ट .वैसे हिंदी एक अति -समृद्ध भाषा है विज्ञान संचार के सर्वथा उपयुक्त और प्रवाह लिए हुए प्रपात सा .

ORCHIDECTOMYKAA हिंदी पर्याय अंडकोष उच्छेदन (अंडकोष तराशी ),PENECTOMY माने इन्सिश्जन ऑफ़ पेनिस यानी लिंगोच्छेदन ,
VAGINOPLASTY यानी प्लास्टिक शल्य से योनि रचना ,
BREAST AUGMENTATION माने वक्षाकार संवृद्धि . .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
http://veerubhai1947.blogspot.in/
आरोग्य समाचार
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल
क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

virendra sharma ने कहा…

हाँ ! कई मर्तबा विषय इतना सामयिक होता है तत्काल छापनी पडती है पोस्ट .वैसे हिंदी एक अति -समृद्ध भाषा है विज्ञान संचार के सर्वथा उपयुक्त और प्रवाह लिए हुए प्रपात सा .

ORCHIDECTOMY/ORCHIECTOMY IS SURGICAL REMOVAL OF ONE OR BOTH TESTICLES. GREEK का हिंदी पर्याय अंडकोष उच्छेदन (अंडकोष तराशी ),PENECTOMY माने इन्सिश्जन ऑफ़ पेनिस यानी लिंगोच्छेदन ,
VAGINOPLASTY यानी प्लास्टिक शल्य से योनि रचना ,
BREAST AUGMENTATION माने वक्षाकार संवृद्धि . .कृपया यहाँ भी पधारें -
बुधवार, 9 मई 2012
शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर
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आरोग्य समाचार
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क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?
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virendra sharma ने कहा…

ORCHECTOMY :Gr .orchis means testicles ,ektome means excision ,also Orchiectomy.

मनोज कुमार ने कहा…

नतमस्त्क हूं आपके ज्ञान के सामने।

Arvind Mishra ने कहा…

चर्चा में है यह विषय और बिना अपने बीरू भाई के किसी की औकात नही कि

इन विषयों पर लेखनी चला पाए और वह भी पूरी प्रामाणिकता के साथ ...

हाँ इस विषय पर केवल इतना ही कहना है कि फिजिओलाजिकल सेक्स लाख बदल जाए मगर जेनेटिक सेक्स तो वही रहेगा जो अल्ला मियाँ ने दिया है ...ऐसे में इन लोगों का जीवन तो घोर मनोव्यथा वाला ही होगा -भले वे विधान कहलायें या स्वाति

virendra sharma ने कहा…

डॉ .अरविन्द भाई साहब ,मनोज भाई !ये फीड बेक पुनर -बलीकृत करता है लेखन को यही आंच और आवेश है चार्ज है लेखन का .औकात भाई साहब सब की है ब्लॉग जगत में एक से बढ़के एक मेहनती ईमानदार लोग बने हुए है और चुपचाप काम कर रहें हैं अलबता मैंने हिंदी पत्रकारिता को अंग्रेजी से अलग किया है हमारा पठाक वर्ग और हैजिज्ञासु है ज्ञान पिपासु है अंग्रेजी का जुदा है हमारा पहला काम पारिभाषिक शब्दों की चिकित्सा शब्दावली की व्याख्या है .उसे बोध गामी बनाना है अपने परिवेश में ढाल के .कोशिश रहती है साफ़ लिखा जाए सुस्पष्ट लिखा जाए .फिर भी कमी रह जाती है .अलबत्ता घर में शब्द कोशों की भरमार है जिनमे भौतिक और चिकित्सा विज्ञानों के शब्द कोष भी शामिल है .कोशिश इनके नवीनतम संस्करण हथियाने प्राप्त करने की रहती है .हाँ एक बार और किसी रिपोर्ट को लिखने से पहले मैं बा -कायदा उसका कई मर्तबा अनुशीलन करता हूँ .आपका संतोष ही मेरी उपलब्धि है असंतोष मेरी असफलता .कमियाँ उजागर करतें रहें .खबरदार रहूँगा .

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गंभीर लेखन ... इस विषय पे कई बार बहुत हलके पन से लिख के विषय का महत्त्व खत्म हो जाता है ... आपबी इस संतुलित पोस्ट में बहुत कुछ है जानने कों ... बहुत बहुत शुक्रिया इस जानकारी का .. राम राम ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

male in a female body or female in a male body --दोनों ही वास्तव में बड़ी गंभीर समस्या हैं . इसका सायकोलोजिकल प्रभाव बहुत ज्यादा होता है . ऐसे में सेक्स चेंज कराना ही बेहतर है . हालाँकि कदम कदम पर रुकावटें आती हैं .

वीरुभाई जी , यदि एक पोस्ट में एक ही विषय रखें तो ज्यादा आनंद आयेगा .

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसे लोगों के विषय में जानकारी .... कारण और निवारण ... सभी मिले .... कितना कुछ जानने का अवसर मिलता है आपके ब्लॉग पर ...आभार

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

प्रकृति देखती होगी ये सब भी
दखल मानव का उसके साथ
क्या सही क्या है गलत
ये हो जाती है दूसरी ही बात ।

ज्ञानवर्धक लेख ।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

प्रकृति देखती होगी ये सब भी
दखल मानव का उसके साथ
क्या सही क्या है गलत
ये हो जाती है दूसरी ही बात ।

ज्ञानवर्धक लेख ।

SHEKHAR GEMINI ने कहा…

मेरे देखे ये समस्या मुख्यतः सामाजिक मनश्चेतना एवं सामाजिक मनो-विज्ञान से अधिक त-आल्लुक रखती है | यदि इस स्तर कुछ विधायक रूप से किया जा सके तो वो अधिक स्वाभाविक और किसी अप्राकृतिक ( शल्य - चिकित्सा ) क्रियादि की उठा-पटक से परे भी रहेगा |

यूँ भी, प्रकृति से, और प्रकृति की प्रकृति से जितनी कम से कम छेड़-छाड़ की जाये उतना ही श्रेयस्कर है |

नैतिक रूप से शल्य क्रिया का उपयोग सिर्फ जीवन की रक्षा हेतु किया जाये तो यह सम्पूर्ण मनुष्यता के लिए हितकारी होगा |

बेनामी ने कहा…

chhii kya pagalpan hai
kaise log is duniya me

सर्जरी से लिंग बदलना संभव,यह जानकारी मुझे आपसे मिली,....जानकारी के लिए आभार,....