गुरुवार, 31 मई 2012

उतनी ही खतरनाक होती हैं इलेक्त्रोनिक सिगरेटें

उतनी ही   खतरनाक होती  हैं इलेक्त्रोनिक सिगरेटें 

E-Cigs equally harmful : Docs/WORLD NO TOBACCO DAY /KILLER STICK/TIMES CITY /THE TIMES OF INDIA ,MUMBAI ,MAY31,2012,P4


एक  बरस  पहले  ही ई -सिगरेटों ने हिन्दुस्तान में दस्तक दी है और आज इनके खिलाफ चिकित्सकों और तम्बाकू -रोधी -उत्साही कार्यकर्ताओं ने इसका मुखर विरोध किया है .अगर इन्हें चलन से बाहर नहीं किया जाता है तो कमसे कम सरकार यह तो तस्दीक करे कि  अच्छी दिखने वाली ई -सिगरेटें  भी  फेशनेबुल कैंसर स्टिक्स ही हैं .

तम्बाकू निगमों और उत्पादकों की हर चंद कोशिश  तथा तम्बाकू उद्योग का सक्रीय हस्तक्षेप रोकना है (तम्बाकू उत्पादों की बिक्री बढाने का ) इस बरस के विश्व तम्बाकू निषेध दिवस का मकसद और ध्येय जिनकी हर चंद कोशिश धूम्रपान निषेध को निष्प्रभावी बनाने की रहती है .विश्व तम्बाकू दिवस  हर बरस ३१ मई को दुनिया भर में मनाया जाता है .

गौर तलब है मध्य प्रदेश और केरल के बाद अब बिहार सरकार ने तम्बाकू उत्पाद गुटखा की बिक्री पर एक साला प्रतिबन्ध आयद  कर दिया है .

हर बरस दुनिया भर में ६० लाख  लोग तम्बाकू उत्पादों के सेवन से मर जातें हैं इनमे से ६ लाख लोग ऐसे होतें हैं जिन्हें यह खामियाजा सिगरेट पीने वालों की आसपास मौजूदगी की वजह से उठाना पड़ता है जो दूसरे की सुविधा असुविधा फेफड़ों का ज़रा भी ख्याल नहीं रखते . भाई सिगरेट पीनी है तो अपने फेफड़ों से ही पिए मेरे फेफड़े बख्शें ,ये धुआं भी अपने ही पास सहेज के   रखें फिर शौक से धूम्रपान करें .

विश्व -तम्बाकू निषेध दिवस के इस मौके पर टाटा मेमोरियल अस्पताल ,परेल तथा स्वास्थ्य  से जुड़े कई गैर सरकारी संगठनों   ने केंद्र सरकार से ई -सिगरेटों की  बिक्री के विनियमन के  बारे में नियमावली और दिशा निर्देश ज़ारी करने के लिए कहा है .

अमरीकी खाद्य एवं दवा संस्था फ़ूड  एंड  ड्रग  एडमिनिस्ट्रेशन  ने  ई -सिगरेटों के इस्तेमाल के खिलाफ  २००९ में ही एक चेतावनी ज़ारी की थी .

कनाडा और य़ू. के.(UK) में इनकी बिक्री पर प्रतिबन्ध है .

भारत  और  चीन  में  यह सड़क के किनारे बने छोटे छोटे सिगरेट स्टालों पर कीयोश्क पर  आसानी से मिल जातीं हैं .

बेशक   भारत में इनकी बिक्री का सटीक  आकलन  तो फिलवक्त नहीं किया जा सकता लेकिन अपने अनजाने और अभिज्ञता में (मासूमियत  में ) सोनम कपूर परम्परा गत सिगरेटों से इन्हें बेहतर बतलातीं हैं ट्वीटर  पर.

बेशक वह कहतीं हैं धूम्रपान एक गंभीर अवगुण है अच्छा नहीं है लेकिन यहीं पर वह चुपके से जड़ देतीं हैं अब आपके लिए हाज़िर हैं अपेक्षाकृत निरापद ई  -सिगरेटें ,मेरे कई दोस्त  इन्हीं का सेवन करते हैं   .

होलीवुड स्टार  Leonardo di  Caprio तथा   Dennis Quaid  भी इनका    समर्थन अनुमोदन करतें हैं .

सोनम जी रूप विधान बदलने से कैंसर स्टिक निरापद नहीं हो जाती उतनी ही खतरनाक बनी रहती है और यह हम नहीं आज तमाम माहिर कह रहें हैं जो फेफड़ा कैंसर के खिलाफ मुहीम से जुड़े हैं .

क्या कहतें हैं टाटा मेमोरियल कैंसर सेंटर के निदेशक राजन बादवे 

आपने इनकी बिक्री पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की लिखित पेश कश की है फ़ूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड ऑथोरिटी आफ इंडिया से .

इसके विज्ञापन भंडारण और क्रय विक्रय बिक्री का विनियमन करने की बाबत भी आपने केंद्र सरकार को नीति बनाने के लिए  लिखा है .


२००५ -०६ में ही भारत ने ग्लोबल फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन तुबेको कंट्रोल पर दस्तखत किये थे .तंबाकू के खिलाफ मुहिम में भारत ने आगे बढ़के शिरकत  की थी .एंटी टुबेको रेग्युलेशन में हिस्सा लिया था  .

क्या हैं ई -सिगरेटें 

ये बेटरी चालित उत्पाद हैं जो निकोटिन को एक आकर्षक पैकेज फोर्मेट में प्रस्तुत करतीं हैं .मकसद निकोटिन के कथित  स्वाद और गंध से विमोहित करना है उपभोक्ता को .इसकी वाष्प ही धूम्रपानी सांस के साथ अन्दर लेता है जो शुद्ध निकोटिन से लदी होती है .इसीलिए इन्हें आरम्भ में निरापद मान समझ लिया गया था .

यूं देखने में यह आम सिगरेट जैसी  ही हैं . सिगार और पाइप जैसी ही  हैं .अलबत्ता कुछ पेन से मिलती जुलतीं हैं  तो कुछ USB memory sticks सी  हैं  .

USB :Universal serial bus (the system of for connecting other pieces of equipment to a computer.

क्या कहती है अमरीकी खाद्य  एवं दवा संस्था FDA ई  - सिगरेटों के बारे में 

इनमे ऐसे  तत्व हो सकतें हैं जो मानव के लिए विषाक्त हैं .कुछ ऐसे भी जो किसी भी मायने में निरापद नहीं कहे जा सकते .

ऐसे में उपभोक्ता को असलियत कैसे पता चले जबकि ई -सिगरेटों को लेके कोई क्लिनिकल  स्टडीज़ भी नहीं हुईं हैं .ऐसे में मीडिया ही जानकारी का ज़रिया बचता है अगर वह लाभ से अपनी दृष्टि हटाले .

तम्बाकू  में दो सक्रिय घटक रहतें हैं 

(१)लती पदार्थ निकोटिन 

(२)कैंसर पैदा करने वाले Nitrosamines तथा हाईड्रो -कार्बंस   

बेशक ई -सिगरेट्स में ये बाद वाले रसायन नहीं रहतें हैं लेकिन माहिरों के अनुसार निकोटिन एक विषाक्त पदार्थ है जिसका कभी भी केज्युअल सेवन नहीं किया जाना चाहिए .

यह दवा है और चिकित्सीय नुस्खे का ही हिस्सा  बन सकती है . अन्यत्र  कहीं भी और कैसे भी इसका उपयोग घातक है .

No nicotine cartridges 

अमरीका में जब ऐसे १९ कार्त्रिजिज़ की जांच की गई तब उनमे से एक ही ऐसा मिला जिसमे निकोटिन विष नहीं था .

दरअसल इस पर सभी वह चेतावनियाँ और नियम लागू होतें हैं जो आम सिगरेटों पर आज आयद हैं .माहिरों की यही राय है .

भारत ने सार्वजनिक स्थलों  पर २००८ में ही रोक लगा दी थी .

फ़ूड सेफ्त्री स्टेंडर्ड एक्ट आफ इंडिया २००६ सेक्शन २.३.४ को गत वर्ष संसोधित  करके किसी भी खाद्य सामिग्री में निकोटिन को शामिक करने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था .

गौर तलब है गुटखा भी एक खाद्य उत्पाद है  इसी लिए अब मध्य प्रदेश केरल और बिहार राज्य ने इस पर प्रतिबन्ध लगा दिया है .

7 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

ई दुनिया ने कितनी तरक्की कर ली है ... पर अब दिशा कौन सी है ये तरक्की की ...
लाभकारी जानकारी ...
राम राम जी ...

डॉ टी एस दराल ने कहा…

इ - सिगरेट और हुक्का बार -- अमीरों के चोचले हैं .
गरीब तो हमेशा ही बीड़ी और पान मसाले की मार खाता है .
धूम्रपान निषिद्ध दिवस पर अच्छी प्रस्तुति .

Anjani Kumar ने कहा…

तम्बाकू हर रूप में जानलेवा है....बिहार सरकार द्वारा उठाया गया कदम सचमुच सराहनीय है
इस सुन्दर लेख के लिये आभार

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति,सुंदर लेख,,,,,

RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

नई जानकारी मिली....
तम्बाखू का कोई भी रूप निरापद हो नहीं सकता...
सचेत करती उपयोगी प्रस्तुति....
सादर आभार.

संजय भास्‍कर ने कहा…

तम्बाखू नई जानकारी मिली...!!

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट है आभार